जुरहरा, रेखचंद्र भारद्वाज: कस्बे में रविवार को होलिका दहन स्थल पर कस्बे के गणमान्य लोगों की मौजूदगी में प्राचीन एवं अपनी सांस्कृतिक परंपराओं का निर्वहन करते हुए मंत्र उच्चारण व विधि-विधान के साथ कस्बे के ठाकुर परिवार से अर्जुन सिंह उर्फ झम्मन सिंह मानवी, सरपंच लक्ष्मन साहू, महेशचंद शर्मा, भिक्कन सैनी आदि की उपस्थित में डांडा पूजन किया गया।
कस्बे में काफी लंबे अरसे से यह परंपरा रही है कि होली से करीब सवा महीना पूर्व होलिका दहन स्थल पर डांडा पूजन का कार्यक्रम रखा जाता है जिसमें कस्बे के गणमान्य लोग डांडा पूजन करते हैं जिसमें कस्बे के ठाकुर परिवार से किसी न किसी सदस्य की मौजूदगी अनिवार्य होती है। ऐसी मान्यता रही है कि होलिकोत्सव का आगाज डांडा पूजन के साथ होता है जिसके तहत एक बड़े डंडे को होलिका दहन स्थल पर गाढ़ दिया जाता है जो भक्त पहलाद का प्रतीक माना जाता है।
इसका विधि विधान के साथ पूजन किया जाता है और होलिका दहन के दिन पहले इस डंडे को निकालकर होलिका में आग लगाई जाती है और प्रतिपदा के दिन महिलाएं इसी डंडे का पूजन करती हैं यह डांडा सत्य, प्रकाश व जीत का प्रतीक माना जाता है।
जहां आधुनिकता की चकाचौंध ने इन पुरानी परंपरा व सांस्कृतिक विरासतों को भुला सा दिया है लेकिन वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी इन परंपराओं का निर्वहन पूरी तरीके से विधि विधान के साथ किया जा रहा है। डांडा पूजन को लेकर यह भी मान्यता रही है कि डांडा पूजन होने के बाद होलिका दहन तक नवविवाहिताओं के ससुराल जाना या पीहर आना अशुभ माना जाता है जिसके चलते नवविवाहिताएं पीहर आने व ससुराल जाने से परहेज करती है।