जिसको छूआ उसी का कर दिया बेडा गर्क
अब MLA को भी तरेड़ रहा है आखें !
गुडगाँव : पिछले कई दिनों से शहर की गलियों में जबरदस्त चर्चा छिड़ी हुई है कि गली में पला, गली में ही बढ़ा, कबाड़ बिन कर जिन्दगी की शुरुआत की, गली को ही बेचा, गली को खाया, और अब मंत्री का चमचा बन गया. अब यही चमचा प्रदेश भर में सबसे अधिक रिकॉर्ड तोड़ वोट लेकर बने MLA को आँखें तरेड़ रहा है. चर्चा में यह भी है कि यह चमचा अपने मंत्री को भरोसा दिलाता है कि इस बार चाहे कुछ भी हो जाए इस MLA को पहले तो पार्टी से टिकट नहीं लेने दूंगा. अगर टिकट ले भी आया तो कोई माई का लाल इसे विधान सभा चुनाव जिता नहीं सकता. गली के इस नेता के और भी कई चौकाने वाले दावे चर्चा में हैं.
पहले बिनते थे कबाड़:अब गली का नेता
चर्चा के अनुसार एक ख़ास गली के इस नेता उर्फ़ मंत्री के इस चमचा के बारे में कहा जाता है गलियों में कबाड़ बिनते बिनते खुद तो नेता बन गए, लेकिन जिसने भी इसको नेता बनाने में हाथ बंटाया, उसकी जिन्दगी आज कबाड़ से भी बदतर बन गयी. चर्चा में कहते हैं कि सबसे पहले एक दाढ़ी वाले नेता ने इसे लोजपा में शामिल करवाया थ. लोजपा में शामिल करवाने वाले नेता की हालत यह है कि वह आज राजनीति से संन्यास लेकर औघड़ जैसी जिंदगी जीने को मजबूर है.
ऐसे उद्योगपति हो गये खाकपति
चर्चा यहीं खत्म नहीं होती, चर्चा तो यह है कि आज कल सुबह शाम गली के सिर्फ इस नेता की ही चर्चा होती रहती है. चर्चा में कहा जाता है कि एक उद्योगपति जिसका चीनी मिट्टी से सम्बंधित क्रोकरी की फैक्ट्री होती थी. उनकी फैक्ट्री में सैकड़ों की संख्या में कारिंदे काम करते थे और आज के मंत्री का यह चमचा तब चाय बेचने के काम करता था. उद्योगपति महोदय गली के इस नेता का चाय पीते पीते इतने मशगूल हो गए कि उनके संपर्क में कब औए कैसे आये उनको पता ही नहीं चला. जब पता चला तब तक उनकी फैक्ट्री बिक चुकी थी और आज अफ़सोस की जिंदगी बिताने को मजबूर हैं.
कलमकार भी हुआ शिकार
चर्चा के अनुसार जब उस उद्योगपति का बड़ा गर्क हो गया तब इस गली के नेता की चपेट में बेचारे कुछ निरीह कलमकार भी आ गये. एक कलमकार ने इस गली के नेता की नेतागिरी चमकाने की शपथ ही खा ली थी, लेकिन उसे बहुत जल्द समझ में आ गया कि यहाँ 15 – 20 ग्राम की मूंगफली से ज्यादा कुछ भी नहीं है. शायद वह कलमकार (पत्रकार) समय से पहले इस स्थिति को भांप कर अपनी जिंदगी कबाड़ होने से पहले निरुत्साह होकर जगह छोड़ कर चले गए. इस कलमकार के जाते ही इस गली के नेता के चक्कर में एक और कलमकार फंस गए. इस कलमकार को अपने लिखाड़ पर इतना गर्व था कि इसने सोचा कि गली के इस नेता को गली से निकाल कर हर हाल में राष्ट्रीय नेता बना दूंगा. यही सोच कर इस कलमकार ने गली के नेता को अपने रसूख से सपा में शामिल करवा दिया. चर्चा यह है कि सपा में शामिल करवा कर इस गली के नेता को पार्टी में पहले तो बड़ा पद भी दिलवा दिया. उसके बाद अपने रसूख के घमंड में चूर इस कलमकार ने इस गली के नेता से ताबड़तोड़ कई रैलियां करवा दी. यह ताबड़तोड़ रैली इतनी सफल हुयी कि जिला प्रशासन के तत्कालीन बड़े बड़े अधिकारी भी इस गली के नेता से खौफ खाने लगे थे. उस कलमकार के प्रयास से गली का नेता चमक तो गया लेकी उस कलमकार की हालत अब ऐसी हो गयी जैसी की इस गली के नेता को मदद करने वाले उपरोक्त उद्योगपति और राजनेता की है.
