हिन्दू आध्यात्मिक सेवा मेला में कवियों ने भी हुंकार भरी
कवि सम्मेलन का भी हुआ आयोजन
गुरुग्राम। हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला शुक्रवार की शाम अपने पूरे यौवन पर था। पूरा दिनभर चले अध्यात्म और सेवा विचार के बाद सांझ को देशभक्ति की ऐसी बयार चली कि वहां मौजूद हर मन राष्ट्र आराधना के रंग से सराबोर था। मौका था राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का। हास्य, व्यंज्य, गीत, गजल और ओज की स्वर लहरियों से मंत्रमुज्ध सभागार में मौजूद हर श्रोता झूूम रहा था। झूमे भी क्यों ना जब देशभक्ति, सेवाभाव और पाकिस्तान को निपटाने की बात चले तो कोई कैसे अपने को रोक सकता है। हालात यह थे कि कवि जाने को तैयार थे, लेकिन श्रोता वंस मोर वंस मोर की पुकार कर रहे थे।
ओज के कवि विनीत चौहान ने जैसे ही काव्य पाठ में कहा कि ‘जिस दिन सेना ने ठान लिया उस दिन पाकिस्तान नहीं होगा’ तो पूरा सभागार करतल ध्वनि से गूंज उठा।
राजस्थान से आए विनीत चौहान ने भंसाली प्रकरण पर बोलते हुए कहा –
‘इतिहास तोडक़र कह डाला संजय लीला भंसाली ने,
ज्यों सारे फल मसल डाले खुद ही बगिया के माली ने।
जब भी गंदी नजरें डालीं खिलजी ने या अब्दाली ने,
उनका ही शीश काट डाला बनकर रणचंडी काली ने।।’
वहीं विनीत चौहान ने देशभक्ति से ओत-प्रोत अपनी ओजस्वी कविता के माध्यम से श्रोताओं के दिल में देशभक्ति के भाव पैदा कर दिए। विनित चौहान ने पाकिस्तान को घेरते हुए कहा कि ‘पूरी घाटी दहल चुकी थी आतंकी आंगारों से, काश्मीर में आग लगी थी पाकिस्तानी नारों से।’
फरीदाबाद से आए वीर रस के कवि दिनेश रघुवंशी ने सीमा पर तैनात सैनिकों के संकल्प के बारे में कहा-
‘मैं अपने हर तराने में हमेशा गाऊंगा तुझको
वहां सीमा पे अपने साथ लेकर जाऊंगा तुझको,
है तन में सांस जब तक भी तिरंगे है कसम तेरी
लिपट कर आऊंगा तुझमे या फिर फहराऊंगा तुझको।’
शरफ बहराइची ने देशभक्ति गजल से श्रोताओं में जोश भरते हुए कहा कि
‘ये मेरा दिल ये मेरी जान ये मेरा प्यारा हिंदुस्तान सदा आबाद रहेगा, ये जिंदाबाद रहेगा।’
रेवाड़ी से आए कवि विपिन सुनेजा ने अपनी कविता से टूटते पारिवारिक रिश्तों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि
‘दिल धडक़ते हैं अभी पर भावनाएं मर गर्ईं
वेदनाएं बढ़ गई, संवेदनाएं मर गई।’
गजल सम्राट लक्ष्मी शंकर वाजपेयी ने प्राचीन परंपराओं के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि
‘सडक़ चलते मुसाफिर को भी, जब पानी पिलाते थे
हमारे गांव वाले साथ में, मीठा खिलाते थे।’
सोनीपत से आए कवि डॉ. अशोक बत्रा ने कहा कि ‘मैं नेता नहीं, जादूगर हूं
एक ही जादू जानता हूं आदमी को वोट नहीं इंसान मानता हूं,
गणतंत्र चलाने की नीयत को अड़ाने से ज्यादा महान मानता हूं।’
व्यंग्य और हास्य के अंतर्राष्ट्रीय कवि सुदीप भोला ने उत्तरप्रदेश में कांग्रेस व सपा के गठबंधन पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि
‘अखिलेश कहे राहुल से मैं दूर हुआ बाबुल से,
आजा कर ले ठगबंदी, जीतेंगे फूल कमल से
ये बंधन तो स्वार्थ का ठगबंधन है, मोदी जी का टेंशन है।’
मंच संचालन कर रही वीणा अग्रवाल ने माता-पिता की महता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ‘माता-पिता के जैसा निर्मल प्यार नहीं हमने देखा,
देखा है संसार बहुत वह प्रेम आपार नहीं देखा
जिनको अपने माता-पिता जीते जी स्वीकार नहीं हैं
मैं कहती हूं उनके बाद उन्हें रोने का अधिकार नहीं है।’
गुरुग्राम के युवा कवि सुंदर कटारिया ने अपनी कविता के माध्यम से प्राचीन संस्कृति का व्याखान किया। सुंदर कटारिया ने खासतौर पर हरियाणवी संस्कृति को अपनी कविताओं के माध्यम से प्रस्तुत किया। उन्होंने धोती की महिमा का गुणगान इस प्रकार किया-
‘मेरे दादा की धोती मेरी दादी ना धोती
धोती के थी कमाल थी, वाहे तोलिया-वाहे रूमाल थी।’