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फार्म 6 जमा कराने के प्रावधान का नहीं किया अनुपालन
शिव नादर स्कूल मामले में जाँच के आदेश
गुरुग्राम, 08 मई: गुरुग्राम मण्डल के आयुक्त एवं फीस व फण्ड रैगुलेटरी कमेटी के अध्यक्ष डा. डी सुरेश ने आज अपने कार्यालय में गुरुग्राम के चार स्कूलों के प्रबंधन तथा उनमें पढने वाले बच्चों के अभिभावकों की फीस बढौत्तरी के मामले में सुनवाई की। उन्होंने आज गुरुग्राम के डीपीएसजी स्कूल पालम विहार, वैगा स्कूल सैक्टर-48, शिव नादर स्कूल तथा प्रसिडियम स्कूल के फीस बढौत्तरी के मामलों की सुनवाई की।
इस सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि दो स्कूल डीपीएसजी तथा वैगा स्कूल ने हरियाणा विद्यालय शिक्षा नियम के तहत फार्म 6 नही जमा करवाया है इसलिए ये स्कूल अभी फीस बढौत्तरी करने के लिए सक्षम नही हैं।
इन स्कूलों को अभी हरियाणा सरकार से अनुमति तो मिल गई है लेकिन मान्यता विचाराधीन है। इन्होंने मान्यता के लिए सरकार के पास आवेदन किया हुआ है। मण्डलायुक्त ने कहा कि जब तक ये स्कूल फार्म-6 भरकर नही देते तब तक ये फीस के ढांचे में बदलाव करने के लिए सक्षम नही है। राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त होने के बाद ही स्कूलों के लिए 31 दिसंबर तक अगले शैक्षणिक सत्र के लिए फार्म-6 भरकर शिक्षा विभाग में जमा करवाना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में इन दोनों स्कूलों को फीस व फण्ड रेगुलेटरी कमेटी के अध्यक्ष होने के नाते वे आदेश जारी करेंगे। यदि स्कूलों द्वारा इन आदेशों की उल्लंघना की जाती है तो वे शिक्षा विभाग को इन्हें मान्यता नही देने की सिफारिश कर सकते हैं। मण्डलायुक्त ने कहा कि इस दौरान ये स्कूल किसी भी बच्चे को स्कूल से नहीं निकाल सकते और ना ही किसी प्रकार की पैनलटी लगा सकते हैं।
पालम विहार के डीपीएसजी स्कूल के मामले में प्रबंधन ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उन्होंने चिरंजीव भारती स्कूल की बिल्डिंग लेकर उसमें नया स्कूल शुरू किया है, इसलिए उन्होंने फीस के नए ढांचे का प्रस्ताव भी किया है। अभिभावकों ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उन्होंने अपनी हैसियत के हिसाब से चिरंजीव भारती स्कूल में बच्चों का दाखिला करवाया था, जिसकी फीस अब के मुकाबले काफी कम थी और वे बढी हुई फीस भरने में अपने आपको असक्षम मानते हैं। उन्होंने कहा कि शुरू में डीपीएसजी द्वारा फीस में 200 प्रतिशत वृद्धि की गई थी और अब भी पिछले वर्ष के मुकाबले वृद्धि 70 प्रतिशत है, जोकि अनुचित है। जिला शिक्षा अधिकारी नीलम भण्डारी ने भी अपना मत देते हुए कहा कि स्कूल प्रबंधन द्वारा फीस बढाना न्याय संगत नही है। साथ ही उन्होंने बताया कि डीपीएसजी के पास तीसरी कक्षा तक स्कूल चलाने की अनुमति है। वर्तमान में इस स्कूल में चिरंजीव भारती स्कूल मे शिक्षारत लगभग 3500 बच्चे पढ रहे हैं। डीपीएसजी स्कूल में फीस बढौत्तरी का मामला प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राव नरबीर सिंह के संज्ञान में आया था जिसके बाद उन्होंने स्थानीय अधिकारियों को इसे हल करने की हिदायत दी थी। मंत्री के हस्तक्षेप से आज अभिभावकों को काफी राहत मिली है।
