सुभाष चन्द्र चौधरी/संपादक
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश के सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों व उपराज्यपाल के साथ कोविड-19 संक्रमण की स्थिति पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने देश में कोरोना वेक्सिन उपलब्ध करवाने को लेकर उत्पन्न भ्रम की स्थिति साफ़ कर दी. अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड-19 वैक्सीन को लेकर मीडिया में चल रही चर्चा पर ध्यान नहीं देते हुए हमें विश्वसनीय तथ्यों पर ही आधारित होकर चलना होगा। उन्होंने ध्यान दिलाया कि हम व्यवस्था के पार्ट हैं और हमें विश्वसनीय तथ्यों पर ध्यान देना चाहिए.
उन्होंने स्पष्ट किया कि आज की बैठक में दिए गए प्रेजेंटेशन के माध्यम से यह साफ कर दिया गया है कि कोविड-19 वैक्सीन को डेवलप करने की प्रक्रिया लगभग अंतिम चरण में है. उनका कहना था कि अभी यह तय नहीं है कि वैक्सीन की एक डोज लेने की आवश्यकता है या फिर दो या फिर तीन डोज देना होगा. उनका कहना था कि अभी यह भी तय नहीं है कि वैक्सीन की क्या कीमत होगी. उनके शब्दों में कई सवाल अभी तक अनुत्तरित हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया के देशों में भी आपस में प्रतियोगिता है. इसको लेकर कॉरपोरेट जगत में भी प्रतिस्पर्धा है और अलग-अलग देशों के बीच कूटनीतिक प्रतिस्पर्धा भी है. इसलिए हमें इन सभी चीजों को वैश्विक संदर्भ में ही देखना होगा. उनके अनुसार इंडियन वैक्सिन डेवलपर्स और रिसर्चस के साथ भारत सरकार की टीम पूरी तरह संपर्क में है. इसके अलावा ग्लोबल रेगुलेटर और अन्य देशों की सरकारें विभिन्न प्रकार के संस्थान और अंतरराष्ट्रीय कंपनियां सभी के साथ केंद्र सरकार संपर्क में है. इसके लिए एक स्थापित तंत्र काम कर रहा है।
उन्होंने कहा कि वैक्सीन आने के बाद हमारी प्राथमिकता होगी कि आम जन तक सुरक्षित तरीके से वैक्सीन पहुंचे. इस पर कोई विवाद नहीं है. यह हर नागरिक तक पहुंचाना हमारा नेशनल कमिटमेंट है. इतना बड़ा अभियान सही तरीके से अमल में लाया जा सके, व्यवस्थित तरीके से हो, इसके लिए हम सभी को संयुक्त प्रयास करने होंगे। इसके लिए हमें एक टीम के रूप में काम करना होगा।
प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों से कहा कि इस मामले को लेकर दुनिया के बड़े-बड़े देशों को भी अनुभव नहीं है। उनका कहना था कि वैक्सीन जितना आवश्यक है उतनी ही आवश्यक है सुरक्षा उपायों के प्रति संवेदनशील रहना. उनका कहना था कि भारत जो भी वैक्सीन अपने नागरिकों को देगा वह हर वैज्ञानिकों की कसौटी पर खरा उतरने के बाद उपलब्ध कराया जायगा।
प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया कि आमजन तक वैक्सीन पहुंचाने की मुहिम में सभी राज्यों को साथ लिया जाएगा और इसको लेकर अभी से व्यवस्था बनाने शुरू किए जाने चाहिए।
इसका विस्तृत प्लान केंद्र सरकार शीघ्र ही राज्य सरकारों के साथ साझा करेंगी। उन्होंने याद दिलाया कि केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों से इस मामले में एक स्टीयरिंग कमेटी गठित करने को कहा था. राज्य स्तर से लेकर जिला स्तर एवं ब्लॉक स्तर पर भी कमेटी गठित की जाए और इसकी रेगुलर बैठक होनी चाहिए जिसमें स्थिति को मॉनिटर करने की प्रक्रिया नियमित होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों को इस बात के लिए आगाह किया कि दुनिया में बहुत सारे ऐसे वैक्सीन और दवाइयां आई हैं जिनका बुरा असर 20 वर्ष बाद भी देखने को मिलता रहा है. इसलिए कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम के लिए दिए जाने वाले वैक्सीन को लेकर