चण्डीगढ़, 13 जून : हरियाणा सरकार ने 18 वर्ष तक की तेजाब पीडि़त लड़कियों, महिलाओं और लड़कों को तदर्थ राहत या चिकित्सा प्रतिपूर्ति और पुनर्वास सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए तेजाब पीडि़त महिलाओं और बच्चों के लिए राहत एवं पुनर्वास नामक योजना अधिसूचित की है।
महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती कविता जैन ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि 2 मई 2011 के बाद तेजाब हमले से कोई भी पीडि़त इस योजना के तहत पात्र होगा।
उन्होंने कहा कि जहां तेजाब पीडि़त का अंतिम रूप से पूरा उपचार नहीं हुआ और उपचार की सभी प्रक्रियाएं समाप्त हो गई, तो इस तरह के पीडि़त को लगातार उपचाराधीन माना जाएगा। हरियाणा में रहने वाले 18 साल तक के सभी तेजाब हमले पीडि़त लड़कियों, महिलाओं और लड़कों को इस योजना में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ऐसे मामले, जहां पीडि़त स्वयं आवेदन करने में अक्षम है, तो ऐसी स्थिति में उनकी ओर से दावा करने वाले उनके उत्तराधिकारी या पीडि़त दोनों में से किसी एक द्वारा आवेदन भरा जाएगा।
उन्होंने कहा कि प्रदेश का कोई भी तेजाब हमले से पीडि़त व्यक्ति किसी भी सरकारी या सरकार द्वारा स्वीकृत अस्पताल में शत-प्रतिशत निशुल्क चिकित्सा उपचार प्राप्त करने का पात्र होगा।
उन्होंने कहा कि संबंधित जिले के मेडिकल बोर्ड से प्रमाणित अनुसार अक्षम व्यक्तियों की श्रेणी में गंभीर तेजाब पीडि़त व्यक्ति का इलाज किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा विकलांग व्यक्ति (एक समान अवसर, पूर्ण भागीदारी का संरक्षण का अधिकारी) अधिनियम, 1995 की धारा 2 (1) के तहत विकलांगता की परिभाषा में आने वाले तेजाब पीडि़त को 8000 रुपये की मासिक वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त, तेजाब हमले के पीडि़त को खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा उचित मूल्य की दुकानों के आबंटन में अधिमान दिया जाएगा।
इस योजना के तहत दी जाने वाली वित्तीय सहायता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी घटना के 15 दिनों के भीतर तेजाब पीडि़त को एक लाख रुपये की राशि की अदायगी की जाएगी, जिसमें सम्बन्धित उपायुक्त द्वारा तेजाब पीडि़त को तुरंत तदर्थ राहत के रूप में 25,000 रुपये तथा महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 15 दिनों के भीतर 75,000 रुपये की राशि दी जाएगी ताकि उसे चिकित्सा उपचार व खर्च की सुविधा प्रदान की जा सके। उन्होंने कहा कि प्रदेश के तेजाब हमला पीडि़त व्यक्ति दवाई, भोजन, बैडिंग, प्लास्टिक या रीकन्स्ट्रक्टिव सर्जरी सहित सरकारी या सरकारी अनुमोदित अस्पतालों से शतप्रतिशत निशुल्क चिकित्सा उपचार प्राप्त करने का हकदार होगा। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा राशि की प्रतिपूर्ति की जाएगी।
उन्होंने कहा कि सरकारी स्वामित्व या निजी स्वामित्व का कोई भी अस्पताल या विशेषज्ञता वाला अस्पताल किसी भी स्तर पर किसी भी पीडि़त को विशेष या किसी भी प्रकार के उपचार से इनकार नहीं करेगा। उन्होंने बताया कि ऐसी चिकित्सा सुविधा के लिए पीडि़त को उपचार के लिए लाया जाएगा तो अस्पताल तत्काल जिला बोर्ड या राज्य बोर्ड और उसकी पुलिस को सूचित करेगा, लेकिन किसी भी स्तर पर पीडि़त को इलाज से इनकार नहीं करेगा। इलाज के लिए पुलिस रिपोर्ट या एफआईआर की कोई पूर्व शर्त नहीं होगी।
इस योजना के तहत आवेदन करने की प्रक्रिया का उल्लेख करते हुए मंत्री ने कहा कि पीडि़त के माता-पिता या अभिभावक या कानूनी उत्तराधिकारी जिला स्तरीय समिति को तत्काल योजना के प्रावधान के अनुसार राहत के लिए आवेदन कर सकते हैं। बच्चों के मामले में, उनकी ओर से आवेदन माता-पिता या अभिभावक द्वारा किया जा सकता है और पीडि़त महिला होने के मामले में, उसकी ओर से आवेदन पति या माता-पिता या अभिभावक द्वारा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आवेदक को आवेदन के साथ दस्तावेज जमा कराना आवश्यक होगा। इनमें एक मेडिकल सर्टिफिकेट, पीडि़त की ओर से आवेदन या एफआईआर या शिकायत की प्रतिलिपि शामिल है।
श्रीमती जैन ने कहा कि दावों पर विचार करने और राहत, पुनर्वास और प्रतिपूर्ति देने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्री की अध्यक्षता में ‘तेजाब पीडि़त महिला एवं बच्चों की राहत व पुनर्वास’ के लिए एक राज्य स्तरीय समिति (एसएलसी) गठित की गई है। उन्होंने कहा कि महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक इस समिति के सदस्य सचिव होंगे। समिति के अन्य सदस्यों में महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रशासनिक सचिव, स्वास्थ्य विभाग के प्रशासनिक सचिव, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के प्रशासनिक सचिव और अनुसूचित जाति एंव पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के प्रशासनिक सचिव शामिल हैं।
मंत्री ने कहा कि यह समिति जिला स्तरीय समितियों के साथ समन्वय कर कार्यों की निगरानी करेगी। यह समिति योजना के तहत आवंटित कोष का उचित वितरण सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा कि वित्तीय राहत प्रदान करने से पूर्व समिति द्वारा सभी चिकित्सा प्रतिपूर्तियों की स्वीकृति प्रदान की जाएगी।
उन्होंने कहा कि उपायुक्त की अध्यक्षता में ‘तेजाब पीडि़त महिला एवं बच्चों की राहत व पुनर्वास’ नामक जिला स्तरीय समिति का गठन किया गया है। उसी जिले में इस योजना के तहत प्राप्त आवेदनों का निपटान करने का समिति के पास विशेष अधिकार होगा।
उन्होंने कहा कि जिला स्तरीय समिति इस योजना के तहत निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार दावों पर विचार करेगी और राहत या पुनर्वास प्रदान करेगी। जिला स्तरीय समिति पीडि़त, कानूनी, चिकित्सा या मनोवैज्ञानिक, और सहायता या सहायता के किसी अन्य रूप में सहायता प्रदान करने के लिए सरकार और गैर-सरकारी संगठनों के साथ योजना के तहत प्रदान किए गए प्रावधानों का समन्वय और निगरानी करेगी। जिला मजिस्ट्रेट मामले की परिस्थितियों के अनुसार जैसा उचित समझे, पीडि़त को राहत प्रदान करेगा और अस्पताल में मेडिकल प्रतिपूर्ति के संबंध में वित्तीय दावों को आगे बढ़ाएगा।