नयी दिल्ली, 23 सितंबर । राज्यसभा अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने इसकी घोषणा की। साथ ही इस बार की बैठक की उयोगिता 104 प्रतिशत होने का आंकड़ा प्रस्तुत किया गया जिसमें 25 विधेयक पारित किए गए और असाधारण परिस्थितियों में इस बार की बैठक सफल होने पर प्रसन्नता व्यक्त की। आज राज्यसभा ने बुधवार को तीन प्रमुख श्रम सुधार विधेयकों को भी मंजूरी दे दी। अब कंपनियों को बंद करने की बाधाएं खत्म होंगी और अधिकतम 300 कर्मचारियों वाली कंपनियों को सरकार की इजाजत के बिना कर्मचारियों को निकालने की अनुमति होगी ।ई.एस.आई.सी. हॉस्पिटल्स, दवाखाना एवं शाखाओं का जिला स्तर तक विस्तार होगा। जोखिम भरे काम करने वाला अगर एक भी मजदूर होगा तो उसको भी ई.एस.आई.सी. का लाभ मिलेगा। तीनों बिलों पर हुई बहस में केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर व राज्य मंत्री सहित कई प्रमुख सांसदों ने भाग लिया।
इस कानून से अब नए तकनीक के जुड़े जैसे उबर, ओला, फ्लिपकार्ट, अमेज़न आदि उद्योगों के 50 लाख मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा मिलेगी। ई.एस.आई.सी. से जुड़ने का अवसर मिलेगा।
राज्यसभा ने ध्वनि मत से औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा और व्यावसायिक सुरक्षा पर शेष तीन श्रम संहिताओं को पारित किया। इस दौरान आठ सांसदों के निष्कासन के विरोध में कांग्रेस, वामपंथी और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने राज्यसभा की कार्रवाई का बहिष्कार किया।
इन तीनों संहिताओं को लोकसभा ने मंगलवार को पारित किया था और अब इन्हें राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने तीनों श्रम सुधार विधेयकों पर हुई बहस का जवाब देते हुए कहा, ‘‘श्रम सुधारों का मकसद बदले हुए कारोबारी माहौल के अनुकूल पारदर्शी प्रणाली तैयार करना है।’’
उन्होंने यह भी बताया कि 16 राज्यों ने पहले ही अधिकतम 300 कर्मचारियों वाली कंपनियों को सरकार की अनुमति के बिना फर्म को बंद करने और छंटनी करने की इजाजत दे दी है।
गंगवार ने कहा कि रोजगार सृजन के लिए यह उचित नहीं है कि इस सीमा को 100 कर्मचारियों तक बनाए रखा जाए, क्योंकि इससे नियोक्ता अधिक कर्मचारियों की भर्ती से कतराने लगते हैं और वे जानबूझकर अपने कर्मचारियों की संख्या को कम स्तर पर बनाए रखते हैं।
उन्होंने सदन को बताया कि इस सीमा को बढ़ाने से रोजगार बढ़ेगा और नियोक्ताओं को नौकरी देने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि ये विधेयक कर्मचारियों के हितों की रक्षा करेंगे और भविष्य निधि संगठन तथा कर्मचारी राज्य निगम के दायरे में विस्तार करके श्रमिकों को सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा प्रदान करेंगे।
सरकार ने 29 से अधिक श्रम कानूनों को चार संहिताओं में मिला दिया था और उनमें से एक संहिता (मजदूरी संहिता विधेयक, 2019) पहले ही पारित हो चुकी है।
राज्यसभा में बुधवार को पारित हुए विधेयक संहिताएं- ‘उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य तथा कार्यदशा संहिता 2020’, ‘औद्योगिक संबंध संहिता 2020’ और ‘सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020’ हैं। इनमें किसी प्रतिष्ठान में आजीविका सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यदशा को विनियमित करने, औद्योगिक विवादों की जांच एवं निर्धारण तथा कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा संबंधी प्रावधान किये गए हैं।
केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बहस में शामिल होते हुए कहा कि :
सभी मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी की गारंटी ।
सभी मजदूरों को समय पर वेतन की गारंटी।
पुरुष एवं महिला मजदूरों को समान वेतन।
हर मजदूर को नियुक्ति पत्र।
हर मजदूर का साल में एक बार चेकउप।
मजदूर की नौकरी छूटने पर उसे तीन महीना की आधी तनख्वाह मिलेगी।
-मजदूर को ट्रिव्यूनल से जल्दी न्याय मिलने की सुविधा।
-ट्रिव्यूनल में मजदूरों के केस का न्याय एक साल में होगा।
-ट्रिव्यूनल में दो सदस्य होंगे। इससे प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ेगी।
-मजदूर यूनियन को मान्यता। 51 फिसदी वोट पाने वाले यूनियन को समझौते के लिए मान्यता प्राप्त यूनियन करार दिया जाएगा। अन्य स्थानों पर सभी यूनियन की समझौते के लिए काउंसिल बनाई जाएगी।