“गांव ग़ैरतपुर बास और रायसीना की 65 एकड़ वेशकीमती जमीन पर अवैध कब्जा करने वालों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा शीघ्र दर्ज होगा”

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कालोनाइजर और खरीददार दोनों के खिलाफ कार्रवाई की संभावना

40 एकड़ जमीन गांव गैरतपुर बास की पंचायती जमीन जबकि 25 एकड़ जमीन उन दो गांव के बीच का गैप एरिया

सुनिए ! इस मा मले पर डी सी गुरुग्राम विनय प्रताप सिंह ने क्या कहा : 

सुभाष चौधरी/प्रधान सम्पादक

गुरुग्राम । जिला गुरुग्राम के गांव ग़ैरतपुर बॉस और रायसीना की 65 एकड़ वेशकीमती जमीन पर अवैध कब्जा करने वालों के खिलाफ जिला प्रशासन जल्दी ही आपराधिक मुकदमा दर्ज करवाएगा। इसमें कालोनाइजर और खरीददार दोनों पर कार्रवाई होगी और संबंधित जमीनों की रजिस्ट्री रद्द होने के प्रबल आसार है। यह कहना है जिला के उपायुक्त विनय प्रताप सिंह का।

जिला उपायुक्त ने thepublicworld.com न्यूज पोर्टल से बातचीत में स्पष्ट किया कि यह ग़ैरतपुर बास और रायसीना गांव के बीच सीमा का मामला था। इस मामले में वर्ष 2015 में हाइकोर्ट का एक निर्णय आया था। उनके निर्देश के अनुसार तब जिला प्रशासन की ओर से समिति गठित कर डीमार्केशन करवाई गई थी लेकिन सीमा को लेकर कुछ विवाद सामने आए जिसके लिए रीडिमार्केशन की प्रक्रिया अपनाई गयी।

उपायुक्त ने कहा कि रिडेमार्केसन के आधार पर जिला उपायुक्त ने संबंधित पंचायत को सोहना उपमंडल अधिकारी के समक्ष वीसीएल का मामला दायर करने को कहा । उक्त मामला अब अंतिम स्टेज में हैं । एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जैसे ही मामले पर अंतिम निर्णय आ जायेगा उसके बाद अवैध कब्जा करने वाले और पंचायती जमीन बेचने वालों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। उन्होंने आश्वस्त किया कि इस मामले में सीएम विण्डो पर डाली गई शिकायत को लेकर जिला प्रशासन संवेदनशील है और आपराधिक मुकदमा दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने माना कि यह काफी पुराना मामला है लेकिन इसमें कानूनी प्रावधानों को ध्यान में रख कर कार्रवाई की जा रही है।

उल्लेखनीय है कि जिला गुरुग्राम के गांव गैरतपुर बास और रायसीना की 65 एकड़ जमीन घोटाले की खबर thepublicworld.com न्यूज पोर्टल में प्रकाशित होते ही गुरुग्राम जिला प्रशासन हरकत में आया था. जिला उपयुक्त ने डीडीपीओ को लिखित आदेश जारी कर गाँव गैरतपुर बॉस और रायसीना की 65 एकड़ वेशकीमती पंचायती जमीन से अवैध कब्जा हटाने के लिए त्वरित कार्रवाई करने को कहा था. उपयुक्त की और से भेजे गए पत्र में यह भी स्वीकार किया गया था कि यह मामला बेहद पुराना है और उनके कार्यालय में भी नवम्बर 2017 से लंबित है.

इस मामले को लेकर जिला उपायुक्त कार्यालय और डी आर ओ गुरुग्राम की कार्यशैली पर भी सवाल उठने लगे हैं। सवाल उठाए जा रहे हैं कि लगभग सौ करोड़ की इस पंचायती जमीन को बिल्डरों के अवैध कब्जे से खाली कराने के मामले में हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद क्यों ढिलाई बरती गयी ? आखिर वह कौन सा दबाव था जिसके कारन कार्रवाई में इतनी देरी की गयी जबकि बादशाहपुर के नायब तहसीलदार ने अपनी रिपोर्ट में गत 24 नवम्बर 2017 को ही डीसी कार्यालय /डी आर ओ को भेजी अपनी रिपोर्ट में यह साफ़ कर दिया था कि उक्त पंचायती जमीन पर दिल्ली टावर एन्ड आदर्श नामक कंपनी जो प्रसिद्ध व्यावसायी और बिल्डर अंसल बंधुओं की है का अवैध कब्जा है. इस बात की तस्दीक दो बार की डीमार्केशन रिपोर्ट से भी होती है।

