नई दिल्ली : रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने दुर्गम पहाड़ियों में अत्यधिक ऊंचाई वाले इलाकों पर तैनात सैनिकों के लिए एसपीओ2 (SpO2- ब्लड ऑक्सीजन सैचुरेशन) आधारित पूरक ऑक्सीजन वितरण प्रणाली विकसित की है। डीआरडीओ की डिफेन्स बायो-इंजीनियरिंग एंड इलेक्ट्रो मेडिकल लैबोरेट्री (डीईबीईएल), बेंगलुरु द्वारा एसपीओ2- स्तरों पर विकसित यह प्रणाली अतिरिक्त मात्रा में ऑक्सीजन आपूर्ति करती है और व्यक्ति को ऐसी बेहोशी- हाईपोक्सिया में जाने से बचाती है जो कई स्थितियों में घातक सिद्ध होती है। यह स्वचालित प्रणाली वर्तमान समय में फैली हुई वैश्विक महामारी कोविड-19 परिस्थितियों में भी एक वरदान सिद्ध हो सकती है।
मेडिकल ग्रेड सिलैंडर मॉडल सं. एसीई -10 एल-152
हाईपोक्सिया वह स्थिति है जब शरीर के ऊतकों में पहुँच रही ऑक्सीजन की मात्रा शरीर की आवश्यकता पूरी करने के लिए अपर्याप्त हो, ठीक ऐसी ही स्थिति वायरस संक्रमण से ग्रस्त कोविड रोगियों में दिखती है और इस समय चल रही संकटपूर्ण स्थिति का प्रमुख कारण भी है।
इस प्रणाली का इलेक्ट्रोनिक हार्डवेयर अत्यधिक ऊंचाई वाले पहाड़ी स्थानों के कम बैरोमेट्रीक दवाब, कम तापमान और आर्द्रता वाली स्थितियों में काम कर सकने के लिए बनाया गया है। इसमें लगाए गए सॉफ्टवेयर सिक्योरिटी चेक्स (अवरोधक) जमीनी परिस्थितियों में इस प्रणाली की कार्यात्मक विश्वसनीयता को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक रूप से महत्वपूर्ण हैं ।
ऑक्सीजन रेगुलेटर
यह प्रणाली हाथ की कलाई में पहने जाने वाले वायरलेस इंटरफेस के माध्यम से पल्स ऑक्सीमीटर मौड्यूल का उपयोग करके रोगी का एसपीओ2 स्तर देख लेते हैं और ऑक्सीजन आपूर्ति को सुचारू बनाने वाले एक प्रोपोर्शनल सोलेनोयेड वाल्व को नियंत्रित करती है। ऑक्सीजन की आपूर्ति एक पोर्टेबल कम भार वाले ऑक्सीजन सिलेंडर से नाक में की जाती है। यह प्रणाली एक लीटर से एक किलोग्राम भार वाले सिलेंडर जिसमें 10 लीटर से 150 लीटर तक की ऑक्सीजन आपूर्ति से लेकर 10 लीटर एवं 10 किलोग्राम भार वाले 1,500 लीटर की ऑक्सीजन को दो लीटर प्रति मिनट (एलपीएम) की दर से 750 मिनट तक ऑक्सीजन की आपूर्ति करने में सक्षम है।
चूँकि यह प्रणाली क्षेत्रीय स्थितियों में काम करने के लिए स्वदेश में ही विकसित की गयी है इसलिए इसका मजबूत, दुरुस्त और कम लागत वाला होना इसकी विशेषता है। इसका उद्योग जगत पहले से ही बड़ी मात्रा में उत्पादन भी कर रहा है ।
वर्तमान वैश्विक महामारी की परिस्थितियों में यह प्रणाली एक वरदान ही है क्योंकि 2/5/7/10 एलपीएम के नियंत्रित ऑक्सीजन बहाव के साथ इसे मध्यम श्रेणी के कोविड रोगियों को उनके घरों में ही ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इसका स्वचालित होना ही घरों में सबसे अधिक लाभकारी है क्योंकि एसपीओ2 स्तर कम होते ही इसका ऑक्सीमीटर चेतावनी (अलार्म ) देने लगता है। एसपीओ2 सेटिंग पर आधारित इसका प्रवाह स्वयं ही ऑक्सीजन की मात्रा को घटा/ बढ़ा सकता है। और इसे 2,5, 7, 10 एलपीएम दर पर एडजस्ट किया जा सकता है। सर्वश्रेष्ठ ऑक्सीजन (O2) प्रवाह शरीर में ऑक्सीजन के स्रोत/ प्रबंधन को सुरक्षित रखता है और व्यक्ति की सहन शक्ति को बहुत बढ़ा देता है।
इसकी उपलब्धता और जन सामान्य द्वारा इसके आसानी से इस्तेमाल की सुविधा के कारण यह प्रणाली रोगियों के एसपीओ2 स्तर की निगरानी कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों और चिकित्सकों के काम का बोझ एकदम से कम करने के साथ-साथ उन्हे संक्रमण से भी बचाएगी। कम ऑक्सीजन स्तर (यूजर्स प्री-सेट, <90%, <80%) एक कैलिब्रेटेड फ्लो कंट्रोल वाल्व (पीएफसीवी) के माध्यम से स्वचालित कैलिब्रेटेड परिवर्तनीय प्रवाह नियन्त्रण किए जाने से ऑक्सीजन की कम लागत पर उचित आपूर्ति ( ±0.5 एलपीएम के साथ 1-10 एलपीएम ) हो सकेगी। एक मध्यम श्रेणी के कोविड रोगी को 10 लीटर/ 150 बार्- 10 किग्रा-1500 लीटर ऑक्सीजन की लम्बे समय तक नियंत्रित आपूर्ति की आवश्यकता होती है जो 750 मिनट तक चल सके।
इस स्वचालित आसानी से प्रयोग की जा सकने वाली ऑक्सीजन आपूर्ति प्रणाली का ऐसे संकट के समय उपलब्ध हो जाना किसी वरदान जैसा ही है जब उपलब्ध चिकित्सीय संसाधनों का उनकी अधिकतम सीमा तक उपयोग कर लिया गया हो। इसकी उपलब्धता को बढाने से देशभर में बहुत बड़ी संख्या में सामने आ रहे कोविड रोगियों के उपचार का प्रबन्धन करने में आ रही कठिनाइयों से निजात मिल सकेगी।