हिमालयन चन्‍द्र टेलीस्कोप के 20 वर्ष पूरे

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नई दिल्ली। लद्दाख के ठंडे, शुष्क रेगिस्तान में, समुद्र तल से 4500 मीटर ऊपर, दो दशकों से, भारतीय खगोलीय वेधशाला (आईएओ) में 2 मीटर चौड़ाई वाला ऑप्टिकल इन्फ्रारेड हिमालयन चन्‍द्र टेलीस्कोप (एचसीटी) नक्षत्रीय धमाकों, धूमकेतू, छोटे तारों और एक्‍सो-प्‍लेनेट की खोज में रात के आसमान को बारीकी से देख रहा है।

एक समर्पित उपग्रह संचार सम्‍पर्क का उपयोग करते हुए दूर से संचालित टेलीस्‍कोप बेंगलुरू के लगभग 35 किमी उत्तर पूर्व मेंविज्ञान और प्रौद्योगिकी अनुसंधान और शिक्षा केन्‍द्र (सीआरईएसटी),  इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए), होसाकोटके साथ, अपना 20 वां जन्मदिन मना रहा है जिसे इससे प्राप्त आंकड़ों का उपयोग कर 260 शोध पत्र हासिल करने का श्रेय प्राप्‍त है। ।

इस अवसर पर, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायत्तशासी संस्थान, 2एमएचसीटी, आईआईए की पहली प्रकाश घटना के 20 वर्ष मनाने के लिए, 29-30 सितंबर 2020 के दौरान दो दिवसीय ऑनलाइन विज्ञान कार्यशाला का आयोजन किया गया है। कार्यशाला का उद्घाटन डीएसटी सचिव, प्रोफेसर आशुतोष शर्मा द्वारा किया जाएगा और डीएसटी के पूर्व सचिवडॉ. वी. राममूर्ति इसे संबोधित करेंगे, जिनके कार्यकाल के दौरान आईएओ और एचसीटी परियोजना को मंजूरी दी गई और पूरी हुई। कार्यशाला विज्ञान टेलीस्‍कोप को लगाने के बाद उसके द्वारा प्रस्‍तुत विज्ञान और आईएओ के भविष्‍य पर प्रकाश डालेगी।

विज्ञान के 3 उपकरणों से सुसज्जित कुछ पुराने, अच्छी तरह से स्थापित, अंतर्राष्ट्रीय 2 मीटर श्रेणी के टेलीस्कोप के समकक्ष इस टेलीस्‍कोप नेऐसा डेटा प्रदान किया है जिसका उपयोग पीएचडी में 40 छात्रों (आईआईए के 18 और 22 गैर-आईआईए) ने किया है, और वर्तमान में, 36 छात्र (आईआईए से 16 और 20 गैर-आईआईए) पीएच.डी.डिग्रीकर रहे हैं, एचसीटी के साथ डेटा एकत्र कर रहे हैं।

अनुसंधान का क्षेत्र सौर प्रणाली की वस्तुओं से लेकर कॉस्मोलॉजी तक कई विषयों को शामिल करता है। अनुसंधान के मुख्‍य विषय वाले कुछ क्षेत्रों में धूमकेतु, छोटे तारों, तारा बनने की प्रक्रियाओं और नई नक्षत्रीय वस्तुओं का अध्‍ययन, खुले और गोलाकार समूहों और उनमें परिवर्ती तारों का अध्ययन, विकसित सितारों के वातावरण में बहुतायत तत्वों काविश्लेषण, बाहरी आकाश गंगाओं में तारा बनना, सक्रिय गैलेक्टिक न्‍यूकलेई, नक्षत्रीय धमाके जैसे नोवा, सुपरनोवा, गामा-किरणों का फटना आदि शामिल है। नक्षत्रीय धमाकों, धूमकेतु और एक्‍सो-प्‍लेनेट की निगरानी के लिए कई समन्वित अंतर्राष्ट्रीय अभियानों में टेलीस्‍कोप का उपयोग किया गया है, और इसने इन अध्ययनों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

डीएसटी सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा, “हिमालयन चन्‍द्र टेलीस्‍कोप के निर्माण, रखरखाव और प्रभावी वैज्ञानिक उपयोग ने हमारी तेज नजर वाले खगोल विज्ञान समुदाय को अनुभव और आत्मविश्वास प्रदान किया है जो अगली पीढ़ी के प्रकाश संबंधी टेलीस्‍कोपों के रचनाकार और अंतर्राष्ट्रीय साझेदार होंगे।”

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