पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो की बैठक
राज्यों के पुलिस प्रमुखों ने दिए सुझाव
नई दिल्ली : मोदी सरकार अपराधियों को आसानी से मिलने वाली जमानत सम्बन्धी आसन कानूनी प्रावधानों को सख्त बनाना चाहती है. विधि आयोग को भारत सरकार से प्राप्त संदर्भ पर जमानत से संबंधित मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श कर रहा है. आयोग ने देश के सभी राज्यों के पुलिस प्रमुखों से उनके अनुभव व जमानत के कानून की खामियों को उजागर करने को कहा है. विधि आयोग के इच्छानुसार पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो ने अपने मुख्यालय में गोलमेज बैठक आयोजित कर इस मामले पर विचार किया.
उल्लेखनीय है की हाल के वर्षों में कई राज्यों में आपराधिक दुनिया के बड़े नामों को कानून की खामियों का फायदा उठाते हुए जमानत लेने की घटनाएं चर्चा मने रहीं हैं. इससे पुलिस बेहद परेशान होती है और उसकी ईमेज को नुक्सान पहुँचता है. दूसरी तरफ पुलिस कड़ी मशक्कत के बाद अपराधियों को पकडती है लेकिन कानूनी खामियों का फायदा उठा कर संगीन मामलों के अपराधी को भी जमानत मिल जाती है. केंद्र सरकार इस स्थिति को बदलना चाहती है.
इस दृष्टि से हुयी बैठक में केन्द्रीय जांच एजेंसियों- केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) और आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, ओडिशा, राजस्थान, गुजरात, झारखंड, तमिलनाडु और दिल्ली के पुलिस प्रतिनिधियों ने भी अपने सुझाव दिए हैं.
विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति डॉ बी एस चौहान और आयोग के तीनों सदस्य न्यायमूर्ति रवि आर त्रिपाठी, प्रो एस शिवकुमार और डॉ संजय सिंह ने इस चर्चा में शामिल हुए. विधि आयोग के सलाहकार और अन्य अधिकारी भी बैठक में मौजूद थे.
पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो के महानिदेशक डॉ. मीरन सी बोरवांकर, अतिरिक्त महानिदेशक परवेज हयात, निदेशक (प्रशिक्षण), निदेशक (आधुनिकीकरण) और निदेशक (अनुसंधान) भी इस बैठक में उपस्थित थे.
बताया जाता है की बैठक में जमानत के कानून के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया गया. इनमें वर्तमान व्यवस्था के तहत पुलिस के समक्ष आने वाली कठिनाइयां भी शामिल हैं। इस मुद्दे की जटिलता को कम करने के लिए जमानत देने के मानदंड और शर्तों से संबंधित सिफारिशें की गईं. बैठक में अग्रिम जमानत, जमानत पाने के लिए फर्जी कागजात का उपयोग, जमानत याचिका की सुनवाई में पीडि़त की भूमिका, विदेशियों से संबंधित जमानत और आपराधिक प्रक्रिया कोड की धारा 436(ए) के कार्यान्वयन पर भी चर्चा हुई.