पानीपत में स्कॉडा सिस्टम के तहत 11000 स्मार्ट मीटरों की स्थापना : 10 लाख स्मार्ट मीटर लगाने का प्रोजेक्ट भी तैयार

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चंडीगढ़, 3 जुलाई- स्कॉडा सिस्टम के तहत 11000 स्मार्ट मीटरों की स्थापना हरियाणा के पानीपत में की गई और यह पायलट परियोजना देश में पहली बार सफलतापूर्वक चालू की जा रही है। इसके अलावा, ईईएसएल के सहयोग से 10 लाख स्मार्ट मीटरों के रोल-आऊट के लिए एक प्रोजेक्ट को भी अन्तिम रूप दिया गया है तथा यह कार्यान्वयन फेज तक पहुंच चुका है। गुरूग्राम में स्मार्ट ग्रिड प्रोजेक्ट का कार्य भी तेजी से शुरू हो चुका है।
यह जानकारी आज शिमला में राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों के बिजली तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रियों के एक सम्मेलन में हरियाणा के परिवहन एवं आवास मंत्री श्री कृष्ण लाल पंवार ने दी। इस मौके पर हरियाणा के नवीन एवं नवीकरणी ऊर्जा मंत्री डॉ. बनवारी लाल भी उपस्थित थे। सम्मेलन की अध्यक्षता केंद्रीय बिजली तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्री आर.के. सिंह ने की। सम्मेलन में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर भी उपस्थित थे।
उन्होंने बताया कि राज्य में बिजली की गुणवत्तापरक आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त इन्ट्रास्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम भी विकसित किया गया है। पिछले 3 वर्षों में 1253 करोड़ रूपये की लागत पर प्रसारण कंपनी द्वारा 25 नए ग्रिड सब-स्टेशन (66 केवी एवं इससे ऊपर), 968.28 किलोमीटर प्रसारण लाईनों तथा 150 ग्रिड सब-स्टेशनों की क्षमता में वृद्धि की गई है। इसके परिणामस्वरूप, राज्य 25 जून 2018 को अब तक की अधिकत्तम प्रतिदिन 2135 लाख यूनिट बिजली आपूर्ति करने में सफल हुआ है। राज्य में प्रसारण प्रणाली की उपलब्धता, राज्य विनियामक आयोग द्वारा निर्धारित मापदण्ड के अनुसार, 99 प्रतिशत से ऊपर रही है। प्रसारण प्रणाली को आगे मजबूत करने के लिए, अगले 5 वर्षो (वित्त वर्ष 2022-23) में लगभग 4035.472 करोड़ रूपये की लागत पर 1818.167 किलोमीटर प्रसारण लाईनों सहित 11628 एमवीए के साथ 284 वर्तमान सब-स्टेशनों की क्षमता में वृद्धि, 10989 एमवीए क्षमता के साथ 68 नए ग्रिड सब-स्टेशन जोडऩे की योजना है।
उन्होंने बताया कि दोनों डिस्कॉमस के ए.टी. एण्ड सी. लॉसिज में सराहनीय कमी की गई है। यह विभिन्न कदमों जैसे शहरी क्षेत्रों में फीडर सेनीटाईजेशन, ग्रामीण क्षेत्रों मे म्हारा गांव जगमग गांव योजना, एग्रेसिव थेफ्ट डिटेक्शन कैम्पेन, इफेक्टिव मैन मैनेजमेंट, प्रोत्साहन तथा पुरस्कार योजना लागू करना, ऑटोमेटिड डिमांड फोरकास्टिंग तथा उचित शेडयूलिंग, एनर्जी ऑडिटिंग, ऑऊटेज मैनेजमेंट सिस्टम, एलईडी बल्बों को बढ़ावा देना आदि के कारण संभव हुआ है। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि स्वामित्व की भावना जागृत करने के लिए ‘‘उदय’’ की प्रमुख विशेषताएं डिस्कॉमस के प्रत्येक व्यक्ति को बताई गई है। राज्य स्तर पर, इस वर्ष एटी एण्ड सी लॉसिज 20.20 प्रतिशत तक कम किए गए हैं, जोकि पिछले वर्ष के 25.69 प्रतिशत लॉस स्तर की तुलना में 5.49 प्रतिशत कम है। इस वर्ष हरियाणा डिस्कॉमस के 20.20 प्रतिशत के कुल लॉस स्तर की तुलना, ‘‘उदय’’ के लक्ष्य 20.04 प्रतिशत के साथ भली भांति की जा सकती है।