"गांव ग़ैरतपुर बास और रायसीना की 65 एकड़ वेशकीमती जमीन पर अवैध कब्जा करने वालों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा शीघ्र दर्ज होगा" 2

सम्बंधित मामले के शिकायतकर्ता आर एल नरूला का कहना है कि नायब तहसीलदार की बेहद स्पष्ट रिपोर्ट पर निर्णय लेने में जिला के जमीन/रेवेन्यू की देखरेख का जिम्मा संभाल रहे अधिकारी ने अब तक सुस्ती दिखाई है। हालांकि पिछले माह जारी आदेश पत्र में इस मामले में अवैध कब्जे हटवाने के लिए त्वरित कारवाई करने की हिदायत दी गई है । यह मामला सी एम् विंडो पर काफी लम्बे समय से लंबित है. सीएम विंडो पर शिकायत करने वालों में 75 वर्षीय आर एल नरूला और ग़ैरतपुर बास के पंचायत मेंबर अमित राठी शामिल हैं।

आश्चर्य इस बात की है कि उक्त शिकायत 2016 से ही वर्तमान सीएम विंडो पर है । सीएम विंडो के मामले को भी गुरुग्राम जिला के अधिकारी दबाये बैठे रहते हैं. दो बार सीएम के आदेश और एक बार 12 मई 2018 को अतिरिक्त मुख्य सचिव के आदेश पर भी अमल नहीं किया गया। गौरतलब है कि यह लगभग 10 साल पुराना पंचायती जमीन को बेचने और कब्जाने का मामला है। इस पूरे प्रकरण में एक शिकायत कर्ता 75 वर्षीय आर एल नरूला बुजुर्ग है जबकि दूसरे शिकायत करने वाले अमित राठी युवा हैं। सुखद बात यह है कि लोकहित के इस मामले में कोई भी हार मानने को तैयार नहीं हैं. उनका कहना है कि इस सौ करोड़ से अधिक की जमीन घोटाले का पर्दाफास करने तक उनकी लड़ाई जारी रहेगी।

हालांकि आज thepublicworld.com न्यूज पोर्टल से बातचीत में जिला उपायुक्त विनय प्रताप ने बड़ी साफगोई से कहा कि इस मामले में जल्द ही आपराधिक मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू की जाएगी। उनके शब्दों से इस बात की झलक मिली कि उन्हें इस बात का पूरा पूरा भान है कि मामले में हाइकोर्ट के 2015 के निर्णय में इसके निपटारे के लिए चार माह की समय सीमा निर्धारित की गई थी जबकि अब इसे कई साल हो चुके। अब भी वीसीएल के केस सोहना उपमंडल अधिकारी के पास लंबित हैं।

ध्यान देने वाली बात यह थी कि इस बीच आर एल नरुला ने गुरुग्राम के डिविजनल कमिश्नर डॉ डी सुरेश के दरबार में भी गुहार लगाई। जून माह के दूसरे सप्ताह में डॉ सुरेश ने डीडीपीओ डी आर ओ , सोहना एस डी एम, तहसीलदार, नायाब तहसीलदार बादशाहपुर को तालाब कर इस पर त्वरित कार्रवाई का निर्देश दिया था लेकिन अभी तक एक कदम भी आगे बढ़ने के संकेत नहीं हैं। पंचायत सदस्य अमित राठी का कहना है कि हर बार बैठक में इसमें तेजी लाने की बात की जाती है लेकिन स्थिति पूर्ववत है। यह व्यवस्था के प्रति निराशा पैदा करने वाली स्थिति है।

आज तक दो गांवों की पंचायती जमीन पर बिल्डर का कब्जा ही नहीं सारे नियमों को ताक पर रख कर फार्म हाउस खड़े हैं। डीडीपीओ/बीडीपीओ सहित रेवेन्यू विभाग मूक दर्शक बने हुए हैं.

