भाजपा का पाला पकड़ सकतीं हैं रीता बहुगुणा ?

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कांग्रेस के कई नेता छोड़ सकते हैं पार्टी

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के चुनावी माहौल के मद्देनजर कई कांग्रेसी नेताओं के पार्टी छोड़ने की अटकलें तेज हो चलीं हैं. खबर है कि कभी भारतीय राजनीति के दिग्गज नेता हेमवती नंदन बहुगुणा की बेटी रीता बहुगुणा भी भाजपा का पाला पकड़ सकतीं हैं. चर्चा जोरों पर थी कि पूर्व कांग्रेसी और अब भाजपा  नेता विजय बहुगुणा रीता बहुगुणा से मिलने जाने वाले थे.

 

लेकिन अब वह अपने पिता जी के नाम पर बनी हेमवती नंदन बहुगुणा यूनिवर्सिटी जा रहे हैं. उस यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम है जिसमें केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर भी शामिल होने उत्तराखंड जा रहे हैं. हालाँकि विजय बहुगुणा ने कहा है कि रीता की तबीयत खराब है. वह उनसे मिलने जाने वाले थे.

जल्द हो सकता है निर्णय

उन्होंने दावा किया कि ये अटकलें हैं. मेरा यह मानना है कि रीता जी को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए. जाहिर है जिस तरह की अटकलें तेज हो चलीं हैं उससे लगता है कांग्रेस को जल्द ही एक बड़ा झटका लग सकता है. रीता बहुगुणा जोशी यूपी कांग्रेस की अध्यक्ष रह चुकी हैं. सूत्र दावा कर रहे हैं कि रीता बहुगुणा बीजेपी नेताओं से लगातार  संपर्क में हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस की ओर से इस बारे में कुछ नहीं कहा गाया है. खबर है कि पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा की पुत्री रीता और भाजपा नेताओं के बीच बातचीत हुई है. उन्होंने कहा कि उन्हें पार्टी में शामिल करने पर निर्णय जल्द हो सकता है.

 

क्यों नाराज हैं रीता ?

रीता बहुगुणा वर्तमान में लखनऊ कैंटोमेंट विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की  विधायक हैं. समझा जाता है कि रीता, उत्तर प्रदेश में शीला दीक्षित को कांग्रेस का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाये जाने से कांग्रेस नेतृत्व से नाराज हैं. दूसरी तरफ राज बब्बर को उत्तर प्रदेश पार्टी प्रमुख बनाये जाने से वे स्वयं को उपेक्षित महसूस कर रहीं हैं.

 

कहा जा रहा है कि एक ब्राह्मण मुख्यमंत्री चेहरे के तौर पर पेश करने के लिए रीता बहुगुणा स्वयं को शीला दीक्षित से अधिक मजबूत दावेदार मानती हैं. राजनितिक विश्लेषक मानते हैं कि रीता को इस बार सपा प्रत्याशी से कड़ी टक्कर मिलने वाली है इसलिए उन्हें मजबूत डाल पकड़ने की आवश्यकता है.

सपा की घोषणा से परेशान

सपा ने घोषणा की है कि मुलायम सिंह यादव की पुत्रवधु अपर्णा यादव लखनऊ कैंट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगी. रीता बहुगुणा के भाई एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा कुछ महीने पहले ही भाजपा में शामिल हुए थे.

अब रीता बहुगुणा का कांग्रेस छोड़ कर  भाजपा में शामिल होना उत्तर प्रदेश में पार्टी के लिए लाभकारी हो सकता है. भाजपा प्रदेश में ब्राह्मण वोट को अपने पक्ष में करना चाहती है. कांग्रेस ने भी ब्राह्मण वोट को ध्यान में रख कर ही शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है.

 

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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