रावी नदी के पानी के मुद्दे पर पंजाब नेतृत्व करे : मनोहर लाल

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मुख्यमंत्री ने रावी नदी के पानी का मुद्दा हरियाणा और पंजाब दोनों के लिए अहम् बताया 

कहा पंजाब और हरियाणा के बीच कोई संघर्ष नहीं

व्यर्थ में बहकर पाकिस्तान जाने वाले पानी को रोकने पर बल 

 

गुरुग्राम ,16  मई :  हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि रावी नदी के पानी का मुद्दा हरियाणा और पंजाब दोनों राज्यों का अहम मुद्दा है। इसलिए पंजाब को इसका नेतृत्व करना चाहिए। आज यहां एक पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने एक सवाल के जवाब में यह  जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय जल आयोग ने राज्यों से बांधों के निर्माण के लिए एक प्रणाली विकसित करने के लिए कहा था ताकि संबंधित राज्य पानी का उपयोग कर सके। उन्होंने बताया कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उनके पत्र के जवाब में कहा है कि पंजाब ने रावी नदी के उन दोनों चैनलों के बारे में अध्ययन किया है जिनके जरिए यह पानी लाया जा सकता था। अध्ययन में कहा गया है कि बांधों का निर्माण संभव नहीं है। इसकी जानकारी उन्हें अब पंजाब के मुख्यमंत्री के जवाब से मिली है। इन परिस्थितियों के चलते, हरियाणा सरकार अब भविष्य के लिए रणनीति तय करेगी। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि रावी नदी का पानी लाने के मामले में पंजाब और हरियाणा के बीच कोई संघर्ष नहीं है। उन्होंने कहा कि चूंकि यह मुद्दा जनहित में है इसलिए पंजाब को इसका नेतृत्व करना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने गत 6 मई को पंजाब के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था। उन्होंने लिखा था, ‘‘हमारे राज्यों में पानी का संकट के संबंध में रिपोर्टे आई हैं और हरियाणा व पंजाब के कई खंडों में पानी का स्तर गिर रहा है और इस कारण से कृषि के क्षेत्र में लगे मेहनतकश किसानों को दिक्कत का सामना हो रहा है। पत्र के अनुसार उन्होंने कहा कि अब वह समय आ गया है कि दोनों राज्यों को परस्पर सहयोग करके रावी के व्यर्थ में बहकर पाकिस्तान जाने वाले पानी को रोकेंगे। इस संबंध में 23 अप्रैल, 2012 को नई दिल्ली में केन्द्र जल आयोग की बैठक हुई जिसमें सतत आधार पर 0.58 एमएएफ के समान न्यूनतम प्रयोगिक पानी का आंकलन किया गया था।

इस बैठक में धर्मकोट से हरिके हैड तक क 2.0 से 2.5 मीटर ऊंचा एक ढांचा तैयार करने का निर्णय लिया गया। इस पर केन्द्र सरकार ने सभी संबधित राज्यों को भाखड़ा व्यास प्रबंधन बोर्ड को इस परियोजना की व्यवहार्रता के अध्ययन की संभावना के लिए लगाया और पंजाब सरकार ने इस बैठक में लिए गए निर्णय पर कार्यवाही शुरू की। लेकिन फिर भी अब तक कोई प्रगति नजर नहीं आ रही है। इसलिए अभी भी यह पानी पाकिस्तान में जा रहा है। इसलिए देश के कीमती पानी को तुरंत रोका जाना चाहिए और इस पानी को संबंधित राज्यों के लोगों हेतु प्रयोग में लाया जाना चाहिए।

इसलिए उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि इस कार्य के लिए अपने राज्य के सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देश दे। उन्होंने पत्र में बताया कि इस संबंध में उन्होंने हरियाणा राज्य के सिंचाई विभाग के प्रधान सचिव व मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं। वे इस  बारे में एक बैठक करेंगे ताकि इस प्रस्ताव को क्रियान्वित किया जा सके, जिसे भारत सरकार द्वारा एक राष्ट्रीय परियोजना पहले ही घोषित की जा चुकी है’’। 

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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