श्रमिक नेताओं के निलंबन से श्रमिकों में रोष
आज खुलेगी होण्डा मोटर्स
अंडरटेकिंग की शर्त से परेशान हैं श्रमिक
दिनभर श्रमिक नेता करते रहे अंडरटेकिंग पर चर्चा
गुडग़ांव : अपनी नौकरी को बचाने के लिए होण्डा मोटर्स के अस्थायी श्रमिक कंपनी गेट पर डटे हुए हैं। रविवार को 20वें दिन भी सर्दी के इस मौसम में श्रमिकों का धरना जारी रहा। कंपनी प्रबंधन की हठधर्मिता को लेकर श्रमिकों में रोष व्याप्त होता जा रहा है। श्रमिकों की हौंसला अफजाई करने के लिए विभिन्न संस्थाओं व श्रमिक यूनियनों के प्रतिनिधियों का धरना स्थल पर पहुंचना जारी है।
रविवार को भी बड़ी संख्या में श्रमिक नेता धरना स्थल पर पहुंचे। श्रमिक संगठन एटक के जिला महासचिव कामरेड अनिल
पंवार ने आंदोलनरत श्रमिकों को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी मांगों को मनवाने के लिए सभी श्रमिक संगठन एकजुट होकर प्रयास कर रहे हैं। ट्रेड यूनियन काउंसिल भी सतत प्रयासरत है। उन्होंने श्रमिकों से संगठित रहने का आग्रह करते हुए कहा कि संगठन के बल पर ही प्रबंधन से अपनी मांगें पूरी कराई जा सकती हैं। कंपनी प्रबंधन श्रमिकों की एकता तोडऩे में कोई कोर कसर बाकी नहीं रख रहा है।
6 श्रमिक नेताओं को किया बर्खास्त
अनिल पंवार ने कहा कि कंपनी प्रबंधन ने होण्डा मोटर्स श्रमिक यूनियन के अध्यक्ष सुरेश गौड़ सहित 6 श्रमिक नेताओं को आंदोलनरत श्रमिकों को सहयोग करने को लेकर नौकरी से बर्खास्त भी कर दिया है। श्रमिक यूनियन भावी
रणनीति को लेकर सक्रिय है। रविवार को आपसी विचार-विमर्श भी यूनियन करती रही।
आज खुलेगी होण्डा मोटर्स
श्रमिक नेता ने बताया कि गत दिवस होण्डा प्रबंधन ने कंपनी गेट पर नोटिस चस्पा कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि आज सोमवार से कंपनी में उत्पादन शुरु हो जाएगा। प्रबंधन ने साथ ही यह शर्त भी रखी है कि ड्यूटी पर आने वाले श्रमिकों को कंपनी द्वारा तैयार की गई अंडरटेकिंग पर हस्ताक्षर करने होंगे, तभी वे ड्यूटी पर जा सकेंगे।
अंडरटेकिंग से श्रमिकों में रोष
होण्डा श्रमिक यूनियन के अध्यक्ष सुरेश गौड़ का कहना है कि अंडरटेकिंग की शर्त लगाकर प्रबंधन अस्थायी श्रमिकों का आंदोलन कुचलना चाहती है, लेकिन ऐसा होने नहीं देंगे। उनका कहना है कि होण्डा के अन्य श्रमिक नेताओं से भी अंडरटेकिंग को लेकर विचार-विमर्श जारी है। सभी की सहमति से इस पर कोई निर्णय लिया जाएगा।
2005 को दोहराना चाहती है प्रबंधन
श्रमिक नेताओं का कहना है कि कंपनी प्रबंधन 2005 की घटना को दोहराना चाहती है। प्रबंधन ने तब भी वर्ष 2005 में श्रमिकों पर अत्याचार कराए थे। जबरदस्त लाठीचार्ज कराया गया था, जिसमें सैकड़ों श्रमिक घायल हो गए थे और 5 दर्जन से अधिक श्रमिकों के खिलाफ मामला भी दर्ज कराया गया था। प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए कंपनी में आना पड़ा था। होण्डा कांड के नाम से चर्चित इस घटना की गूंज विश्व के देशों में सुनाई दी थी। श्रमिक नेताओं का कहना है कि वे नहीं चाहते कि इस प्रकार की घटना की पुनवरावृति हो, लेकिन कंपनी प्रबंधन श्रमिक नेताओं का निलंबन कर इस प्रकार की घटना की पुनरावृति करने
पर तुली हुई है।
शांतिप्रिय है आंदोलन
ट्रेड यूनियन काउंसिल के सक्रिय सदस्यों कामरेड सतबीर सिंह, कुलदीप जांघू, राम कुमार आदि का कहना है कि श्रमिकों ने अपना आंदोलन शांतिप्रिय तरीके से चलाया हुआ है। वे प्रबंधन व प्रशासन से किसी प्रकार का टकराव नहीं चाहते। शांतिपूर्वक अपना धरना दे रहे हैं। श्रम विभाग के आश्वासन के बाद आंदोलनरत श्रमिकों ने कंपनी परिसर खाली कर दिया था, लेकिन श्रम विभाग ने भी उनके साथ वायदाखिलाफी की है। 2 दिन में समझौता कराने के उनके आश्वासन की हवा ही निकल गई है। फिर भी श्रमिक चाहते हैं कि औद्योगिक क्षेत्रों में श्रमिक शांति बनी रहे। किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना घटित न हो। धरने पर बैठे श्रमिक अपनी मांगों को लेकर जबरदस्त नारेबाजी करते दिखाई दिए।