वेंकैया नायडू ने किया तीसरे अंतर्राष्ट्रीय योग सम्मेलन का उद्घाटन
नई दिल्ली : उप-राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि योग सभी व्यायामों की जननी है। उप-राष्ट्रपति आज यहां तीसरे अंतर्राष्ट्रीय योग सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीपाद येसो नाइक और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद थे।
उप-राष्ट्रपति ने कहा कि योग का प्राचीन विज्ञान आधुनिक विश्व को भारत का अमूल्य उपहार है। उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि ज्ञान और विज्ञान का समूचे विश्व के कल्याण के लिए मुक्त संचार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सर्वे जना सुखिनो भंवतु चिर काल से हमारी उत्कट प्रार्थना है।
उप-राष्ट्रपति ने कहा कि योग शारीरिक व्यायाम से बढ़कर है और यह शरीर को सोचने की प्रक्रिया से जोड़ता है। उन्होंने कहा कि योग का धर्म से कुछ लेना-देना नहीं है, जैसाकि कुछ लोग दुर्भाग्यवश इस प्राचीन वैज्ञानिक प्रणाली को धर्म से जोड़कर देखते हैं। यह लोगों की तंदुरुस्ती का विज्ञान है जिसका किसी भी अन्य चिकित्सा प्रणाली के रूप में अध्ययन किया जाना चाहिए और इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
उप-राष्ट्रपति ने कहा कि आधुनिक जीवन शैली से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए योग को दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि योग हमें समानता की अवस्था हासिल करने में मदद करता है जब हम शान्ति की अवस्था में होते हैं ताकि हम शान्तिपूर्ण माहौल बना सके।
उप-राष्ट्रपति ने बाबा रामदेव जैसे लोगों के प्रयास की सराहना की जिन्होंने साधारण तरीके से योग को घर-घर तक पहुंचाया है।
‘योग और स्वास्थ्य’ पर दो-दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन आयुष मंत्रालय ने किया है। सम्मेलन में दुनिया भर के 44 देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
इस सम्मेलन में योग और डिप्रेशन, योग और हृदय संबंधित बीमारियां, योग और कैंसर नियंत्रण, योग और दर्द दूर करने के उपाय, महिलाओं के लिए योग, स्त्री रोग संबंधी परेशानियों के बारे में अध्ययन जैसे विषयों पर तकनीकी सत्र में विशेषज्ञों द्वारा पेपर प्रस्तुत किए जाएंगे।
उप-राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित करने के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि योग दिवस अब दुनिया भर में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि इस प्राचीन विज्ञान को भारत और दुनिया के अनेक देशों में कई वर्षों से व्यवहार में लाया जा रहा है।
योग के विभिन्न आयाम है और हम उन्हें पतंजलि के योग सूत्र और भगवद्गीता के कालातीत ग्रंथ सहित अन्य ग्रंथों में पाते हैं। समत्वंयोगउच्यते यह योग है जो समत्व, धीरज और एकरूपता पर आधारित है। जब शरीर अथवा दिमाग के भीतर असंतुलन होता है तो हम स्वस्थ महसूस नहीं करते। योग का मानना है कि स्वास्थ्य और सम्पूर्ण तंदुरुस्ती हासिल करने के लिए इस संतुलन को बहाल करना होगा।
योग भारत में ‘स्वास्थ्य और शारीरिक शिक्षा’ का अभिन्न अंग है, अमेरिका के स्कूलों में भी इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है और ध्यान के स्तर और भावपूर्ण संतुलन पर इसके सकारात्मक प्रभाव के कारण ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के स्कूलों में भी इसे शुरू किया गया है।