हरियाणा में स्ट्रीट लाइट्स के टेंडर में घोटाला : अशोक बुवानीवाला  

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-जो काम सरकारी एजेंसी 600 करोड़ में करने को तैयार, उसे निजी क्षेत्र को साढ़े 1100 करोड़ में देने की तैयार
-टेंडर प्रकिया भी हो चुका है पूरा
-टर्न ओवर के नाम पर छोटी कंपनियों को किया गया दरकिनार
-ऐसे कैसे पनप पाएंगी छोटी औद्योगिक इकाइयां

गुरुग्राम, 23 जून 2021: राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने हरियाणा सरकार पर स्ट्रीट लाइट्स घोटाले का आरोप लगाते हुए कहा कि जो काम करीब 600 करोड़ रुपये में करने को केंद्र सरकार की एजेंसी तैयार है, सरकार उसे निजी क्षेत्र की कंपनियों को साढ़े 11 करोड़ रुपये में टेंडर देने जा रही है। इसके लिए 22 जून 2021 को टेंडर प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। ईमानदारी का ढोल पीटने वाली सरकार में यह बहुत बड़ा घोटाला, भ्रष्टाचार है।

संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने तथ्यों के आधार पर दावा किया है कि प्रदेश में स्ट्रीट लाइट्स के काम में बड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए टर्न ओवर में बढ़ोतरी करके सरकार ने छोटी कंपनियों (एमएसएमई) को तो इस प्रक्रिया से पहले ही बाहर कर दिया था। प्रदेश सरकार की ओर से स्ट्रीट लाइट्स लगाने के लिए साढ़े 1100 करोड़ का टेंडर निकाला गया। वहीं अगर इसी काम को केंद्र सरकार की एजेंसी एनर्जी एफिशियंसी सर्विस लिमिटेड (ऐस्सल) मात्र 600 करोड़ रुपये में कर सकती है। एजेंसी ने इसके लिए सरकार को प्रस्ताव भी भेजा, लेकिन उस पर कोई विचार नहीं किया गया। ऐसा करके हरियाणा सरकार ने केंद्रीय सतर्कता आयोग के दिशा-निर्देशों की भी अनदेखी की है।

नियमानुसार किसी भी टेंडर प्रक्रिया में एमएसएमई को भी टेंडर प्रक्रिया में शामिल किया जाना जरूरी होता है, लेकिन बड़ी कंपनियों के हिसाब से टर्न ओवर निर्धारित करने से सरकार ने एमएसएमई को टेंडर भरने से वंचित कर दिया। जबकि साढ़े 1100 करोड़ का यह टेंडर चार जोन में बंटा हुआ है। वित्त मंत्रालय की ओर से वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के समय में नोटिस जारी करके कहा था कि 2021 तक ईएमडी (अर्नेस्ट मनी डिपोजिट) नहीं ली जाएगी। ऐसा इसलिए किया गया, ताकि स्थानीय छोटी औद्योगिक इकाइयों को मदद करके आगे बढ़ाया जा सके। सरकार ने इस नियम को भी दरकिनार कर दिया।

मैंटेनेंस राशि में भी की बढ़ोतरी :

अशोक बुवानीवाला ने कहा, स्ट्रीट लाइट्स लगाने के साथ उनकी मैंटेनेंस राशि भी बढ़ा दी है। अन्य राज्यों नामत: जम्मू-कश्मीर में 330 रुपए मासिक प्रति लाइट मैंटेनेंस, यूपी में 290 रुपये, उत्तराखंड में 300 रुपये, हरियाणा के गुरुग्राम में मा 226 रुपये प्रति लाइट मासिक मैंटनेंस राशि ली जाती है। अब नये टेंडर में सरकार ने यह राशि 500 रुपये फिक्स कर दी है। इससे कम राशि मंजूर ही नहीं की गई। यानी मैंटेनेंस का रेट भी दुगुने के बराबर रख दिया गया। कम राशि में यह काम पहले से केंद्र सरकार की कंपनियां कर भी रही हैं। स्ट्रीट लाइट्स का काम मात्र 30 करोड़ रुपये का है और 30-40 करोड़ रुपये केबल का खर्च आएगा।

150 करोड़ का टर्नओवर की रखी शर्त :

श्री बुवानीवाला ने बताया कि सामान्य तौर पर तो कंपनी का टर्न ओवर देखा जाता है, लेकिन सरकार ने स्ट्रीट लाइट्स का टेंडर में शर्त रखी कि सिर्फ स्ट्रीट लाइट्स का टर्न ओर 150 करोड़ रुपये होना चाहिए। इस तरह से छोटी इकाइयों को मौका मिलना संभव नहीं। नियमों में साफ है कि छोटी इकाइयों का टर्न ओवर के अनुसार 30 फीसदी कम करना चाहिए, जबकि सरकार ने इसे पांच गुणा बढ़ा दिया। देश का 70 प्रतिशत आर्थिक फायदा एमएसएमई से होता है। इससे देश की इकॉनोमी चलती है। केंद्र सरकार एक तरफ तो इन्हें बढ़ावा देने की बात कह रही है, जबकि हरियाणा सरकार इसे कमजोर कर रही है। नियमों में सरकार द्वारा एमएसएमई को काम में 25 फीसदी छूट है। अर्नेस्ट मनी भी सरकार नहीं लेती। उन्होंने कहा है कि बहुत सी कंपनियों ने सरकार की टेंडर प्रक्रिया पर अपनी आपत्ति भी भेजी है, लेकिन सरकार ने इन्हें दरकिनार कर दिया। खास बात यह है कि सरकार ने कंपनी को 60 प्रतिशत पेमेंट माल की सप्लाई के साथ ही देने की बात कही है। यानी कंपनी को आधी से अधिक पेमेंट पहले ही मिल जाएगी।

राजस्थान की एजेंसी को दी मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी :

उन्होंने बताया कि पूरे टेंडर की मॉनिटरिंग के लिए राजस्थान की एक एजेंसी को काम दिया, जिसके बदले उसे सात प्रतिशत का खर्चा दिया जाएगा। जबकि शहरी विकास मंत्रालय के पास अपने काफी संख्या में इलैक्ट्रिक इंजीयिर व अधिकारी मौजूद हैं। ऐसे में बाहरी एजेंसी से मॉनिटरिंग करवाने की बजाय हरियाणा में ही दूसरे विभाग से यह काम करवाया जा सकता था। इसके साथ ही प्रोजेक्ट डेवेलप एजेंसी की जिम्मेदारी भी फिक्स नहीं की गई, जबकि वह 7 प्रतिशत खर्चा भी ले रही है। प्रति वर्ष 10 प्रतिशत कोस्ट बढ़ाने की बात भी न्यायसंगत नहीं है जब कि महंगाई दर के मुताबिक ये कॉस्ट सात वर्ष के बाद मैटीरियल के आधार पर होती है। ठेकेदार को मैटीरियल का 60 प्रतिशत पैसा पहले ही दिन मिल जाएगा व कम्पलीशन 90 प्रतिशत काम पर मिल जाएगा, ये टेंडर में बड़ी खामी है। केंद्रिय सतर्कता आयोग ने ट्रैडर प्रणाली के देश व प्रदेश में मानक तय किए हैं कोई भी प्रदेश उससे बाहर की सी प्रकार के नियम व कानून तय नहीं कर सकता, परन्तु इस टेंडर में कीसी बड़े आदमी को फायदा पहुंचाने के लिए मानक बनाए गये है।

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