दलितों के बजट पर दिल्ली सरकार ने सिर्फ़ 2.95% किया खर्च!

Font Size
दिल्ली: स्वराज इंडिया ने हाल ही में दिल्ली सरकार से शिक्षा के मुद्दे पर कई गंभीर सवाल पूछे थे और आम आदमी पार्टी के शिक्षा क्रांति के खोखले दावों की पोल खोली थी। पार्टी ने दिल्ली में दलित छात्रों के वज़ीफ़ा की संख्या में आयी कमी का सवाल उठाते हुए आम आदमी पार्टी पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया। प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए स्वराज इंडिया के महासचिव अजित झा ने कहा कि स्वराज इंडिया द्वारा उठाये किसी भी प्रश्न का दिल्ली सरकार ने अब तक संतोषजनक जवाब नहीं दिया है।
 
ज्ञात हो कि स्वराज इंडिया दिल्ली में “जवाब दो, हिसाब दो” मुहीम चला रही है। इसी क्रम में आज पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनुपम ने आम आदमी पार्टी पर सामाजिक न्याय के प्रति अगंभीर होने का आरोप लगाते हुए दलित छात्रों के वज़ीफ़े में हुई कमी का कारण सरकार में राजनीतिक इच्छाशक्ति के न होने को बताया।
 
अनुपम ने बताया कि अनुसूचित जाति के विकास के लिए पर्याप्त फ़ंड सुनिश्चित करने के लिए योजना आयोग ने 1980 में ‘अनुसूचित जाति उप-योजना’ (Scheduled Caste Sub-Plan) प्रस्तुत किया था। इस योजना के तहत राज्य सरकार को जनसंख्या में एससी जनसंख्या के अनुपात में फ़ंड का प्लान करना होता है। दिल्ली में 16.75% जनसंख्या दलित समुदाय से हैं। यानी कि केंद्र सरकार और योजना आयोग के दिशानिर्देश के अनुसार दिल्ली सरकार को बजट का कम से कम 16.75% हिस्सा SCSP शेड्यूल्ड कास्ट सब प्लान में खर्च करना था। यह फ़ंड किसी दूसरे काम में नहीं लगाया जा सकता और इसे लैप्स भी नहीं किया जा सकता है। 
 
लेकिन साल 2015-16 में दिल्ली सरकार ने SCSP के तहत सिर्फ 4.20% फ़ंड ही आवंटित किया, जिसमें से खर्च तो मात्र 2.95% हुआ।
 
अनुपम ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा, “ये किसी से छुपी नहीं है कि आम आदमी पार्टी पंजाब में दलित वोट के लिए हर तरह की घोषणाएं और वादे कर रही है। पार्टी सुप्रीमो अरविन्द केजरीवाल ने घोषणा किया है कि उनका उपमुख्यमंत्री उम्मीदवार कोई दलित होगा। इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है कि इस बिंदु पर पंजाब की वर्तमान परिस्थिति से भी तुलनात्मक अध्ययन किया जाए, जहाँ की जनसँख्या की 31.94% दलित समुदाय से हैं। वित्त वर्ष 2015-16 में पंजाब ने SCSP के तहत आवश्यक फंड का 94.03% खर्च किया। वर्ष 2016-17 में पंजाब में आवंटित बजट तो राज्य के दलित जनसँख्या के प्रतिशत से भी अधिक, 33.85% है।
 
स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव अजित झा ने सरकार की अगम्भीरत पर आपत्ति जताते हुए इस तथ्य को चिंताजनक माना कि वित्त वर्ष 2015-16 में दलित समुदाय के शैक्षणिक और आर्थिक सामाजिक विकास के लिए दिल्ली सरकार ने आवश्यक फंड का मात्र 17.61% ही लगाया। यानि कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के दलित कल्याण योजना के आंकड़े पंजाब जैसी अलोकप्रिय बादल सरकार से भी बुरी है।
 
शेड्यूल्ड कास्ट सब प्लान के तहत यह भी निर्देश है कि हर राज्य अपने यहाँ ब्लॉक, ज़िला और राज्य स्तर पर स्टैंडिंग कमिटी का गठन करे जो दलित समुदाय के आर्थिक, शैक्षणिक और सामाजिक उत्थान एवं कल्याण के योजनाओं की रिव्यू और मॉनिटरिंग कर सके। विधानसभा में दिए एक प्रश्न के उत्तर में दिल्ली सरकार ने क़ुबूल किया कि उन्होंने ऐसी किसी भी समिति का गठन नहीं किया है। इससे दिल्ली सरकार की सामाजिक न्याय के मुद्दे पर गंभीरता प्रदर्शित होती है। पंजाब की घोर अलोकप्रिय सरकार से भी बुरे आंकड़े उस आम आदमी पार्टी के हैं जो दलितों के नाम पर वोट मांगने में व्यस्त हैं।
 
इन तथ्यों से यह भी साबित होता है कि दिल्ली सरकार की इस सवाल के प्रति कमज़ोर राजनीतिक इच्छाशक्ति का असर कई जनकल्याणकारी योजनाओं पर पड़ा है। दिल्ली के स्कूल कॉलेज में दलित/पिछड़े छात्रों के स्कॉलरशिप में आयी बड़ी कमी भी इसीका एक कारण हो सकता है। छात्रों के वज़ीफ़े के अलावा दलित समुदाय के लिए और भी कई योजनाएं हैं जिनपर SCSP के कम होने का असर पड़ा है। मैनुअल स्केवेन्जिंग पर भी दिल्ली सरकार का बुरा रिकॉर्ड इसी सोच और नीति का परिणाम है।
 
अनुपम ने दिल्ली सरकार से इन सवालों पर सार्थक जवाब की मांग करते हुए ये निवेदन किया कि आम आदमी पार्टी स्वराज इंडिया पर चाहे जितनी भी छींटाकशी करे, जितने अपशब्द बोले, लेकिन मूल सवालों के उत्तर भी दे। दिल्ली जवाब चाहती है, दिल्ली हिसाब चाहती है।

You cannot copy content of this page