इकोसिस्टम की रक्षा करने से जलवायु परिवर्तन की मात्रा में कमी लाने में मदद मिलेगी : भूपेन्द्र यादव

Font Size

नई दिल्ली : केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा है कि इकोसिस्टम की रक्षा करने और उसे बहाल करने से जलवायु परिवर्तन की मात्रा में कमी लाने में और इसके प्रभावों से निपटने में हमें सहायता मिल सकती है। जापान के सैप्पारो में जलवायु, ऊर्जा एवं पर्यावरण पर जी7 मंत्रियों की बैठक में पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हम पर्यावरणगत कदमों के साथ साथ समग्र रूप से जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों पर ध्यान दें।

उन्होंने कहा कि हम जरुर यह उम्मीद करते कि जी7 देशों के जलवायु, ऊर्जा एवं पर्यावरण मंत्रियों की इस बैठक के विचार विमर्शों के यह मूल में हो।श्री यादव ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, मरुस्थलीकरण और जैवविविधता का नुकसान परस्पर गहराई से जुड़े हुए हैं और मानवता के लिए अस्तित्व संबंधी चुनौतियां पेश करते हैं। उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों के प्रत्युत्तर में, रियो संधियों ने सिद्धांतों के आधार पर सर्वसहमति से संचालित दृष्टिकोण के माध्यम से उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है।

श्री यादव ने कहा कि अभी हाल में मांट्रियल में आयोजित सीबीडी सम्मेलन में हमने वैश्विक जैवविविधता संरचना को अपनाया और शर्म अल शेख में सीओपी 27 में नुकसान और क्षति कोष जैसे मुद्दों पर ऐतिहासिक निर्णय लिए गए। बहरहाल, अभी भी इस दिशा में एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उदाहरण के लिए भारत ने अपनी जी-20 की  अध्यक्षता में इस दृष्टिकोण को अपनाया है और भूमि क्षरण को रोकने, इकोसिस्टम की बहाली की गति मे तेजी लाने और जैवविविधता को समृद्ध करने के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में न्यूनीकरण और अनुकूलन को गहराई से सन्निहित किया है। उन्होंने कहा कि यह दृष्टिकोण एक टिकाऊ और गतिशील सामुद्रिक ( नीली ) अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है, परस्पर एक दूसरे से जुड़ी विषयवस्तुओं के साथ पर्यावरण के लिए जीवनशैली ( लाइफ ) के साथ संसाधन दक्षता और चक्रीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करता है और इस प्रकार जलवायु परिवर्तन को मुख्यधारा में लाता है तथा एक महत्वाकांक्षी, निर्णायक और कार्रवाई-उन्मुखी तरीके से प्रभावों पर ध्यान देता है।

श्री यादव ने कहा कि भारत समाधान उपलब्ध कराने का एक हिस्सा रहा है जबकि ऐतिहासिक रूप से यह किसी भी समस्या का हिस्सा नहीं रहा है।  उन्होंने कहा कि इसके बजाए, भारत ने मजबूत घरेलू कार्रवाई की है, अपने लिए चुनौतीपूर्ण महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को निर्धारित किया है और विभिन्न पहलों के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय कदमों को संचालित भी कर रहा है।

श्री यादव ने कहा कि भारत का दृष्टिकोण जलवायु परिवर्तन, जैवविविधता का नुकसान और प्रदूषण पर केंद्रित रहा है। यह अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन ( आईएसए ),  आपदा लचीली अवसंरचना के लिए गठबंधन ( सीडीआरआई ), लीड आईटी के माध्यम से विशिष्ट युक्तियों पर आधारित पहल करने में परिलक्षित हुआ है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत ने मिशन लाइफ के माध्यम से व्यक्तिगत और सामुदायिक कदमों सहित सभी के द्वारा कार्रवाई पर भी ध्यान केंद्रित किया है।   उन्होंने कहा कि केवल व्यक्तिगत और सामुदायिक व्यवहार को बदलने से ही पर्यावरणगत और जलवायु संकटों में महत्वपूर्ण कमी आ सकती है।

श्री यादव ने कहा कि प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर अभी हाल में लांच किया गया इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस इस तथ्य पर आधारित है कि बाघों और उनके वासों को संरक्षित करने से पृथ्वी पर कुछ सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक इकोसिस्टम को सुरक्षित किया जा सकता है जिससे लाखों लोगों के लिए प्राकृतिक जलवायु परिवर्तन अनुकूलन, जल और खाद्य सुरक्षा प्राप्त हो सकती है और वन समुदायों को आजीविका तथा जीविका उपलब्ध हो सकती है।

श्री यादव ने कहा कि निर्णायक कदम उठाने के लिए निष्पक्षता और सीबीडीआर-आरसी के सिद्धांतों के साथ साथ देश-संचालित दृष्टिकोण सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण होगा।  इसी के साथ साथ जी7 के सही मायने में वैश्विक नेतृत्व के लिए विकासशील ( ग्लोबल साउथ ) देशों की आवाज को भी सत्य के रूप में स्वीकार किए जाने और जी7 पहलों के कार्यान्वयन की दिशा में बहुमूल्य इनपुटों को प्राप्त करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह दृष्टिकोण सुनिश्चित करेगा कि जब हम पूरी दुनिया को प्रभावित करने वाले निर्णय लें तो किसी को भी पीछे न छोड़ें।

श्री यादव ने कहा कि हम जी7 देशों के नेतृत्व से उम्मीद करते हैं कि वह जलवायु परिवर्तन, जैवविविधता का नुकसान और प्रदूषण की तिहरी चुनौतियों के विरुद्ध एक प्रभावी लड़ाई, उद्वेश्य की एकरूपता और कार्रवाई की एकता के लिए इस तथ्य के प्रति सचेत रहना सुनिश्चित करे कि हमारे पास एक पृथ्वी है, हम एक परिवार हैं और हमारा एक भविष्य है।  केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह जुलाई में चेन्नई में आयोजित होने वाली जी20 पर्यावरण और जलवायु स्थिरता मंत्रालयी बैठक में सभी का स्वागत करने की आशा करते हैं।

You cannot copy content of this page