बेहद सतर्क होने की आवश्यकता है. इसे सभी प्रकार की वैज्ञानिक कसौटी पर कसा जाना चाहिए. इसका निर्णय इस संबंध में अधिकृत संस्थाओं के द्वारा ही किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम राजनीतिक और सामाजिक जीवन में रहने वाले लोग वैज्ञानिक नहीं हैं. इसलिए हमें उन वैज्ञानिकों के सुझाव पर ही निर्भर रहना होगा. हमारी जिम्मेदारी जनसामान्य तक इस वैक्सीन को प्रभावी तरीके से पहुंचाने की है. पीएम ने इसको लेकर डिलीवरी सिस्टम तैयार कर राज्य सरकारों की ओर से केंद्र सरकार को जल्दी से जल्दी भेजने को कहा।
उल्लेखनीय है कि वैक्सीन जनसामान्य तक पहुंचाने की बात पर भी सभी मुख्यमंत्रियों ने बैठक में सवाल उठाये. उन्होंने पीएम के समक्ष देश में कोरोना वैक्सीन के उपलब्ध होने की जानकारी भी केंद्र सरकार से स्पष्ट करने की मांग की ।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी मुख्यमंत्रियों को आज बैठक के दौरान दिए गए उनके सुझाव को लिखित रूप में केंद्र सरकार को मुहैया कराने को कहा . प्रधानमंत्री ने कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान सभी मुख्यमंत्रियों ने अलग-अलग महत्वपूर्ण विषयों को उजागर किया और आवश्यक सुझाव दिए. इससे केंद्र सरकार को आने वाले समय में कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम की दृष्टि से व्यवस्था को और दुरुस्त करने में मदद मिलेगी. मुख्यमंत्रियों के सुझाव के आधार पर केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय और गृह मंत्रालय योजना तैयार करेंगे. उनका कहना था कि इस मामले में केंद्र सरकार हो या फिर राज्य सरकार एक दूसरे पर अपने तर्कों एवं तथ्यों व सुझाव को थोप नहीं सकते. इसमें सभी को मिलकर चलने की आवश्यकता है और सभी के सुझाव पर गंभीरता से विचार किया जाएगा.
प्रधानमंत्री ने कहा कि हालांकि इससे पहले भी केंद्र सरकार की ओर से सभी राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों एवं विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ लगातार चर्चा की गई है और उसमें अधिकारियों की ओर से अपने अपने सुझाव भी दिए गए हैं लेकिन सार्वजनिक जीवन में रहने वाले राज्यों के मुख्यमंत्रियों के अपने-अपने अनुभव हैं. वे सभी अपने अनुभवों के आधार पर अगर अपने सुझाव केंद्र सरकार को मुहैया कराएंगे तो इससे भविष्य की योजनाओं को तैयार करने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री मोदी के साथ आज मुख्यमंत्रियों की हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से कोविड-19 संक्रमण मैनेजमेंट को लेकर प्रेजेंटेशन भी दिया गया. इस प्रेजेंटेशन में देश के सभी राज्यों की स्थिति को दर्शाया गया और आने वाले समय में उत्पन्न होने वाले हालात को लेकर भी संकेत दिए गए साथ ही वैक्सीन की उपलबध्ता को लेकर भी स्थिति स्पष्ट की गई. इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि इस प्रेजेंटेशन के माध्यम से देश में कोविड-19 की स्थिति को समझना आसान हुआ क्योंकि इसमें काफी जानकारियां उभर कर आई हैं .प्रधानमंत्री ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के प्रथम चरण में उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बातचीत की जहां की स्थिति एक बार फिर कोविड-19 संक्रमण को लेकर बिगड़ रही है।
उन्होंने कहा कि आज की बैठक में बहुत हद तक स्थिति स्पष्ट हो गई है. एक समय था जब हम एक अनजान और अदृश्य दुश्मन से लड़ रहे थे. लेकिन अब इसके बारे में बहुत कुछ स्पष्ट हो चुका है। देश के संगठित प्रयासों ने इस चुनौती का मुकाबला किया. इससे होने वाले नुकसान को न्यूनतम करने में बड़ी सफलता हासिल हुई. उन्होंने दावा किया कि आज रिकवरी रेट और मृत्यु दर के मामले में भारत दुनिया के बहुत से देशों से कहीं बेहतर स्थिति में है।
