पूर्व सैनिको की संस्था साबका सैनिक संघर्ष कमेटी हरियाणा की बैठक का फैसला
राजनीतिक दलों में शामिल सैनिक अधिकारियों का करेंगे बहिष्कार
दो प्रस्ताव पारित कर सैनिकों से व्यक्तिगत काम करवाने कड़ी निंदा की
जवानों के साथ हो रहे अन्याय के लिए सैनिकों के नाम से बनी संस्थाओं को भी जिम्मेदार ठहराया
वन रेंक वन पेंशन में भी सैनिकों की उपेक्षा करने का लगाया आरोप
कोसली : सेना के पूर्व जवान व जेसीओ रैक के सैनिको ने सभी पार्टियों में शामिल सेना के अधिकारियों कर्नल, जनरल का बहिष्कार करने की घोषणा की है. पूर्व सैनिको की संस्था साबका सैनिक संघर्ष कमेटी हरियाणा की एक अहम बैठक कैप्टन छत्र सिंह यादव के नेतृत्व में त्रिकोणीय पार्क कोसली में हुई। इस बैठक में भारी संख्या में इलाके के पूर्व सैनिक जवान शामिल हुए।
इस मीटिंग को संबोधित करते हुए साबका कमेटी के जनरल सेक्रेटरी कपिल फौजी सिलानी ने कहा कि देश आजाद हुए 70 साल हो गए हैं लेकिन आज भी सेना के आफिसर्स सेना के जवानों से जूते पॉलिश करवाते हैं और अपने घरों में और अपने मां बाप की सेवा करने के लिए जवानों को भेज देते है. उन्होंने आरोप लगाया कि सेना के अधिकारी जवानों को गुलाम बनाकर बर्तन साफ , कपड़े धुलवाने जैसे निम्न दर्जे के काम करवाते हैं । इससे जवानों का मनोबल गिर रहा है और वह आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं। उन्होंने सेना में इस स्थिति के लिए आजाद भारत की अब तक की सभी सरकारों को कसूरवार ठहराया । उनका यह भी कहना था कि उससे ज्यादा सैनिकों के नाम से बनी संस्थाए, इंडियन एक्स सर्विसमैन, इंडियन मूवमेंट, और हरियाणा एक्स सर्विसमैन लीग जैसी संस्थाएं ज्यादा जिम्मेदार है।
उन्होंने कहा कि इन संस्थाओं के अध्यक्षों ने कभी इसका विरोध नहीं किया और जवानों की आज तक एक भी मांग नहीं उठाई। बल्कि इनका एक ही काम है राजनीतिक दलों को जवानों की संख्या दिखाकर राज्यपाल बन कर निकल जाना या अपना राजनीतिक हित साधना। उन्होंने आरोप लगाया कि आज हरियाणा एक्स सर्विसमैन लीग के अंदर 50 करोड़ की राशि के लगभग भ्रष्टाचार और घोटाला है पर हरियाणा सरकार उस भ्रष्टाचार की जांच को रोके हुए हैं और अपने चहेतों को बचा रही है । आज तक कभी इन संस्थाओं के अध्यक्षों ने आजाद भारत की सबसे क्रूर प्रथा अर्दली सहायक प्रथा के खिलाफ आवाज नहीं उठाई। उन्होंने ऐलान किया कि जवान जे सी ओ रैंक उन सभी संस्थाओं या राजनीतिक दलों का जिसमे सैनिक प्रकोष्ठ का अध्यक्ष पूर्व सेना अधिकारी बनाया हुआ है का बहिष्कार करता है । ऐसे मंच का भी बहिष्कार करते है जिस मंच पर राजनीतिक पार्टी के साथ पूर्व सेना अधिकारी बैठते हैं।
