रंगमंच भारत की ही प्राचीन परंपरा है : लुईस

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एसजीटी यूनिवर्सिटी में दो दिवसीय रंगमंच कार्यक्रम का हुआ समापन

गुडग़ांव,  (अशोक): भारत में रंगमंच की बड़ी प्राचीन परंपरा है और यहां नए-नए प्रयोग भी हो रहे हैं, लेकिन यह सब पर्याप्त नहीं है। कुछ और करने की जरुरत है। अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग रंगमंच में किया जाना चाहिए। सीनोग्राफर, थिएटर आर्कीटेक्ट, लाइट डिजायनर आदि क्षेत्र में काम करने की जरुरत है।

उक्त बात अंतरराष्ट्रीय संगठन ओआईएसटीएटी के अध्यक्ष लुईस जेनसेन ने जिले के गांव बुढेड़ा स्थित एसजीटी यूनिवर्सिटी में वीरवार को आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। लुईस यहां अपने संगठन की कार्यकारी समिति की वार्षिक बैठक में हिस्सा लेने आए हुए हैं। 7 सदस्यीय समिति की बैठक पिछले 2 दिनों से एसजीटी यूनिवर्सिटी में चल रही थी, जिसका वीरवार को समापन हो गया। इस बैठक में कई देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

लुईस का संगठन विश्व प्रसिद्ध है। यह संगठन प्रमुख रूप से रंगंमंच के क्षेत्र में काम करता है, लेकिन लाइव प्रदर्शन कलाओं में भी वह महत्वपूर्ण काम कर रहा है। एसजीटी लुईस के साथ मिलकर रंगमंच में नए-नए प्रयोग करेगा। इस पर दोनों में सहमति हो गई है। इस आयोजन में यूनिवर्सिटी के प्राध्यापक व छात्र-छात्राओं ने भी बढ-चढकर भाग लिया।

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