मंत्री ने बताया कि दोनों डिस्कॉमस ने उदय लक्ष्य के एक साल पहले ही फाईनेंसियल टर्न अराऊंड प्राप्त किया है तथा पिछले वर्ष के दौरान 193.05 करोड़ रूपए के लॉस की तुलना में वित्त वर्ष 2017-18 में अस्थाई रूप से 115.68 करोड़ रूपए का लाभ हुआ है। उन्होंने बताया कि ऑनलाईन उपभोक्ता सेवाओं जैसे-नए कनैक्शन जारी करना, लोड बढ़ाना, लोड घटाना, मीटरिंग संबंधी शिकायत, बिजली बिलों का भुगतान करना आदि का प्रावधान किया गया है। नया कनैक्शन जारी करने की प्रक्रिया को आसान किया गया है। दोनों डिस्कॉमस ने फेसलेस, कैशलेस तथा पेपरलेस मोड में सेवाएं प्रदान करने के लिए राज्य सरकार के दृष्टिकोण को लागू किया है। उपभोक्ताओं की संतुष्टि तथा लक्ष्य हासिल करने के लिए थर्ड पार्टी जैसे अटल सेवा केन्द्र (ए.एस.के.), ई-दिशा केन्द्र, पेमेंट गेटवे, वॉलेट जैसे- पेटीएम तथा एम-पैसा को डिस्कॉमस सिस्टम के साथ जोड़ा गया है।
इसके अतिरक्ति, मैनुअल मीटर रीडिंग की प्रणाली, जो राजस्व हानि तथा उपभोक्ता की असंतुष्टि को बढ़ावा दे रही थी, को मैनुअल/मानव हस्ताक्षेप के बिना हैंड हेल्ड डिवाईस के माध्यम से ऑटोमेटिड मीटर रीडिंग के साथ बदला गया है। कस्टमर केयर सेंटर का सुधार किया गया है। राज्य में आसान टोल फ्री नम्बर 1912 चालू किया गया है। इसके अतिरिक्त, पब्लिक के साथ अच्छा बर्ताव करने तथा बेहतर आंतरिक चौकसी के लिए एक फीडबैक कॉल सेंटर भी बनाया गया है।
उन्होंने बताया कि आज राज्य के पास कुल स्थापित तथा अनुबंधित उत्पादन क्षमता 11342.42 मेगावाट है जिसमें 8322.84 मेगावाट कोल थर्मल, 1953.13 मेगावाट हाईड्रो, 673.12 मेगावाट गैस, 100.93 मेगावाट परमाणु तथा 292.4 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा शामिल है। इसमें से, 24.67 प्रतिशत राज्य की अपनी, सांझे क्षेत्रीय प्रोजेक्ट बी.बी.एम.बी. से 7.47 प्रतिशत, सी.पी.एस.यू. से 26.64 प्रतिशत तथा आई.पी.पी. से 41.20 प्रतिशत है। यद्यपि, लागू पी.एल.एफ. के साथ उपलब्ध वास्तविक बिजली 8000-8800 मेगावाट के बीच है। इस प्रकार राज्य के पास पीक तथा ऑफ पीक मांगां का ध्यान रखने के लिए संतोषजनक मिश्रित उत्पादन है। राज्य, मौसम संबंधी बदलाव की मांगों को पूरा करने के लिए बिजली की बैंकिंग में अन्य राज्यों के साथ भी भागेदारी कर रहा है। बिजली लागत कम करने तथा उचित उपलब्धता के लिए उत्पादन यूनिटों के मैरिट ऑर्डर डिस्पैच का अनुसरण किया जाता है।
उन्होंने बताया कि शहरी तथा औद्योगिक श्रेणियों के उपभोक्ताओं को पर्याप्त 24 घंटे बिजली उपलब्ध करवाई जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की गुणवत्ता वर्षां से चिंता का कारण बनी हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्रों के समान बिजली आपूर्ति में सुधार करने का मुद्दा हमारी सरकार द्वारा प्राथमिकता पर उठाया गया था तथा 1 जुलाई, 2015 को एक प्रोत्साहन योजना यानी ‘‘म्हारा गांव जगमग गांव’’ शुरू की गई थी। यह योजना स्थानीय प्रतिनिधियों, ग्रामीणों, पंचायतों, स्थानीय प्रशासन तथा बिजली यूटिलिटीज के जमीनी स्तर की भागेदारी के सिद्धांतों पर आधारित है। इस योजना के तहत, ग्रामीणों की वितरण प्रणाली में सुधार किया जा रहा है तथा गांवों को संशोधित बिजली आपूर्ति घंटे, ए.