अजमेर : अजमेर की दरगाह में साल 2007 हुए बम ब्लास्ट मामले में स्वामी असीमानंद को कोर्ट ने आज बरी कर दिया है. स्वामी असीमानंद को अजमेर के ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती दरगाह में 2007 में हुए विस्फोट के मामले में गिरफ्तार किया गया था. इसके साथ ही तीन अन्य आरोपियों को दोषी ठहराया गया है। सजा का ऐलान कोर्ट बाद में करेगी.
प्रकरण में स्पेशल एनआईए कोर्ट ने बुधवार को यह फैसला सुनाया. इस मामले में कोर्ट ने सुनील जोशी, देवेंद्र गुप्ता और भावेश पटेल को दोषी करार दिया है. इन तीनों को 16 मार्च को सजा सुनाई जाएगी. एनआईए ने इस मामले में करीब 13 लोगों के खिलाफ चार्जशीट पेश की थी. इनमें से सुनील जोशी की पहले ही मौत हो गई थी. वहीं तीन आरोपी अभी भी फरार हैं.
राजस्थान एटीएस ने 20 अक्टूबर 2010 को अजमेर में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष तीन आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश की थी. बाद में एक अप्रेल 2011 को एनआईए ने एटीएस से यह केस ले लिया था. आरोपियों में स्वामी असीमानंद, देवेंद्र गुप्ता, चंद्रशेखर लेवे, लोकेश शर्मा, मुकेश वसानी, हर्षद भरत मोहनलाल रतेश्वर, संदीप डेंगे, रामचंद्र, भावेश भाई पटेल, सुरेश नायर और मेहुल शामिल थे.
मालूम हो कि 11 अक्टूबर 2007 को शाम 6.15 बजे रोजा इफ्तार के समय दरगाह परिसर में एक शक्तिशाली बम धमाका हुआ था जिसमें तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी तथा 15 लोग घायल हो गए थे. पुलिस को घटनास्थल से एक बैग मिला था जिसमें जिंदा बम था. दो सिम कार्ड भी मिले थे। दोनों सिम कार्ड्स को इस्तेमाल टाइमर डिवाइस के तौर पर किया गया था.