तीन तलाक मामले में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का यू-टर्न !

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बोर्ड के उपाध्यक्ष डॉ. सईद सादिक ने कहा, 18 माह में खुद ही तीन तलाक को ख़त्म कर देंगे 

नई दिल्ली : तीन तलाक पर मचे घमासान के बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मंगलवार को चौकाने वाला बयान दिया है. मीडिया की ख़बरों में बोर्ड के उपाध्यक्ष डॉ. सईद सादिक के हवाले से कहा गया है कि बोर्ड ने कहा है कि तीन तलाक के मामले में सरकार दखल न दे.  हम इसे खुद 18 महीने के भीतर खत्म कर देंगे. इस अति विवादास्पद मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त करते हुए डॉ. सादिक ने कहा कि एआईएमपीएलबी खुद तीन तलाक के मसले से निपट लेगा, इसमें सरकार को दखल देने की जरूरत नहीं है.

 

दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय के समक्ष अपना मत स्पष्ट करते हुए कहा कि ‘तीन तलाक’, ‘निकाह हलाला’ और बहु विवाह मुस्लिम महिलाओं के सामाजिक स्तर और गरिमा को प्रभावित करते हैं . ये प्रथा मुस्लिम महिलाओं को  संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों से वंचित करते हैं। शीर्ष न्यायालय के समक्ष दायर ताजा हलफनामे में सरकार ने अपने पिछले रुख को एक बार फिर दोहराया है. इसमें  कहा है कि ये प्रथाएं मुस्लिम महिलाओं को उनके समुदाय के पुरुषों की तुलना में और अन्य समुदायों की महिलाओं की तुलना में ‘असमान एवं कमजोर’ बना देती हैं।

 

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (महिला) की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अस्मा जोहरा ने रविवार को जयपुर में दावा करते हुए कहा कि तीन तलाक और शरीयत के समर्थन में पूरे देश से करीब 3.50 करोड़ फार्म मिले हैं।  जोहरा ने जयपुर के ईदगाह में मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों, व चुनौतियों पर आयोजित एक कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमें शरीयत और तीन तलाक के समर्थन में देश भर की मुस्लिम महिलाओं की ओर से 3.5 करोड़ फार्म प्राप्त हुए है। इसका विरोध करने वाली महिलाओं की संख्या बहुत कम है।

 

उन्होंने दावा किया कि सबसे कम तलाक के मामले मुस्लिम समाज में हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि माहौल ऐसा बनाया जा रहा है जैसे सबसे ज्यादा तलाक मुसलमानों में ही हो रहे हैं। उन्होंने आशंका व्यक्त की कि यह एक साजिश है ताकि मुसलमानों को बदनाम किया जा सके . महिलाओं के अधिकारों के नाम पर मुसलमानों के सामाजिक ताने-बाने को तोड़ा जा सके।

 

बोर्ड के सदस्य यास्मीन फारूखी ने यहाँ तक कहा कि तीन तलाक के मामले में महिलाओं की आड़ लेने की कोशिश इसलिये की जा रही है क्योंकि मुस्लिम महिलाओं में शिक्षा की कमी है.  इसलिए उन्हें आसानी से बेवकूफ बना दिया जायेगा। जबकि ऐसा है नहीं, मुस्लिम महिलाएं खुलकर शरीयत के समर्थन में आगे आयी है, यही वजह है कि शरीयत पर सवाल खड़ा करने वाली अनभिज्ञ महिलाओं की तादाद पांच-दस से ज्यादा नहीं होती है।

 

उल्लेखनीय है कि आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कार्यकारिणी की आगामी 15 अप्रैल को दो दिवसीय बैठक शुरू होगी. उम्मीद है कि इसमें तीन तलाक और अयोध्या विवाद के बातचीत से हल समेत कई अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जा सकता है. बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली के अनुसार बोर्ड कार्यकारिणी की बैठक आगामी 15 और 16 अप्रैल को लखनऊ स्थित नदवा में आयोजित की जाएगी। उन्होंने बताया कि बैठक के एजेंडा में मुख्य रूप से तीन तलाक को लेकर उच्चतम न्यायालय में जारी मामले की पैरवी और बाबरी मस्जिद विवाद को बातचीत के जरिये सुलझाने की उच्चतम न्यायालय की पेशकश पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

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