सूचना का अधिकार कानून बना मजाक, एक साल तक नहीं देते जानकारी

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: गांव मुबारिकपुर के गोबिंदा ने 10 जुलाई 2017 को लगाई थी आरटीआई

: गांव के विकास कार्यो की मांगी थी जानकारी

: गांव वालों का आरोप करोडों के फंड को खुर्दबुर्द कर रहे है सरपंच और अधिकारी

यूनुस अलवी

 
मेवात : सरकारी योजनाओं की जनता के बीच पारदर्शिता लाने के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2005 में सूचना का अधिकार कानून बनाया था। इस कानून के तहत 30 दिन में आरटीआई कार्यकर्ता को जानकारी मुहईया कराने का प्रावधान रखा गया था। समय पर सूचना ना देने पर इसकी अपील जिला स्तर और राज्य स्तर पर भी करने का प्रावधान है। जिसके तहत संबंधित अधिकारियों पर जुर्माना और विभागीय कार्रवाई का भी नियम बनाया गया था। भले ही सरकार ने आरटीआई ना देने को लेकर कडे नियम बना रखे हों पर पुन्हाना खंड के गांव मुबारिकपुर और बीडीपीओ पर इसका कोई असर नहीं पड रहा है। आरटीआई कार्यकर्ता को 10 महिने बाद भी आईटीआई को जवाब नहीं दिया गया है। आरोप है कि जब भी आरटीआई कार्यकर्ता जानकारी मांगता है तो बीडीपीओ और सरपंच उसको धमकाकर भगा देते हैं। अब पीडित ने इसकी डीसी और आयोग के कमिश्रर को अपील करने का मन बना लिया है।
 
  गांव मुबारिक पुर उर्फ रावलकी निवासी गोबिंदा पुत्र रतन लाल ने बताया कि उनकी ग्राम पंचायत करोडो रूपये की आमदनी हुई है। जिसमें ढाई करोड और डेढ करोड की एफडी, करीब 65 लाख नालियों के निर्माण का तथा करीब सवा करोड रूपये मिनि सचिवालय के लिए अधिग्रहत की गई जमीन के मुआवजे की राशी सहित करीब 6 करोड रूपये की राशी पंचायत फंड में आई है। सरपंच ठेकेदार और अधिकारियों के साथ मिली भगत करके पंचायत फंड की राशी को खुर्दबुर्द कर रहा है। उसने ग्राम पंचायत में आई राशी और कहां-कहा खर्च किया के बारे में 10 जुलाई 2017 को बीडीपीओ पुन्हाना के कार्यालय में एक आरटीआई लगाई थी। करीब दस महिने बीत जाने के बाद उसे आरटीआई को कोई जवाब नहीं दिया गया है। जबकि उसने बीडीपीओ को तीन बार रिमांडर भी भेज दिए हैं।
 
 आरटीआई कार्यकर्ता का कहना है कि सूचना लेने के लिए जब वह बीडीपीओ के पास जाता है तो वह उसे धमकाकर भगा देता है वहीं गांव का सरपंच भी उसके साथ गालीगलौंच करता है। उसका कहना है कि अब वह इस मामले की डीसी और सूचना आयुक्त के यहां अपील करेगा।
 

क्या कहते है बीडीपीओ

 
आरटीआई कार्यकर्ता को जवाब दे दिया गया था लेकिन उससे वे संतुष्ठ नहीं थे। उन्होने आरटीआई कार्यकर्ता को कह दिया था कि अगर वे सरपंच की सूचना से संतुष्ट नहीं हैं तो वे डीसी के यहां अपील कर सकते हैं।

 

क्या कहते हैं डीसी

 
नूंह जिला के डीसी अशोक शर्मा ने बताया कि जब पीडित का एक महिना में आरटीआई की जानकारी नहीं दी गई तो उसको उनके कार्यालय मे अपील करनी चाहिए थी। पीडित आदमी अब भी अपील कर सकते हैं। डीसी का कहना है कि उसके पास एक भी अपील पेंडिंग नहीं है। 
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