गुडग़ांव, 5 जुलाई : कोरोना महामारी की दूसरी लहर का असर भले ही कम हो गया हो, लेकिन अभी भी धार्मिक पर्वों व अन्य आयोजनों को व्यापक स्तरपर आयोजित करने की अनुमति केंद्र व प्रदेश सरकारों ने नहीं दी है। सावन के माह में होने वाली कावड़ यात्रा को कोरोना संक्रमण के कारण लगातार दूसरे वर्ष भी रद्द कर दिया गया है। उतराखंड के उच्च न्यायालय द्वारा चारधाम यात्रा पर रोक लगाने के चलते उतराखंड सरकार ने कावड यात्रा को भी रद्द करने के आदेश जारी कर दिए हैं।
हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, यूपी, मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड आदि प्रदेशों से कावडिये कावड लाने के लिए बड़ी संख्या में प्रतिवर्ष हरिद्वार पहुंचते थे। हरिद्वार से गंगाजल भरकर ऋषिकेश होते हुए नीलकंठ मंदिर में जलाभिषेक करने की श्रद्धालुओं की पौराणिक परंपरा रही है। गुडग़ांव से भी बड़ी संख्या में कावडिये कावड लेने के लिए हरिद्वार पहुंचते थे, लेकिन पिछले 2 वर्ष से कोरोना महामारी के कारण कावड नहीं आ पा रही हैं, जिसे लेकर श्रद्धालुओं भी परेशान हैं।
जानकारों का कहना है कि सावन में लगने वाले कावड मेले में 500 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार होता था, लेकिन कोरोना के कारण कावड लाने की अनुमति नहीं है ऐसे में हजारों परिवारों पर आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। व्यापारियों को तो नुकसान हुआ ही है, कावड बनाने वाले सैकड़ों परिवार भी प्रभावित हुए हैं। उनका कहना है कि कई मुस्लिम परिवारों ने तो ऋण लेकर कावड तैयार की थी। उन्हें उम्मीद थी कि कावड का मेला शुरु होने पर उनका काम अच्छा चलेगा और वे ऋण भी चुकता कर देंगे, लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है। कावड पर प्रतिबंध लगने से उनके समक्ष आजीविका का संकट पैदा हो गया है।