नई दिल्ली : क्षेत्रीय संपर्क योजना (आरसीएस)-उड़ान के माध्यम से देश के दूरदराज इलाकों में अब तक अप्रयुक्त/अपेक्षाकृत कम प्रयुक्त हवाई अड्डों को जोड़कर क्षेत्रीय हवाई संपर्क को बढ़ाया गया है। उड़ान योजना के अंतर्गत पांच दौर की बोली के आधार पर, अब तक 517 मार्गों के लिए 76 हवाई अड्डों को जोड़ कर परिचालन शुरू किया गया है, जिसमें 9 हेलीपोर्ट और 2 वाटर एयरोड्रम शामिल हैं। उड़ान योजना के अंतर्गत उड़ान शुरू होने से 130 से ज्यादा शहरों की जोड़ी बन गई है। उड़ान योजना के अंतर्गत अब तक 2.47 लाख उड़ानें संचालित की गई है, जिसमें 1.3 करोड़ से ज्यादा लोगों ने यात्रा की है। यह जानकारी नागर विमानन राज्य मंत्री, जनरल (सेवानिवृत्त) वी के सिंह ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
इस योजना के अंतर्गत प्रदान की जा रही रियायतें निम्नानुसार हैं:
हवाईअड्डा ऑपरेटर:
- हवाईअड्डा ऑपरेटर आरसीएस उड़ानों पर लैंडिंग और पार्किंग कर न लगाएं।
- भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण आरसीएस उड़ानों पर कोई टर्मिनल नेविगेशन लैंडिंग शुल्क (टीएनएलसी) नहीं लगाएं।
- भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा रूट नेविगेशन और सुविधा शुल्क (आरएनएफसी) आरसीएस उड़ानों पर सामान्य दरों के 42.50% पर रियायती आधार पर लगाया जाए।
- चयनित एयरलाइन प्रचालकों (एसएओ) ने सभी हवाईअड्डों पर इस योजना के अंतर्गत ऑपरेटरों को स्व-ग्राउंड हैंडलिंग की अनुमति दी है।
केंद्र सरकार:
- इस योजना की अधिसूचना जारी होने की तारीख से तीन वर्ष की प्रारंभिक अवधि के लिए आरसीएस हवाईअड्डों से एसएओ द्वारा खरीदे गए हवाई र्इंधन (एटीएफ) पर 2% की दर से उत्पाद शुल्क लगाया जाएगा।
- एसएओ को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय एयरलाइंस दोनों के साथ कोड साझाकरण व्यवस्था में प्रवेश करने की स्वतंत्रता है।
राज्य सरकारें अपने-अपने राज्यों के आरसीएस हवाई अड्डों पर:
- राज्यों में स्थित आरसीएस हवाईअड्डों पर एटीएफ पर वैट को 10 वर्षों की अवधि के लिए घटाकर 1 प्रतिशत या उससे कम करना।
- आरसीएस हवाई अड्डों के विकास के लिए अगर आवश्यक हो, तो न्यूनतम भूमि को निशुल्क और बाधाओं से मुक्त करना एवं आवश्यकतानुसार मल्टी-मॉडल भीतरी इलाकों को संपर्क प्रदान करना।
- आरसीएस हवाई अड्डों पर सुरक्षा और अग्निशमन सेवाएं मुफ्त प्रदान करना।
- आरसीएस हवाई अड्डों पर रियायती दरों पर बिजली, पानी और अन्य उपयोगिता सेवाएं प्रदान करना या उपलब्ध कराना।
इस योजना से अब तक 1.3 करोड़ से ज्यादा यात्री लाभान्वित हुए हैं।