विदेशों की तरह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डाटा साइंस से बढ़ाई जाएगी खिलाडिय़ों की परफॉर्मेंस

Font Size

आईआईटी मद्रास के एनालिटिक्स सेंटर की टीम कर रही काम

छोटे शहरों के खिलाडिय़ों को भी हो तकनीक का फायदा, मॉडल डेवलेप करने में जुटे आईआईटी के प्रोफेसर

चंडीगढ़, 6 जून : अब विदेशों की तर्ज पर भारत में भी खिलाडिय़ों की परफॉर्मेंस को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डाटा साइंस से बढ़ाया जाएगा। इसके लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मद्रास के प्रोफेसर की टीम लगी हुई है। उनका मकसद ऐसा मॉडल डेवलेप करना है, जिसका फायदा छोटे शहरों से आने वाले खिलाडिय़ों को भी मिल सके, जो तकनीक आज भी उनकी पहुंच से बाहर है।

पंचकूला के ताऊ देवीलाल स्टेडियम में आयोजित खेलो इंडिया यूथ गेम्स में हरियाणा सरकार, राष्ट्रीय खेल विज्ञान और अनुसंधान केंद्र (एससीएसएसआर), नई दिल्ली  द्वारा खिलाडिय़ों की परफॉर्मेंस को बेहतर करने में नई-नई तकनीक के योगदान पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें पहुंचे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मद्रास के एनालिटिक्स सेंटर के प्रोफेसर महेष पंचाग्नुला व प्रोफेसर नंदन ने बताया कि तकनीक खिलाडिय़ों की परफॉर्मेंश को बेहतर करने में अहम योगदान दे रही है। अकसर देखने में आता है कि बड़े खिलाड़ी प्रैक्टिस के लिए विदेश जाते हैं और विदेशों में कोचिंग लेते हैं। इसकी बड़ी वजह वहां उपलब्ध खेलों से जुड़ी अत्याधुनिक तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डाटा साइंस है। जिसका इस्तेमाल करके खिलाडिय़ों की परफॉर्मेंस को और बेहतर करने पर काम किया जाता है। यह सब अब भारत में हमारे खिलाडिय़ों के लिए भी आसानी से उपलब्ध हो, इसके लिए आईआईटी मद्रास की टीम काम कर रही है।

इन तीन मकसद से काम कर रही एनालिटिक्स सेंटर की टीम
प्रोफेसर महेष पंचाग्नुला ने बताया कि एनालिटिक्स सेंटर, आईआईटी मद्रास की टीम तीन मकसद लेकर कार्य कर रही है। पहला मकसद एथलीट के लिए ऐसे ट्रेनिंग प्रोग्राम का इंतजाम करना है, जिसमें वह आसानी से तकनीक के माध्यम से अपनी योग्यता को पहचान सके और कमियों को दूर कर सके। दूसरा मकसद एथलीट की परफॉर्मेंस को साइंस व एआई के माध्यम से बढ़ाना है। इसके लिए मॉडल तैयार किया जा रहा है, जो आने वाले छ: महीने से एक साल के अंदर तैयार हो जाएगा। इसके अतिरिक्त, खेलों से जुड़ी नई-नई तकनीक के लिए नए-नए स्टॉर्टअप को बढ़ावा देना और ऐसा इकोसिस्टम बनाना है, जिससे यह तकनीक सस्ती हो और आम पहुंच के अंदर उपलब्ध हो जाए। इससे छोटे शहरों से आने वाले खिलाड़ी भी इस तकनीक का फायदा उठा सकेंगे।

5 प्रोफेसर और एक सीईओ की टीम लगी काम में
प्रोफेसर महेष पंचाग्नुला ने बताया कि इस कार्य में आईआईटी, मद्रास के 5 प्रोफेसर की टीम लगी हुई है। इनके साथ एक सीईओ भी कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि टीम ऐसे मॉडल विकसित कर रही है, जिससे खिलाड़ी के बॉयो मार्कर और परफॉर्मेंस मॉर्कर के आधार पर उनकी क्षमता बढ़ाई जाएगी। इसके अतिरिक्त, उनका मकसद खिलाडिय़ों को खेल के दौरान लगने वाली चोट को भी कम करना है ताकि इससे खेलों में कम से कम ड्रॉप आउट हों।

पुराने कोच और वरिष्ठ खिलाड़ी पहुंचे एक छत के नीचे
राष्ट्रीय खेल विज्ञान और अनुसंधान केंद्र के निदेशक ब्रिगेडियर विभु कल्याण नायक ने कहा कि हरियाणा सरकार के संयुक्त तत्वावधान में कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इस कार्यक्रम में एक छत के नीचे पुराने कोच और वरिष्ठ खिलाड़ी इक_ïा हुए हैं। इसमें अंजु बॉबी जॉर्ज और डॉ. अजय कुमार बंसल जैसे वरिष्ठ खिलाड़ी पहुंचे, जिन्होंने अपने अनुभव सांझा किए। उन्होंने खिलाडिय़ों को बताया कि किस तरह उन्हें खेलों के दौरान दिक्कतों का सामना करना पड़ा और भविष्य में दूसरे खिलाड़ी कैसे अपने खेल में और ज्यादा सुधार कर सकते हैं। विभु कल्याण ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से 300 करोड़ रुपये की लागत से राष्ट्रीय खेल विज्ञान एवं अनुसंधान केंद्र बनाया जा रहा है। इसके अंतर्गत खिलाडिय़ों की खेलों के दौरान लगने वाली चोट व उनकी परफॉर्मेंस को बढ़ाने के संबंध में शोध कार्य किए जा रहे हैं।

You cannot copy content of this page