चंडीगढ़ : हरियाणा के प्रधान महालेखाकार (ऑडिट) कार्यालय द्वारा किए जाने वाले सभी विभागों के ऑडिट के दौरान अब सेवा का अधिकार अधिनियम के तहत आने वाली संबंधित विभाग की सभी सेवाओं के सैंपल की जांच, सेवा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के समक्ष भी की जाएगी।
हरियाणा में सेवा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के तहत सरकारी विभागों द्वारा दी जाने वाली सेवाओं का ऑडिट एवं जांच अब प्रधान महालेखाकार (ऑडिट) कार्यालय द्वारा की जाएगी तथा कार्यालय द्वारा विभागों से जुड़ी सभी सेवाओं का सैंपल तैयार किया जाएगा।
सूचना का अधिकार आयोग की सचिव मीनाक्षी राज ने आज यहां बताया कि हरियाणा के प्रधान महालेखाकार (ऑडिट) और सूचना का अधिकार आयोग के मुख्य आयुक्त के बीच हुई विस्तृत चर्चा के बाद यह अहम निर्णय लिया गया है। प्रधान महालेखाकार (ऑडिट) कार्यालय द्वारा एक पत्र के माध्यम से आयोग को इस निर्णय से अवगत करवाया गया है।
उन्होंने बताया कि इस निर्णय के अनुसार अब ऑडिट के दौरान ध्यान में आने वाली कमियों को संबंधित विभाग या संस्थान की जांच रिपोर्ट में पैरा के तौर पर जोड़ा जाएगा। गैर-संतोषजनक प्रतिक्रिया देने या प्रतिक्रिया न देने पर जांच रिपोर्ट जारी होने के 6 सप्ताह के बाद इस पैरा की एक प्रति आयोग को भेजी जाएगी। जांच रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देने हेतु विभागीय औपचारिकताओं के लिए 4 सप्ताह का समय निर्धारित किया गया है।
श्रीमती मीनाक्षी राज ने बताया कि हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम, 2004 के तहत पात्र व्यक्तियों को अधिसूचित सेवाओं की डिलीवरी निर्धारित समय-सीमा के अंदर देने का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि इससे पहले भी, हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने मुख्य आयुक्त की पहल पर राज्य सरकार से हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) द्वारा प्रदान की जा रही 53 सेवाओं को अनिवार्य सेवाओं के दायरे में लाने की सिफारिश की है। साथ ही, विभिन्न सेवाओं के लिए निर्धारित समय-सीमा को भी तर्कसंगत बनाने को कहा है।