केंद्रीय मंत्रिमंडल ने खुदरा कारोबार व निर्माण क्षेत्र में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश को मंजूरी दी

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विदेशी एयरलाइनों को एयर इंडिया में 49 प्रतिशत निवेश करने की अनुमति देने का फैसला 

‘चिकित्‍सा उपकरणों’ की परिभाषा को संशोधित करने का भी निर्णय 

विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग के लिए कनाडा के साथ सहमति ज्ञापन को स्वीकृति

एमपीलैड्स योजना को 2020 तक लागू रखने का निर्णय 

 

सुभाष चौधरी/प्रधान संपादक 

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग के लिए कनाडा के साथ सहमति ज्ञापन को स्वीकृति दे दी है। इसके साथ आज की बैठक में मंत्रिमंडल ने एकल ब्रांड खुदरा कारोबार व निर्माण क्षेत्र में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश , विदेशी एयरलाइनों को एयर इंडिया में 49 प्रतिशत निवेश करने की अनुमति देने , पावर एक्‍सचेंजों में निवेश करने की अनुमति देने और एफडीआई नीति में ‘चिकित्‍सा उपकरणों’ की परिभाषा को संशोधित करने जैसे कई महत्वपूर्ण दूरगामी निर्णय लिए. 

1. कनाडा के साथ सहमति ज्ञापन से एक व्यवस्था बनेगी और अनुसंधान और विकास तथा भारत और कनाडा के अकादमिक संस्थानों के बीच वैज्ञानिक सहयोग बढ़ाने में मदद मिलेगी।

प्रमुख विशेषताएं:

· विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और कनाडा की प्राकृतिक विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान परिषद (एनएसईआरसी) के बीच सहमति ज्ञापन के अंतर्गत भारत और कनाडा के बीच अनुसंधान और विकास सहयोग का नवाचारी मॉडल लागू किया जाएगा।

· सहमति ज्ञापन के अंतर्गत समुदाय परिवर्तन तथा निरंतरता (आईसी-आईएमपीएसीटीएस) कार्यक्रम को गति देने के लिए नवाचारी बहुविषयी साझेदारी के लिए भारत-कनाडा सेंटर को समर्थन दिया जाएगा ताकि भारत-कनाडा बहुविषयी अनुसंधान साझेदीरी को प्रोत्साहित किया जा सके।

· अनुसंधान और विकास परियोजनाओं का उद्देश्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी के एप्लीकेशन के माध्यम से समाधान प्रदान करके सामाजिक परिवर्तन में तेजी लाना है।

· सहभागियों में भारत और कनाडा के वैज्ञानिक संगठनों, अकादमी तथा अनुसंधान तथा विकास प्रयोगशालाओं के अनुसंधानकर्ता शामिल होंगे।

· पारस्परिक सहयोग के चिन्हित क्षेत्रों में सुरक्षित ओर सतत अवसंरचना तथा एकीकृत जल प्रबंधन शामिल हैं।

· इससे संस्थागत नेटवर्किंग विकसित करने तथा भारत और कनाडा के वैज्ञानिक संगठनों, वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के बीच संबंधों की स्थापना में मदद मिलेगी।

पृष्ठभूमि:

यह सहमति ज्ञापन नवम्बर, 2005 में वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी सहयोग के लिए भातर और कनाडा के बीच हुए अंतर-सरकारी समझौते के अनुरूप है।

 

2. कैबिनेट ने तुंगभद्रा स्‍टील प्रोडक्‍ट्स लिमिटेड को बंद करने संबंधी सीसीईए के निर्णय पर अमल को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री  नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने तुंगभद्रा स्‍टील प्रोडक्‍ट्स लिमिटेड (टीएसपीएल) की अचल परिसंपत्तियों के निपटान के संबंध में इस कंपनी को बंद करने संबंधी सीसीईए के निर्णय पर अमल को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही टीएसपीएल की शेष देनदारियों के समायोजन के बाद कंपनी रजिस्‍ट्रार की सूची से इस कंपनी का नाम हटाने को भी मंजूरी दे दी गई है।