पीएम श्री मोदी ने कहा कि हम सब संयुक्त प्रयास के कारण ही टेस्टिंग से लेकर ट्रीटमेंट तक एक बहुत बड़ा नेटवर्क बनाने में कामयाब हुए हैं। इस नेटवर्क का लगातार विस्तार किया जा रहा है. पीएम केयर के माध्यम से सभी राज्यों को ऑक्सीजन एवं वेंटीलेटर्स भी उपलब्ध कराने के प्रयास जारी हैं. प्रयास यह भी जारी है कि सभी मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पतालों को ऑक्सीजन जनरेशन की मामले में आत्मनिर्भर बनाया जाए।
उन्होंने खुलासा किया कि देश में अब 160 से अधिक ऑक्सीजन उत्पादन इकाइयों को स्थापित करने और उत्पादन शुरू करने की प्रक्रिया जारी है। वेंटिलेटर के लिए पीएम केयर्स फंड से ₹2000 स्वीकृत किए गए हैं और अस्पतालों को मुहैया कराना सुनिश्चित किया गया है. उन्होंने कहा कि आज कोरोना मैनेजमेंट को लेकर हम ज्यादा अच्छी स्थिति में हैं. क्योंकि इस बीमारी या संक्रमण के लिए पर्याप्त डांटा मौजूद है और हमारे पास पिछले 10 महीनों का एक व्यापक अनुभव है।
उन्होंने कहा कि कोरोना के दौरान भारत के लोगों का व्यवहार भी अलग-अलग चरणों में और अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग रहा है. यह भी एक अध्ययन का विषय है।
उन्होंने कहा कि पहले चरण में देश खौफ में था. दुनिया के हालात को देखकर चिंता थी. उसी हिसाब से प्रत्येक व्यक्ति स्वयं को समायोजित कर रहा था या फिर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहा था। उन्होंने कहा कि प्रथम चरण में यहां तक कि लोग कोविड-19 संक्रमित होने के बाद इतने भयभीत थे कि आत्महत्या भी करने लगे थे। दूसरे चरण में लोगों के मन में एक से दूसरे में संक्रमण फैलने का संदेश घर कर गया. घर में अपने परिवार में भी एक दूसरे से नफरत की स्थिति बनने लगी. इस कारण कई लोग कोविड-19 संक्रमण को छुपाने लगे। तीसरे चरण में लोग संभलने लगे और अपने संक्रमण को उजागर भी करने लगे. एक दूसरे के प्रति विलगाव की स्थिति भी कम हुई और लोग सावधान होने लगे. जबकि चौथे चरण में कोरोना के रिकवरी का रेट बढ़ने लगा और अब लोगों को लगा कि नहीं यह बीमारी इतनी भयानक नहीं की जिससे जान जाए. बल्कि इससे रिकवरी आसानी से कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि त्योहार के मौसम में लोगों ने लापरवाही बरतने शुरू कर दिए. इससे संक्रमण का फैलाव बढ़ा. इसलिए हमें इस चौथे चरण में लोगों को इसके प्रति सावधान रहने की दृष्टि से जागरूक करना पड़ेगा और यह संक्रमण अब आगे नहीं बढ़े इसकी चिंता हम सब को करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि हम आपदा के गहरे समंदर से निकलकर किनारे के पास आने की स्थिति में हैं. लेकिन हमें अब भी ढिलाई बरतने से बाज आना होगा. उन्होंने कहा कि अब कुछ राज्यों में एक बार फिर संक्रमण तेज गति से फैलने लगा है. इसलिए हमें शासन प्रशासन को इसके प्रति संवेदनशील होना होगा और लोगों को जागरूक बनाए रखना होगा।
उन्होंने कहा कि पॉजिटिविटी रेट को हमें 5% के दायरे में लाना होगा. उनका कहना था कि सभी राज्यों में आरटीपीसीआर टेस्ट का अनुपात बढ़ना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों के हेल्थ सेंटर और कम्युनिटी सेंटर को स्वास्थ्य सुविधाओं से लैस करना ही होगा. हमारा प्रयास मृत्यु दर को 1% से नीचे लाने का लगातार जारी रहना चाहिए। उन्होंने बल दिया कि कोविड-19 संक्रमण से संबंधित संदेश, सुझाव और उपायों की जानकारी लगातार आम जनता को देते रहने की जरूरत है।