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गांधी के आश्वासन के बाद लाखों मेवाती पाकिस्तान जाने से रूके थे
मेवातियों पर गांधी का बडा अहसान है जिन्होने पाकिस्तान में उनको मुहाजिर कहलवाने से बचा लिया
यूनुस अलवी
मेवात: देश के बटवारे के बाद मेवात के मुसलमान जब पाकिस्तान जाने की तैयारी कर रहे थे, तब महात्मां गाधीं के आश्वासन के बाद पाकिस्तान जाने से लाखों मुसलमान रूक गये थे। महात्मां गांधी ने मेवातियों की जान माल की हिफाजत करने और पूरा मान-सम्मान का भरोसा दिये जाने के वादे के बाद जहां लाखों मुसलमान उजडने से बचे वहीं पाकिस्तान जाने का भी इरादा बदल दिया था।
स्वतंत्रता मिलने के बाद देश पूर्ण रूप से आजाद तो हो गया दुर्भाग्य से देश का बटवारा भी हुआ। उस समय मेवात के मुसलमानों को जबरजस्ती पाकिस्तान भेजा जा रहा था। जबकी हरियाणा और राजस्थान के मुसलमान पाकिस्तान जाने के लिये कतई राजी नहीं थे। उस समय हरियाणा के मेवात, गुडगांव और फरिदाबाद पर अंग्रेज सरकार और राजस्थान के अलवर, भरतपुर पर राजाओं का राज था। जहां इस बटवारे से देश में खून की होली खेली जा रह थी वहीं राजस्थान का मेवात भी इससे अछूता नहीं था। जिसकी वजह से राजस्थान के लाखों मुसलमान पाकिस्तान जाने के लिये हरियाणा के मेवात में आये हुऐ थे। हरियाणा और राजस्थान के लाखों मुसलमानों को जबरजस्ती पाकिस्तान भेजा जा रहा था लेकिन मेवाती इसके लिये कतई तैयार नहीं थे।
मेवातियों के साथ हो रहे अत्याचार और जबरजस्ती पाकिस्तान भेजने के मामले को लेकर स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय यासीन खां, कामरेड अबदुल हई अन्य मुस्लिम नेताओं के साथ महात्मा गांधी से मिले और उन्हें मेवात आने का न्योंता दिया। मेवातियों के देश प्रेम को देखते हुऐ महात्मा गांधी 19 दिसंबर 1947 को मेवात के गांव घासेडा पहुचें। उनके साथ पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोपी चंद भार्गव, रणबीर सिंह हुड्डा सहित काफी नेश्रल नेता थे।
मेवात के इतिहास पर करीब दस किताने लिख चुके इतिहासकार सद्दीक मेव ने बताया कि महात्मां गांधी ने 19 दिसंबर 1947 को गांव घासेडा में लाखों मेवातियों लोगों के बीच अपना ऐतिहासिक भाषण दिया। उस समय गांधी जी ने कहा था कि आज मेरे कहने में वह शक्ति नहीं रही जो पहले हुआ करती थी। अगर मेरे कहने में पहले जैसा प्रभाव होता तो आज देश का एक भी मुसलमान भारतीय संघ को छोडकर जाने की जरूरत नहीं करता। न ही किसी हिंदु-सिख को पाकिस्तान में अपना घर बार छोडकर भारतीय संघ में शरण लेने की जरूरत पडती।
उन्होने बताया महात्मां गांधी ने अपने संबोधन में दुख प्रकट करते हुऐ कहा था कि यहां जो कुछ हो रहा है उसे सुनकर मेरा दिल रंज से भर जाता है। चारों ओर आगजनी, लूटपाट, कत्लेआम, जबरजस्ती धर्मपरिवर्तन और औरतों का अपहरण मंदिर, मस्जिद और गुरूद्वारों को तोडना एक पागलपन है, इसे रोका नहीं गया तो दोनों जातियों का सर्वनाश हो जाऐगा।
सद्दीक मेव का कहना है क इस मौक पर गांधी जी ने अपने भाषण में मुस्लिम प्रतिनिधियों द्वारा दिये गये शिकायत पत्र की प्रति लाखों लोगों को पढकर सुनाई और उन्होने मेवातियों को विश्वास दिलाया कि उन्हें पूरा मान सम्मान दिलाया जाऐगा अगर किसी सरकारी अधिकारी ने मेवातियों के साथ कोई अत्याचार किया तो सरकार उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। गांधी जी ने कहा कि मेरे शब्द आपके दुख में थोडा ढांडस बधां सके तो मुझे खुशी होगी। उन्होने अलवर और भरतपुर की रियासतों से जबरजस्ती निकाले गये मुसलमानों पर दुख प्रकट किया।
भारत में एक समय आयेगा जब सारी नफरत जमीन में दफना दी जाऐगी और फिर अमन चेन से दोनों समाज रह सकेंगें। गांधी के आश्वासन और विचारों का मुसलमानों पर इतना असर हुआ की उन्होने पाकिस्तान जाने का अपना इरादा बदल दिया था।
मेवात के फजरूदीन बेसर, डाक्टर बशीर अहमद, रमजान चौधरी, शौकत अली ऐडवोकेट और महमूदुल हसन ऐडवोकेट का कहना है कि गांधी जी के सुरक्षा का आश्वासन देने के बाद मेवात के मुसलमान रूक गये थे। अगर उस समय नहीं रूकते तो हरियाणा और राजस्थान में एक भी मुसलमान नहीं होता। मुसलमानों पर गांधी जी का सबसे बडा अहसान है जिन्होने पाकिस्तान जाने से रोका आज हिंदुस्तान में मुसलमान अमन और सम्मान की जिंदगी जी रहे हैं जबकी पाकिस्तान में हिंदुस्तान से गये लोगों को आज भी मुहाजिर कहकर पुकारा जाता है।