जाट आरक्षण को लेकर सरकार की मंशा सपष्ट
चंडीगढ़ : हरियाणा के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि जाट समेत 6 जातियों को आरक्षण विधानसभा में सर्वसम्मति से कानून पारित करके दिया है, जो देश में किसी भी समाज को दिए गए आरक्षण के कानूनों में सबसे मजबूत कानून है। यह आरक्षण देने की सरकार व मुख्यमंत्री मनोहर लाल की नीयत, नीति और स्पष्टवादी मंशा को दर्शाती है।
कैप्टन अभिमन्यु, जो आज यहां पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे, ने कहा कि उन्हें आशा है कि उच्च न्यायालय में पिछले 11 महीनों से सरकार द्वारा की जा रही पैरवी के सकारात्मक परिणाम मिलेंगे और उच्च न्यायालय भी हरियाणा विधानसभा के सभी 90 विधायकों तथा प्रदेश के ढाई करोड़ लोगों की भावना को देखते हुए जाट समेत 6 जातियों के आरक्षण पर सहमति देगा और कोर्ट का फैसला आने के बाद हरियाणा सरकार इसे संविधान की 9वीं सूची में डालने की अनुशंसा केंद्र सरकार को करेगी।
वित्त मंत्री ने धरना-प्रदर्शन पर बैठे लोगों से भी विनम्र अपील की है कि वे उच्च न्यायालय का सम्मान करे और संविधान व कानून की मर्यादा बनाए रखना हम सब की जिम्मेदारी है। उन्होंने आंदोलन में कांग्रेस व इनेलो के नेता स्वयं उपस्थित होकर अपने युवाओं के कंधों पर बंदूक रखकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रहे हैं।
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि इनेलो के समय कंडेला कांड हुआ था उसमें मारे गए 9 लोग कौन थे, वे तो अपने मांग रख रहे थे। क्या, उस समय मृतकों के आश्रितों को मुआवजा दिया गया या नौकरी दी गई या मुकदमें वापिस लिए गए? कांग्रेस सरकार के समय भी जाट आंदोलन हुआ था और आज भी सौ लोगों पर बीस-बाईस से अधिक मुकदमें दायर हैं। क्या कांग्रेस ने मुकदमे वापिस लिए थे? इसके लिए कांग्रेस व इनेलो दोनों पार्टियों को समाज से माफी मांगनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की कांग्रेस सरकार ने आरक्षण पर नीम पर एक अधूरा और अधकचरा अध्यादेश पारित करके चुनाव के मद्देनजर लोगों को बरगलाया था। सरकार राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग तथा राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के माध्यम से आरक्षण दिलाने के लिए सार्थक प्रयास कर रही है।
मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी की खापों व आंदोलनकारियों के साथ अगली बैठक बारे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में वित्त मंत्री ने कहा कि प्रशासनिक स्तर जवाब तैयार किया जा रहा है और कानूनी राय ली जा रही है। उसके बाद तिथि निर्धारित होगी। उन्होंने कहा कि संवाद ही एक हल है, वे स्वयं सामाजिक न्याय के पक्षधर रहे हैं। समाज में अमन और शांति के लिए और भाईचारे को टूटने से बचाने के लिए जो उचित हो वो हर व्यक्ति को करना चाहिए, चाहे वह विपक्ष में बैठी राजनीतिक पार्टी के नेता ही क्यों न हों।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि पार्क, सार्वजनिक स्थलों, सडक़ किनारे तथा गाडिय़ों में बैठकर शराब पीने बढ़ती प्रवृति को देखते हुए सरकार ने पंजाब आबकारी अधिनियम, 1914 के तहत केवल लाईसेंसड या प्राधिकृत स्थलों पर ही शराब पीने की छूट दी है। उन्होंने कहा कि प्रथम अपराध के लिए 5,000 रुपये प्रति व्यक्ति, दूसरे तथा इसके उपरांत प्रत्येक अपराध के लिए 10,000 रुपये प्रति व्यक्ति का जुर्माना लगाकर स्वयं मामले का निपटान कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि शराब पीकर सडक़ों पर दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है और शराबी व्यक्ति महिलाओं पर भी अभद्र टिप्पणी करते हैं। अब महिलाएं भी सरकार के इस फैसले से संतुष्ट होंगी और अपने को सुरक्षित महसूस करेंगी और समाज का हर सभ्य व्यक्ति इसका स्वागत करेगा।