आखिरत ही असल जिंदगी है बाकी तो सब फानी हैं : मौलाना साद

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: इसलाम धर्म दुनिया को अमन शांति का पैगाम देता है 

: कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढने वाले छात्रों के साथ की बैठक 

: मदरसों में पढने वाले छात्रों के साथ मौलाना साद ने की बैठक 

यूनुस अलवी

 
नूंह :  दावत-ए-तबलीग से जुडे लोगों का तीन दिवसीय जलसे का मंगलवार को समापन हो गया। ये जलसा और जल्सों से अलग था। भले ही इस जलसे में तबलीग-ए-जमात में चार महिने और एक साल लगाने वालों को ही बुलाया गया था लेकिन तबलीग-ए-जमात के अंतर्राष्ट्रीय अमीर मोलाना साद के आने की सूचना और उनके विचार सुनने के लिए करीब चार लाख लोग जलसे में पहुें। मंगलवार को आखरी दिन मोलाना साद ने देश और दुनिया में अमन शांति के कायम रहने और रहमत की बारिश की दुआ मांगी।
  तबलीग-ए-जमात मेवात के अमीर मास्टर हारून ने बताया कि ये वार्षिक जलसा नहीं था बल्कि दीन के रास्ते में चार महिने और एक साल लगाने वाले आलिमों के कारगुजारी का जोड (मीटिंग) था। उन्होने बताया कि इस जोड में करीब 27 हजार चार महिने और करीब 18 हजार एक साल तबलीग-ए-जमात में काम करने वालों ने भाग लिया। उनका कहना है कि इस जोड का मकसद था कि जो आलिम जमात-ए-तबलीग में समय लगा चुके हैं वे निश्क्रिय ना हो जाऐ और वे देश व प्रदेशों में जाकर भी इसलाम धर्म के पैगामों को जनता तक पहुने का काम करें।
   इस मौके पर तबलीग-ए-जमात के अमीर मोलाना मोहम्मद साद ने लाखों लोगों को सम्बोधित करते हुऐ कहा कि दुनिया फानी है, इसलिए दुनिया का मोह छोडकर हमकों नेकियां इकटठी करने में जुट जाना चाहिए। आज इसलाम धर्म को एक आतंकी धर्म के तौर पैश किया जा रहा है जबकि इसलाम धर्म दुनिया को अमन शंाति का पैगाम देता है और दुनियां के लोगों को इंसाफ, भलाई, रहम सिखाता है। किसी आदमी को बेवजह तखलीफ पहुंचाने वाला मुसलमान नहीं हो सकता। इसलाम धर्म अमन फैलाने वाला धर्म है। इसलाम धर्म ने ही सबसे पहले भ्रूण हत्या जैसी बुराईयों पर पाबंदी लगाई थी। उन्होने कहा इसलाम धर्म को घर बेठे नहीं सीखा जा सकता बल्कि इसे सीखने के लिए अल्लाह के रास्ते में यानि चार महिना और एक साल कम से कम निकलना होगा। अपने रिश्तेदारों, पडौसियों से अच्छे रिश्ते रखने होंगे। नमाज, रोजा, जकात का पाबंद होना पडेगा। जन्नत पाने के लिए कुरान और हदीस पर अमल करना होगा।
 
 

कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढने वाले छात्रों की बैठक 

 
ईलाका-ए-मेवात की यूनिवर्सिटी, कॉलेज और हायर स्कूलों में पढने वाले छात्रों की लिए तब्लीग-ए-जमात के अंतर्राष्ट्रीय अमीर मोलना मोहम्मद साद के आदेश पर नुंह के वाईएमडी कॉलेज में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमे हरियाणा के गुरुग्राम, पलवल, नूंह, अलवर भरतपुर और मथुरा जिला में बसने बसने वाले मेवाती युवा छात्रों ने भाग लिया। छात्रों को इंग्लैंड में तब्लीग ए जमात से जुडे डॉ मोलना राशिद ने संभोधित किया।
    मोलना राशिद युवाओं को सम्बोधित करते हुऐ कहा कि दुनियावी तालीम के साथ अपनी दीनी तालीम को मत भूल जाना, इसलाम ये नही कहता की तुम दुनियावी तालीम हासिल मत करो, परंतु दुनियावी तालीम को दीनी तालीम के तरीके से हांसिल करना चाहिए। उन्होने कहा दुनिया की जि़न्दगी कोई जि़न्दगी नही है बक्लि असल जि़ंदगी आखरत की है। मोलना ने कहा मुसलमानों को अच्छे डॉक्टर, इंजीनियर,  वकील बनें लेकिन तहजीब, इंसाफ, अमन, भाईचारा के दायर में रहकर, काम करना होगा। उन्होने कहा समय समय पर अपने इमान को ताजा रखने के लिए तबीग-ए-जमाअत में निकलना चाहिए। असल जिंदगी आखरत की है बाकी तो सब फानी हैं।

 

मदरसों में पढने वाले छात्रों के साथ मोलाना साद ने की बैठक 

 
तबलीग-ए-जमाअत के अमीर मोलाना साद ने मेवात इलाके में सैंकडों मदरसों में पढने वाले छात्रों से रूबरू हुऐ। इस मौके पर मोलाना साद ने कहा कि मदरसों में पढने वाले बच्चे इसलाम धर्म की विरासत हैं, इन्हीं के जरिये दीन आने वाल पीडियों तक पहुचता है। उनका कहना है कि जो युवा हाफिज-ए-कुरान बन जाते हैं या फिर वे आमिल बन जाते हैं उनको अल्लाह के रास्ते में कम से कम एक साल लगाना होगा। मदरसों में दीन सीखा जाता है बल्कि अल्लाह के रास्ते में निकलकर उस पर अमल होता है।
 
 

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