नई दिल्ली /जयपुर : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने समाज की समग्र प्रगति सुनिश्चित करने के लिए नागरिक समाज संगठनों (सीएसओ) और सरकारों के बीच तालमेल बढ़ाने का आह्वान किया है। श्री राजनाथ सिंह राजस्थान के जयपुर में 29 जुलाई, 2023 को सिविल-20 (सी-20) भारत शिखर सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। सिविल-20 (सी-20), जिसे वर्ष 2013 में आधिकारिक जी-20 कार्य समूह के रूप में शुरू किया गया था, आधिकारिक जी-20 द्वारा उठाए जा रहे मुद्दों पर गैर-सरकारी दृष्टिकोण को सामने लाने के लिए नागरिक समाज संगठनों (सीएसओ) को एक मंच प्रदान करता है। यह उन्हें दुनिया को प्रभावित करने वाली प्राथमिक और आम चिंताओं पर विचार करने और सामाजिक और आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
श्री सिंह ने यह विचार व्यक्त किया कि समग्र विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नागरिक समाज संगठनों (सीएसओ) और पारंपरिक सरकारी संरचनाओं के लाभों का उपयोग करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “जबकि सरकारी व्यवस्था अधिक कठोरता से संरचित और संस्थागत है और पहल व्यापक रूप से पर्याप्त बहुमत के विचारों का प्रतिनिधित्व करती है; नागरिक समाज संगठनों (सीएसओ) के पास प्रवाही संरचनाएं हैं जो समाज में नए विचारों और प्रथाओं को लागू करने के लिए अधिक गुंजाइश प्रदान करती हैं। आधुनिक राज्य संरचनाओं में, सरकारें नवीन और अपरीक्षित विचारों पर जल्दबाजी में कार्य नहीं कर सकती हैं, लेकिन नागरिक समाज संगठनों (सीएसओ) के पास काफी गुंजाइश है क्योंकि वे नीचे से ऊपर के दृष्टिकोण में काम करते हैं और लगातार बदलती जमीनी हकीकतों के प्रति अधिक उत्तरदायी हैं। नागरिक समाज संगठनों (सीएसओ) सरकारों के लिए बल-गुणक के रूप में कार्य कर सकते हैं।”
एकीकृत समग्र स्वास्थ्य, शिक्षा और डिजिटल परिवर्तन, लैंगिक समानता से लेकर प्रौद्योगिकी, सुरक्षा और पारदर्शिता तक विविध क्षेत्रों पर विभिन्न सिविल-20 समूह काम कर रहे हैं। रक्षा मंत्री ने इस बात पर बल दिया कि इन समूहों में आज की सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय चुनौतियों के सभी आयामों में आधिकारिक नीतियों और कार्यक्रमों को प्रभावित करने की क्षमता है।
रक्षा मंत्री श्री सिंह ने ऐसे कई उदाहरण गिनाए, जहां सरकार और नागरिक समाज दोनों ने मानव कल्याण को बढ़ाने में पूरक भूमिका निभाई। उन्होंने कहा, “सरकार की कई ऐतिहासिक पहल जैसे स्वच्छ भारत अभियान, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान आदि, जिनसे समाज में महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी और व्यवहारिक परिवर्तन सामने आए हैं, इन क्षेत्रों में विभिन्न नागरिक समाज संगठनों (सीएसओ) द्वारा किए गए कठिन प्रयासों से पूरक थे। व्यापक स्तर पर, यह दावा किया जा सकता है कि एक मजबूत और प्रबुद्ध नागरिक समाज एक कामकाजी लोकतंत्र के लिए आवश्यक है, क्योंकि यह नागरिकों को राष्ट्रीय उद्देश्यों को प्राप्त करने की दिशा में चुनावी राजनीति के प्रतिकूल क्षेत्र के बाहर विचार-विमर्श और सहकारी प्रयासों में शामिल होने में सक्षम बनाता है।”
