नई दिल्ली। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने फ्रांस की विस्तृत यात्रा पूरी की। सीडीएस की इस यात्रा ने भारत और फ्रांस के बीच लंबे समय से चली आ रही रणनीतिक साझेदारी की पुष्टि की है। इसके साथ ही इस यात्रा ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और मजबूत किया है।
सीडीएस जनरल चौहान की फ्रांसीसी सशस्त्र बल मंत्रालय में सिविल एवं मिलिट्री कैबिनेट के निदेशक श्री पैट्रिक पैलौक्स और सशस्त्र बल मंत्रालय में सैन्य कैबिनेट के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल विंसेंट जिराउड के साथ शीर्ष स्तर पर बातचीत हुई। सीडीएस जनरल चौहान ने अपने समकक्ष जनरल थिएरी बर्कहार्ड (सीईएमए) के साथ भी बातचीत की जिसमें दोनों ने सामान्य हितों और पारस्परिक सुरक्षा से जुड़े मुद्दों के क्षेत्रों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।
यात्रा के दौरान उच्च-स्तरीय दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियों के आदान-प्रदान को बढ़ाने के लिए फ्रांस के आयुध महानिदेशालय में विचार-विमर्श किया गया, जिसके बाद फ्रांसीसी रक्षा उद्योग के शीर्ष नेतृत्व के साथ बातचीत हुई। इसमें डसॉल्ट, सफरान, नौसेना समूह और थेल्स एलेनिया स्पेस भी शामिल रहे। इस बातचीत का उद्देश्य भारतीय सशस्त्र बल की भविष्य की क्षमता निर्माण की दिशा में काम करना और उसके स्वदेशीकरण को प्रोत्साहन प्रदान करना है।
फ्रेंच लैंड फोर्सेज कमांड (सीएफटी), फ्रेंच स्पेस कमांड (सीडीई), और स्कूल ऑफ मिलिट्री स्टडीज (इकोले मिलिटेयर) में आदान-प्रदान ने सुरक्षा चुनौतियों पर भारत का दृष्टिकोण प्रदान करते हुए अंतरिक्ष में रक्षा सहयोग बढ़ाने, आधुनिकीकरण की पहल और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के अवसर भी प्रदान किए हैं।
सीडीएस ने इस क्षेत्र में शांति बढ़ाने की दिशा में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान पश्चिमी मोर्चे पर लड़ने वाले भारतीय अभियान बल के सैनिकों की असाधारण बहादुरी के लिए न्यूवे-चैपल और विलर्स-गुइस्लैन के युद्ध स्मारकों पर भी श्रद्धांजलि अर्पित की। ये स्मारक लंबे समय से चले आ रहे भारत-फ्रांस संबंधों के प्रमाण हैं।
भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी ने समय के साथ महत्वपूर्ण गति पकड़ी है तथा अब यह और भी करीबी और बहुआयामी रिश्ते में विकसित हो गई है जो सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों तक फैली हुई है।