कलमकार ने ही कराया था बीजेपी में शामिल
चर्चा में यह भी कहा जा रहा है कि जब इस गली के नेता के सम्पर्क में आने वाले दूसरे कलमकार की जिन्दगी झंड हो गयी और वे शहर छोड़ कर चले गए तब इस गली के नेता ने अपनी सोलह कलाओं में से एक शातिर कला का उपयोग करते ही एक तीसरे कलमकार की आड़ ले ली.
चर्चा में हास्यास्पद देखिये कि इस कलमकार को भी अपने ऊपर इतना गुरुर, घमंड और अंहकार था कि गली कूची के इस बेपेंदी नेता को उठा कर बीजेपी जैसी राष्ट्रीय पार्टी में रातोरात शामिल करवा दिया. इस कलमकार पर अहंकार इतना हावी हो गया था कि उस पर इस गली के नेता उर्फ़ मंत्री के चमचा को अंतर्राष्ट्रीय नेता बनाने का भूत सवार हो गया था. उसे पार्टी में न सिर्फ राज्य स्तर का पद दिलवाया बल्कि अटल – आडवानी जैसे नेताओं से इस कदर मिलवाया जैसे कोई अपने परिवार के सदस्य से मिल रहा हो. चर्चा में कहा जाता है कि इसी पत्रकार ने इस गली के नेता को पार्षद चुनाव लडने को प्रेरित किया और न सिर्फ लडवाया बल्कि अपनी रणनीति से जितवाया भी..
कलमकार की ऐसे हुई जिन्दगी झंड
लोग इस बात की चर्चा चटकारे ले ले कर करते हैं कि जैसे ही गली का यह नेता पार्षद का चुनाव जीता वैसे ही उसके भाग्य के दशो दरवाजे खुल गए. शहर में चर्चा जोरों है कि पार्षद बनने के साथ ही इस नेता के हाथ में एक झटके में पचासों लाख आ गए. यह चर्चा सात साल पहले जिस तरह से थी आज भी उसी तरह से यह चर्चा सिर चढ़ कर बोल रही है. खैर जो भी हो, गली के इस नेता के भाग्य के दशो दरवाजे खुल तो गए पर इस कलमकार की भी वही हालत हुई जो उपरोक्त लोगों की हुई. 50 लाख मिलने के बाद न सिर्फ इस कलमकार की नहीं बल्कि जितने भी इनके शुभचिंतक और कार्यकर्ता थे सभी क्रूरता के साथ इस कदर एक झटके में किनारे कर दिए गए जैसे उनसे उनसे कभी जान पहचान ही नहीं थी.
मंत्री ने पिलाई थी मोगली घुट्टी 555
क्योंकि इस चर्चा का पहला एपिसोड ख़त्म होने को है इसलिए बताना जरूरी है कि यही गली का नेता अब एक मंत्री का बहुत बड़ा चमचा है और अपने आप को पटौदी का भावी विधायक मान कर मदमस्त हाथी की तरह गली में चल रहा है. और विधायक माने भी क्यों नहीं क्योंकि मंत्री ने उन्हें मोगली घुट्टी 555 ऐसा पिला रखा है कि पटौदी का अगला विधायक कोई और नहीं वही है. चर्चा है कि इसके पहले भी उसी मंत्री ने गली के इस नेता को पार्षद का टिकट दिलवाने की मीठी गोली दी थी और फिर बाद में उसे मेयर बनवाने की भी घुट्टी पिलाई थी जो इसके लिए कडवी खूंट साबित हुई थी.
MLA की करावाएंगे जमानत जब्त
इसी सपने को देखते हुए गली का नेता उर्फ़ मंत्री का चमचा पिछले कुछ सालों से उस MLA पर आँखें तरेड़ रहा है जिसने इसे सारी हदें पार कर बीजेपी में शामिल करवाया था. लेकिन आज वह MLA मंत्री के इस चमचे के लिए पराया हो गए और मंत्री हो गए खासमखास. गली के नेता की आँखों में इतना भी शर्मा नहीं कि किस किस ने उसकी कैसे कैसे मदद की. अब प्रदेश में सबसे अधिक वोटों से जीतने वाले विधायक को वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में जमानत तक जब्त करवाने की बात कह कर गली का यह नेता उर्फ़ मंत्री का चमचा ताल ठोंकता नजर आता है. गली का यह नेता यही दावे ठोंक कर मंत्री के सामने खुद की पीठ थपथपाता है. चर्चा यह भी जोरों पर है कि लोग अब मंत्री को सलाह देने लगे हैं कि गली के इस नेता से जल्द पीछा छुडाओ नहीं तो वही हश्र होगा जो उक्त राजनेता, उद्योगपति और कलमकारों का हुआ है.