इसी प्रकार वैगा स्कूल ने भी राज्य सरकार को मान्यता के लिए आवेदन किया हुआ है। मण्डलायुक्त ने कहा कि पहले स्कूल मान्यता प्राप्त करे और उसके बाद फार्म-6 भरकर पब्लिक डोमेन में डाले ताकि सभी अभिभावकों को पता चल सके कि उनका फीस स्ट्रक्चर क्या होगा और उसी अनुरूप वे अपने बच्चों को इस स्कूल में पढाने या नहीं पढाने के बारे में फैसला ले सकते हैं। इस स्कूल के मामले में भी मण्डलायुक्त के फैसले ने अभिभावकों को काफी राहत प्रदान की है। अभिभावकों का आरोप था कि फीस बढौत्तरी नाजायज है जबकि प्रबंधन का कहना था कि अच्छे शिक्षक नियुक्त करने के लिए 10 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।
इसी प्रकार आज दोपहर बाद मण्डलायुक्त ने शिव नादर स्कूल प्रबंधन तथा अभिभावकों का पक्ष सुना। प्रबंधन ने पक्ष रखा कि उनके स्कूल द्वारा शैक्षणिक सत्र 2016-2017 के लिए दो बार फार्म-6 जमा करवाया है। एक फार्म 30 दिसंबर 2015 तथा दूसरा 11 मार्च 2016 को शिक्षा विभाग में जमा करवाया गया और जो फीस फार्म 6 में दर्शाई कई है उसी के अनुसार फीस ली जा रही है। लगभग 91 प्रतिशत अभिभावक फीस की अदायगी भी कर चुके हैं। अभिभावकों ने कहा कि फार्म-6 के बिंदु नंबर 7 में जो फीस दर्शाई गई है, उतनी राशि वे भरने को तैयार हैं परंतु प्रबंधन का कहना है कि वार्षिक फीस को बिंदु नबंर 6 (डी) में दर्शाया गया है। प्रबंधन ने यह भी कहा कि शिक्षा विभाग के फॉर्मेट के अनुसार ही फीस दर्शाई गई है और उसमें वार्षिक फीस का कॉलम नही था। उन्होंने कहा कि उनका मकसद अभिभावकों से कुछ भी छिपाना नही है।
शिव नादर स्कूल के मामले में मण्डलायुक्त ने जांच के आदेश दिए हैं जिसमें यह देखा जाएगा कि विद्यालय द्वारा दो बार फार्म 6 क्यों भरा गया, क्या फार्म 6 समय पर भरा गया था और इस बारे में भी शिक्षा विभाग से सुझाव मांगा जाएगा कि क्या स्कूल अपनी फीस बिंदु नबंर 6 में भी दर्शा सकता है। उन्होंने कहा कि इसमें 15 से 30 दिन लग सकते हैं। साथ ही आदेश दिए कि इस दौरान अभिभावक बिंदु नबंर 7 के हिसाब से फीस अदा कर सकते हैं, लेकिन प्रबंधन को भी यह छूट रहेगी कि वह उसे स्वीकार करें या फैसला आने तक इंतजार करे। इस दौरान विद्यालय प्रबंधन किसी भी अभिभावक या विद्यार्थी को प्रताडि़त नही करेगा और ना ही किसी बच्चे के खिलाफ कोई कार्यवाही करेगा। इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी तथा जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी को आदेश दिए गए कि वे एक सप्ताह के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
प्रसिडियम स्कूल के मामले में प्रबंधन ने बताया कि स्कूल द्वारा समय पर फार्म-6 जमा करवाया गया है और फीस में बढौत्तरी 10 प्रतिशत से कम है। अभिभावकों का आरोप था कि उन्हें फार्म-6 नही दिखाया गया और बार-बार पूछने पर भी यह नहीं बताया गया कि हर साल स्कूल द्वारा लिए जाने वाले वार्षिक चार्जिज और डवलैपमेंट फीस का कहा प्रयोग हुआ है। इस पर मण्डलायुक्त ने कहा कि उनके मामले में संवादहीनता नजर आ रही है। उन्होंने स्कूल प्रबंधन को आदेश दिए कि वह अपने स्कूल के नोटिस बोर्ड पर फार्म-6 की प्रति प्रदर्शित करे और उसे अपने स्कूल की वैबसाईट पर भी अपलोड करे ताकि कोई भी व्यक्ति उसे देखकर अपने बच्चे को वहां पढाने या नही पढाने के बारे में निर्णय ले सके। जहां तक डवलैपमेंट फण्ड के खर्च का सवाल है, यह उनकी अध्यक्षता वाली कमेटी के दायरे में नही आता और इस बारे में वे शिक्षा विभाग को अपनी शिकायत भेज सकते हैं।
इस मौके पर गुरुग्राम उत्तरी के एसडीएम भारत भूषण गोगिया, जिला शिक्षा अधिकारी नीलम भण्डारी व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी राम कुमार फलसवाल भी उपस्थित थे