उन्होंने ध्यान दिलाया कि 2013 में प्रधानमंत्री के दावेदार नरेंद्र मोदी की रेवाड़ी रैली करवाई गई और जवानों की संख्या दिखाकर एक रैंक एक पेंशन सिर्फ सेना अधिकारियों के लिए लागू करवा लिया । देश की जनता तो यह सोच कर खुश है कि सरकार ने एक रैंक एक पेंशन दे दी पर असलियत कुछ और ही है. एक रैंक एक पेंशन में सरकार ने सेना के अधिकारियों की पेंशन 30 हजार से 70 हजार प्रति महीना बढ़ाई और जवानों की पेंशन में ज्यादा से ज्यादा 900 रुपए की मामूली बढ़ोतरी की गई । केंद्र सरकार जिसको एक रैंक एक पेंशन कहती है असल में वह आफिसर रैंक आफिसर पेंशन है ।
इस बैठक में यह भी कहा गे कि 1970 के दशक में जब एक रैंक एक पेंशन का मुद्दा उठा था तो वह इस लिए उठा था कि सेना के जवानों को 15 से 17 साल की नौकरी के बाद जबरदस्ती पेंशन भेज दिया जाता है । जवान मात्र 32 से 38 साल की उम्र में पेंशन आ जाता हैं जबकि उस समय जवान के कंधों पर घर की जिम्मेदारियां सबसे ज्यादा होती है लेकिन सेना का आफिसर कम से कम 58 साल से 60 साल की उम्र में पेंशन आते हैं , इस लिए सेना के आफिसर का एक रैंक एक पेंशन पर किसी भी तरह का हक़ नहीं बनता है । अगर केंद्र सरकार 60 साल की उम्र में पेंशन आने वाले सेना के आफिसर्स को एक रैंक एक पेंशन दे सकती है तो 60 साल की उम्र तक सर्विस करने वाले पैरा मिलिट्री फोर्स को भी एक रैंक एक पेंशन दी जानी चाहिए , यहां पर हैरान करने वाली बात यह है कि केंद्र सरकार और ग्रह मंत्रालय पैरा मिलिट्री फोर्स की एक रैंक एक पेंशन की मांग को 60 साल की उम्र तक सर्विस होने के कारण खारिज कर रहा है और दूसरी तरफ 60 साल की उम्र तक सर्विस करने वाले सेना के आफिसर्स को एक रैंक एक पेंशन में भारी लाभ दिया जा रहा है ।
बैठक में सेवा निवृत्त जवानों का कहना था कि सेना के ओफ्फिसरो ने सरकार को हाईजैक किया और जवानों की पेंशन को सेना के अधिकारी वर्ग के लिए ले गया। एक रैंक एक पेंशन सिर्फ जवानों के लिए ही बनी थी।
जवान रैंक के सैनिक विधवाओं की पेंशन में सिर्फ 8 सौ रुपए और सेना अफसरों की विधवाओं की पेंशन में 50 हजार रुपए से ज्यादा तक की बढ़ोतरी की गई है। जो एक तरह से सैनिक विधवाओं का अपमान है।
जवानों का कहना है कि छठे पे कमीशन से लेकर सातवें पे कमिशन तक जवानों की विधवाओं के साथ भारी बेइंसाफी की गई है। इस अंतर को मिटाया जाए ।डिसेबिलिटी पेंशन में भेदभाव:-सेना में जवान और आफिसर्स दोनों देश भक्ति की भावना लेकर भर्ती होते है लेकिन सेना में लड़ाई के दौरान या आंतकवादी से मुठभेड़ में जख्मी हुए जवान की देश भावना को नजरंदाज करके युद्ध घायल जवान की मेडिकल पेंशन 18 हजार और युद्ध घायल सेना ऑफिसर की मेडिकल पेंशन 2लाख 52 से ज्यादा है। जबकि दोनों ने देश की रक्षा करते हुए दुश्मन की गोली खाई है।जबकि शरीर की वेल्यू दोनों की एक बराबर है।