शिकायत कर्ता नरूला कहते हैं कि अवैध कब्जे हटवाने से जिस तरह सरकारी अधिकारी परहेज करते रहे उससे तो यही संदेश जाता है कि अधिकारी इसे अंजाम तक पहुंचाने में कोताही बरतते रहे। उनकी आशंका है कि अनैतिक दबाव में अधिकारियों के कदम ठिठके रहे हैं ।

तर्क यह दिया जाता रहा कि इस मामले में वीसीएल का केस विचाराधीन है इसलिए अधिकारी इस इन्तजार में थे कि फैसला आने के बाद कोई कार्रवाई करेंगे. आज भी जिला उपायुक्त ने उम्मीद जताई कि मामला अब अंतिम चरण में है और प्रशासन ने यह मन बना लिया है कि अवैध कब्जा करने वालों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाएगा क्योंकि लगभग 65 एकड़ पंचायती जमीन को हड़पने की साजिश है।

उक्त मामला जिला गुड़गांव के गांव गैरतपुर बास और रायसीना का है। यहां की लगभग 65 एकड़ जमीन जो लगभग 100 करोड़ से ऊपर की कीमत की है पर दिल्ली टावर एन्ड आदर्श नामक कंपनी जो प्रसिद्ध व्यावसायी और बिल्डर अंसल बंधुओं की है का अवैध कब्जा बना हुआ है। शिकायतकर्ता रामलाल नरूला के अनुसार इसमें 40 एकड़ जमीन गांव गैरतपुर बास की पंचायती जमीन है जबकि 25 एकड़ जमीन उन दो गांव के बीच का गैप है जिस पर अवैध तरीके से कब्जा किया गया। आश्चर्यजनक रूप उसे बेच दिया गया। सारे नियमों को धता बताते हुए उसकी सेल डीड करा दी गई और उस पर फार्म हाउस का निर्माण भी कर दिया गया।

गौरतलब है कि इस मामले का खुलासा पहली बार तब हुआ जब नगर निगम के कूड़ा डंपिंग के लिए गांव गैरतपुर बास की जमीन का मामला सामने आया। इन बिल्डरों ने नगर निगम की कूड़ा डंपिंग की जमीन पर कब्जा कर लिया और बदले में आर एल नरूला की जमीन पर कूड़ा डंपिंग कराया जाने लगा. श्री नरूला ने अपनी जमीन पर कूड़ा डंपिंग का विरोध करते हुए इसके लिए प्रस्तावित जमीन की हकीकत प्रशासन के समक्ष उजागर कर दिया. जन इसकी जांच की गयी तो प्रशासनिक अधिकारी हक्के बक्के रह गए क्योंकि हकीकत में कूड़ा डंपिंग के लिए प्रस्तावित जमीन पर बिल्डर का अवैध कब्जा था.

पहली शिकायत उन्होंने पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा से की थी। उन्होंने शिकायत में ग़ैरतपुर बॉस की 45. 58 एकड़ और ग़ैरतपुर बास एवं रायसीना गांव के बीच के गैप की 25 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा होने की जानकारी देते इस अवैध कब्जे से मुक्त करवाने की गुहार लगाई थी। लेकिन चौकाने वाली बात यह है कि लंबे अर्से तक इस मामले में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के जमाने में कोई कार्रवाई नहीं हुई। लेकिन बुजुर्ग नरूला की लड़ाई जारी रही.

वर्ष 2014 में जिला गुरुग्राम के तत्कालीन डी सी शेखर विद्यार्थी ने इस कंप्लेंन पर संज्ञान लेने की हिम्मत दिखाई और उक्त जमीन की डिमार्केशन के आदेश जारी कर दिए। डिमार्केशन के दौरान इस बात का खुलासा हो गया कि वास्तव में लगभग 65 एकड़ जमीन पर अवैध तरीके से फार्म हाउस का निर्माण किया गया है और उक्त बिल्डर कंपनी से खरीदी हुई जमीन दिखाई गई है. डिमार्केशन से स्पष्ट सिद्ध हो गया कि उक्त वेशकीमती जमीन पर अंसल का अवैध कब्जा है।

बताया जाता है कि तब के डी सी के इस साहसिक कदम के खिलाफ अंसल ने चंडीगढ़ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। न्यायाधीश सूर्यकांत की अदालत ने इस मामले में 26 सितंबर 2015 को निर्णय दिया. अदालत ने अपने आदेश में साफ़ कर दिया कि 7 सदस्यों की एक कमेटी गठित कर इस जमीन की डिमार्केशन कराई जाए। अदालत के निर्णय के आलोक में तत्कालीन जिला उपायुक्त ने 7 सदस्यों की कमेटी गठित की और वर्ष 2016 में उक्त जमीन का डिमार्केशन किया गया जिससे यह स्पष्ट हो गया कि लगभग 65 एकड़ जमीन जो 100 करोड़ की कीमत की है पर अवैध कब्जा है।