रक्षा मंत्री ने इस तथ्य का स्मरण किया कि जी-20 का गठन वर्ष 1999 में हुआ था। इसको वर्ष 2008 के वैश्विक आर्थिक और वित्तीय संकट के मद्देनजर सरकार के प्रमुखों के स्तर पर उन्नत किया गया था। उन्होंने कहा कि जबकि इसके बाद से इसका दायरा काफी बढ़ गया है। फिर सतत विकास, स्वास्थ्य, ऊर्जा, पर्यावरण से लेकर एंटी करप्शन जैसे विभिन्न क्षेत्रों को शामिल करने के लिए, इसे अब भी मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए प्रमुख मंच के रूप में नामित किया गया है। अर्थव्यवस्था पर जी-20 ध्यान देने वाले क्षेत्रों में आर्थिक विकास, जीवन की गुणवत्ता में सुधार, जीवन स्तर आदि शामिल हैं।
रक्षा मंत्री ने बताया कि जहां जी-20 एक दृढ़ मंच है, वहीं सिविल-20 विभिन्न क्षेत्रों के कई नागरिक समाज संगठनों (सीएसओ) का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने कहा, “सिविल-20 मंच का आसान, समावेशी दृष्टिकोण जी-20 से सीख भी सकता है और सिखा भी सकता है, जिससे वैश्विक स्तर पर नीतियों और कार्यक्रमों के डिजाइन और कार्यान्वयन में और सुधार हो सकता है। इस प्रकार, सिविल-20 और जी-20 के स्तर पर इसमें निकट संबंध मौजूद है, जिसके माध्यम से एक सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यवस्था स्थापित की जा सकती है। इसलिए, इस रिश्ते को निरंतर आधार पर पोषित करने की आवश्यकता है।”
श्री सिंह ने दुनिया के सामने आने वाली समान और परस्पर जुड़ी समस्याओं के समन्वित समाधान का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “जिस पैमाने पर हम खतरों का सामना कर रहे हैं और हमारे पास जो अवसर हैं, वे बहुत बड़े हैं। हमारे सामने आने वाले कार्यों की विशालता के लिए हम सभी को, सरकारों और नागरिक समाज संगठनों (सीएसओ), जी-20, सिविल-20 और अन्य सभी को एक बेहतर दुनिया बनाने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है।”
भारत की जी-20 अध्यक्षता का विषय ‘वसुधैव कुटुंबकम‘, ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ है। इस बारे में बात करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि यह दुनिया भर के लोगों को सामाजिक-आर्थिक प्रणालियों की संरचना करते समय अपना बेहतर जीवन जीने का अवसर प्रदान करता है। उन्होंने कहा, “वसुधैव कुटुंबकम’ हमारे प्राचीन संस्कृत पाठ, महा उपनिषद से लिया गया है, और यह हमारे आस-पास की संपूर्ण सृष्टि के लिए प्यार और सम्मान की पुष्टि करता है, चाहे वह मानव, पशु, पौधे, सूक्ष्मजीव या यहां तक कि निर्जीव पदार्थ हो। इससे पता चलता है कि हमारी प्राचीन परंपरा ‘अन्य’ की प्रक्रिया की संकल्पना नहीं करती है, जिसके बारे में नोबेल पुरस्कार विजेता टोनी मॉरिसन ने इतने विस्तार से लिखा है। उन्होंने लिखा कि भारत में, नस्ल, धर्म आदि के आधार पर कोई ‘अन्य’ नहीं है। हमने कभी भी दूसरे को खुद से अलग नहीं देखा है और हमने पूरी दुनिया को अपने परिवार के रूप में अपनाने का प्रयास किया है।”
इस अवसर पर सिविल-20 की अध्यक्ष माता अमृतानंदमयी, राजस्थान की उद्योग, राज्य उद्यम, देवस्थान मंत्री श्रीमती शकुंतला रावत और जयपुर शहर के सांसद श्री रामचरण बोहरा भी उपस्थित थे।