टी. एण्ड सी. लॉस के विभिन्न मापदण्डों को हासिल करने के आधार पर दिए जा रहे है। इस योजना को काफी सफलता मिली है तथा राज्य के 2100 से ज्यादा गांव 24 घंटे सप्लाई पर लाए गए हैं। 686 गांव 15 से 21 घंटे बिजली ले रहे हैं। पांच जिलों यानी पंचकूला, अम्बाला, फरीदाबाद, गुरूग्राम तथा सिरसा के 100 प्रतिशत गांव शहरी पद्धति पर बिजली सप्लाई प्राप्त कर रहे हैं। इन गांवों में वितरण नेटवर्क का पूरी तरह सुधार किया गया है। इसके अतिरिक्त, इस योजना के तहत ऊर्जा कुशल उपकरणों को बढ़ावा देने से ग्रामीणों को अपने बिजली के बिलों में कमी करने में भी सहायता मिली है। ए.टी. एण्ड सी. लॉसिज 60 प्रतिशत के स्तर से लगभग 20 प्रतिशत तक आ चुके हैं। इस योजना का लक्ष्य 24 घंटे में दिए गए रोड़ मैप के अनुसार 2018-19 तक राज्य के सभी गांव शामिल करना है।
उन्होंने बताया कि राज्य में छोटे बिखरे हुए समूहों तथा छोटे गांवों अर्थात डेरा/ढ़ाणियां कृषि फीडरों पर जुड़े होने के कारण अपर्याप्त आपूर्ति घण्टां की समस्या का सामना कर रहे हैं, जिसके लिए आपूर्ति घण्टे फसल तथा प्रणाली उपलब्धता की मांग अनुसार रेगुलेट किए जाते हैं। राज्य में 51000 से अधिक ढाणियां हैं। इस मुद्दे का हल करने के लिए, लगभग 12 घंटे प्रतिदिन बढ़ाई गई बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु कृषि फीडरों पर पॉयलट एडवांस ट्रांसफार्मर (पी.ए.टी.) लगाए गए हैं। इस योजना के तहत 40000 से अधिक ढाणियां शामिल की गई हैं। शेष 2018 के अन्त तक शामिल की जाएंगी।
उन्होंने बताया कि राज्य में बहुत कम अवधि के अन्दर रियायती दर पर 1.51 करोड़ एल.ई.डी. बल्ब, 1.91 लाख एनर्जी एफिसिएंट ट्यूबलाईट तथा 0.53 लाख एनर्जी एफिसिएंट फैन पहले ही बांटे जा चुके हैं। एल.ई.डी. लैम्पों को बड़े पैमाने पर लगाने से राज्य में 218 मेगावाट तक पीक डिमांड को कम करने में काफी सहायता मिली है तथा इसके परिणामस्वरूप उपभोक्ताओं के बिजली बिलों में 70 रूपए प्रतिमाह की मासिक बचत भी हुई है।
मंत्री ने बताया कि डिस्कॉमस ने बिजनेस को सरल करने के लिए सभी सिफारिशों का कार्यान्वयन किया है। आवेदक को अब बिजली कनैक्शन लेने के लिए केवल दो दस्तावेज जमा करवाने की आवश्यकता है। अब 33 केवी स्तर तक इलैक्ट्रिकल इंस्पेक्टर द्वारा प्रमाणीकरण की कोई आवश्यकता नहीं है तथा थर्ड पार्टी के माध्यम से स्वयं प्रमाणीकरण ही पर्याप्त है। नए कनैक्शन के लिए ऑन लाईन सिस्टम चालू किया गया है, जिसमें फार्म को ऑन लाईन जमा करवाने, दस्तावेजों को अपलोड करने तथा निगम कार्यालयों में बिना किसी व्यक्तिगत विजिट के प्रभारों के भुगतान की सुविधा प्रदान की जाती है। यह सुनिश्चित करने हेतु डोर-स्टैप सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रक्रिया को री-इंजीनियर किया जा रहा है जिससे कि एप्लीकेशन के 7 दिनों के अन्दर कनैक्शन जारी किए जा सकें।
इसके अलावा, आर-ए.पी.डी.आर.पी. पार्ट-ए प्रोजेक्ट के अन्तर्गत सभी 36 कस्बों को गो-लाईव किया गया है तथा कस्बों के सभी बिजनेस कार्य आर.-ए.पी.डी.आर.पी. प्लेटफार्म पर किए जा रहे हैं। विद्युत मंत्रालय सहित सहमत योजना के अनुसार आई.पी.डी.एस. के अन्तर्गत शेष कस्बों तथा ग्रामीण क्षेत्रों को आई.टी. सक्षम किया जा रहा है।

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