जब जिले के उपायुक्त टी एल सत्यप्रकाश बने फिर एक बार यह मामला अधर में लटक गया। शिकायतकर्ता श्री नरुला जिला उपायुक्त के दफ्तरों के चक्कर लगाकर थक गए लेकिन मामला जस का तस वहीँ अटका रहा। जिला उपायुक्त के रूप में हरदीप सिंह की तैनाती के बाद फिर इसको लेकर सक्रियता बढ़ी. उन्होंने इस मामले पर संज्ञान लिया और डिमार्केशन की प्रक्रिया को हरी झंडी दी और इस संबंध में कोर्ट में केस डालने और दो गांव के बीच में गैप एरिया को ठीक कराने का आदेश जारी कर दिया।

आश्चर्यजनक रूप से तब से ही सोहना SDM की कोर्ट में बीसीएल केस की इस संबंध में सुनवाई चल रही है। अब तक इस पर निर्णय नहीं हो पाया है। हालांकि इस संबंध में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने साफ तौर पर निर्देश जारी किया था कि वीसीएल केस अगले 4 माह के अंदर निस्तारित किया जाए ।

श्री नरूला के अनुसार ग़ैरतपुर बास एवं रायसीना गांव के बीच की 25 एकड़ खेत वाली जमीन का मामला अभी डीआरओ गुड़गांव के पास लंबित है। उनका आरोप है कि इस गेप एरिया वाली जमीन को भी संबंधित बिल्डर ने बेच दिया है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि पंचायती जमीन को अवैध तरीके से कब्जाने और बेचने के धंधे को लेकर डीडीपीओ गुरुग्राम का रवैया सुस्त है। इस मामले में बीडीपीओ की ओर से भी कार्रवाई के कदम बहुत धीरे चल रहे हैं।

उन्होंने यहां तक आरोप लगाया है कि जिला प्रशासन के अधिकारियों ने इससे संबंधित केस को जानबूझकर डिले किया गया। SDM गुड़गांव ने पत्र लिखकर इस पर की गई कार्रवाई की जानकारी डीडीपीओ गुरुग्राम से मांगी लेकिन डीडीपीओ ने किसी भी प्रकार की कार्रवाई करने की जानकारी एसडीएम कार्यालय को नहीं दी. अंततः SDM गुड़गांव ने डीडीपीओ की ओर से एक्शन टेकन संबंधी रिपोर्ट नहीं देने का हवाला देते हुए शिकायतकर्ता को अपना जवाब नकारात्मक रूप में दे दिया। यानी इतना सब कुछ करने के बाद भी शिकायतकर्ता के हाथ खाली रहे.

यह स्थिति तो तब है जब मार्च 2006 में तत्कालीन सीटीएम आसिमा गर्ग ने स्वयं इस मामले की इंक्वायरी की थी और उन्होंने भी एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी थी. उक्त रिपोर्ट डीडीपीओ गुरुग्राम के पास थी जो अब उक्त कार्यालय से गायब बताई जाती है।बताया जाता है कि आसिमा गर्ग ने भी अपनी रिपोर्ट में अवैध कब्जे की बात स्वीकारी थी और उसे पंचायती जमीन बताया था.

शिकायतकर्ता का कहना है कि SDM गुड़गांव ने इस संबंध में वीसीएल केस की हियरिंग के दौरान संबंधित कंपनी से जब लैंड रिकॉर्ड की जानकारी मांगी तब भी अंसल कंपनी के प्रतिनिधि उक्त जमीन की रिकॉर्ड प्रस्तुत करने में असफल रहे।

एक बार फिर वर्तमान सीएम से उन्होंने इसमें हस्तक्षेप की मांग करते हुए तत्काल कार्रवाई की गुहार लगाईं. उनकी शिकायत पर सीएम ने इस सम्बन्ध में ऍफ़ आई आर दर्ज कर कार्रवाई शुरू करने का आदेश जारी किया है लेकिन प्रशासन निष्क्रीय रहा . अभी हाल ही में गत 12 मई को भी अतिरिक्त मुख्य सचिव ने जिला प्रशासन से कार्रवाई करने को कहा लेकिन 24 नवम्बर 2017 से यह फाइलों में बंद रहा.

जानकारी के अनुसार बुधवार 6 जून 2018 को thepublicworld.com न्यूज पोर्टल में प्रकाशित समाचार पर गुरुग्राम जिला प्रशासन हरकत में आया और आनन फानन में डीसी कार्यालय से डीडीपीओ गुरुग्राम के नाम सख्त लहजे में आदेश पत्र जारी कर दिल्ली टावर्स एंड एस्टेट बनाम हरियाणा के मामले में कार्रवाई सुनिश्चित कर एक्शन टेकन रिपोर्ट देने को कहा गया.

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