बैठक में सभी ने एक स्वर से मांग की की वान और ऑफिसर की डिसेबिलिटी पेंशन एक समान की जाए। मिलिट्री सर्विस पे जवान को 52 सौ और सेना के ऑफ़िसर को 15 हजार 5 सौ रुपए दिए जा रहे हैं। यह अलाउंस सेना जीवन की कठिनाइयों और खतरे को देखते हुए दिया जाता है ।जवान अफ़सर से ज्यादा मुश्किल हालातों में रहता है और जान का खतरा भी जवान को ज्यादा है।हैरानी की बात यह है कि सेना में नर्स को मिल्ट्री सर्विस पे 10800 रुपए दी जा रही है।जिनका लड़ाई से कोई समंध नही है और उनको जान का रिस्क भी नही है।लेह लद्दाख जैसे एरिया में हाई अल्टी अलाउंस आफिसर्स को जवान से पांच गुना ज्यादा दिया जा रहा है । जबकि ठंड और सांस लेने में दिक्कत आफिसर्स और जवानों को एक बराबर होती है।7 वे पे कमीशन में भेदभाव :-जवानों की दिसम्बर 2016 की बेसिक पे को 2.57 से मल्टीप्लाई करके सातवां पे कमिशन लागू किया गया लेकिन आफिसर्स के लिए 2.81 का फार्मूला अपनाया गया है।पेरामिल्ट्री के जवानों की पेंशन बहाल की जाए और जो सुविधाएं शहीद होने पर सेना के जवान को मिलती है वह सब सुविधाएं पैरामिलिट्री के सैनिकों को मिले एक रैंक एक पेंशन भी दी जाए।
कैप्टन राजेन्द्र ने मीटिंग के आखिर में प्रस्ताव रखा कि सेना में अहीर रेजिमेंट का गठन किया जाये । मीटिंग में मौजूद सभी सैनिको ने एक स्वर में अहीर रेजिमेंट बनाने का प्रस्ताव पास किया।
कैप्टन छत्र सिंह ने मीटिंग को समाप्त करते हुए दो प्रस्ताव रखे . प्रस्ताव में कहा गया कि कोई भी राजनीतिक पार्टी किसी पूर्व सेना ऑफिसर जनरल, कर्नल को टिकट देती है , चुनाव प्रचार करवाती है या अपनी रैलियों में स्टेज पर जगह देती है तो सेना के जवान जेसीओ रैक के सैनिक उस पार्टी के उम्मीदार और पार्टी का बहिष्कार करेंगे । दूसरा प्रस्ताव में कहा गया कि केंद्र सरकार के खिलाफ रखा,केंद्र सरकार अपने विकास कार्य को बताने की जगह जवानों के नाम से राजनीतिक करना , जवानों के नाम पर वोट मांगना ,और पिछले पांच सालों में केंद्र सरकार सैनिको का नाम लेकर सिर्फ सेना के आफीसरों को फायदा पहुँचाना का काम करना। सभी सैनिको ने सर्वसम्मति से केंद्र सरकार के खिलाफ जवान रैंक के सैनिको का शोषण करने के लिए निंदा प्रस्ताव पास किया। जवान रैंक के सैनिको ने पूर्व सेना के जनरल,कर्नल रैक के अधिकारियों का चुनाव में बहिष्कार करने का एलान किया ।
इस अवसर पर कैप्टन करतार सिंह यादव,कैप्टन चाँद सिंह यादव,हवलदार मेहन्द्र सिंह यादव,कैप्टन रामनिवास यादव,सूबेदार जगदीश यादव,सूबेदार मेजर भरत सिंह यादव,हवलदार राजेन्द्र यादव,वीरेंद्र यादव,कैप्टन छत्र सिंह यादव,सूबेदार जगदीश सिंह,नायक हजारी सिंह,हवलदार बलवंत सिंह,मांगे राम फौजी,सुरेंद्र फौजी,कैप्टन राजेन्द्र सिंह,सूबेदार कुलदीप सिंह,हवलदार हवासिंह,हवलदार राकिशन ,कपिल फौजी सिलानी,सूबेदार बलबीर सिंह,सार्जेन्ट विष्णु पंडित,हवलदार सूबे सिंह,हवलदार नरेश यादव,हवलदार बहादुर यादव,आदि मौजूद रहे।