उल्‍लेखनीय है कि आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने दिसंबर 2015 में इस कंपनी को बंद करने को मंजूरी दे दी थी। कर्मचारियों/कामगारों और ऋणदाताओं की सभी बकाया रकम के निपटान के बाद ही इस आशय की स्‍वीकृति दी गई थी। कैबिनेट ने 20,000 वर्ग मीटर भूमि के साथ एमएमएच संयंत्रों का हस्‍तांतरण कर्नाटक सरकार को करने की स्‍वीकृति दे दी थी। कैबिनेट ने कर्नाटक राज्‍य आवास बोर्ड के उपयोग के लिए हॉस्‍पेट स्थित कंपनी की 82.37 एकड़ भूमि की बिक्री कर्नाटक सरकार को किए जाने की भी स्‍वीकृति दे दी थी। इस भूमि की बिक्री कर्नाटक सरकार को उसके द्वारा पेशकश की गई प्रति एकड़ 66 लाख रुपये की दर से की जा रही है।

 

3. महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों में एफडीआई नीति और ज्‍यादा उदार की गई

   कैबिनेट ने एफडीआई नीति में संशोधनों को मंजूरी दी

· एकल ब्रांड खुदरा कारोबार के लिए स्‍वत: रूट के तहत 100 प्रतिशत एफडीआई

· निर्माण क्षेत्र के विकास में स्‍वत: रूट के तहत 100 प्रतिशत एफडीआई

· विदेशी एयरलाइनों को एयर इंडिया में मंजूरी रूट के तहत 49 प्रतिशत तक निवेश करने की अनुमति

· एफआईआई/एफपीआई को प्राथमिक बाजार के जरिए पावर एक्‍सचेंजों में निवेश करने की अनुमति

· एफडीआई नीति में ‘चिकित्‍सा उपकरणों’ की परिभाषा संशोधित की गई

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने एफडीआई नीति में अनेक संशोधनों को अपनी मंजूरी दी है। इन संशोधनों का उद्देश्‍य एफडीआई नीति को और ज्‍यादा उदार एवं सरल बनाना है, ताकि देश में कारोबार करने में आसानी सुनिश्चित हो सके। इसके परिणामस्‍वरूप प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का प्रवाह बढ़ेगा जो निवेश, आय और रोजगार में उल्‍लेखनीय योगदान करेगा।

प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आर्थिक विकास का एक प्रमुख वाहक और देश में आर्थिक विकास के लिए गैर-ऋण वित्त का एक स्रोत है। सरकार ने एफडीआई के संबंध में एक निवेशक अनुकूल नीति क्रियान्वित की है जिसके तहत ज्‍यादातर क्षेत्रों/गतिविधियों में स्‍वत: रूट से 100 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति दी गई है। हाल के महीनों में सरकार ने अनेक क्षेत्रों (सेक्‍टर) यथा रक्षा, निर्माण क्षेत्र के विकास, बीमा, पेंशन, अन्‍य वित्तीय सेवाओं, परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों, प्रसारण, नागरिक उड्डयन, फार्मास्‍यूटिकल्‍स, ट्रेडिंग इत्‍यादि में एफडीआई संबंधी नीतिगत सुधार लागू किए हैं।

सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के परिणामस्‍वरूप देश में एफडीआई के प्रवाह में उल्‍लेखनीय वृद्धि हुई है। वर्ष 2014-15 के दौरान कुल मिलाकर 45.15 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रवाह हुआ है,जबकि वर्ष 2013-14 में यह प्रवाह 36.05 अरब अमेरिकी डॉलर का हुआ था। वर्ष 2015-16 के दौरान देश में कुल मिलाकर 55.46 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश हुआ। वित्त वर्ष 2016-17 में कुल मिलाकर 60.08 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश प्राप्‍त हुआ, जो अब तक का सर्वकालिक उच्‍चतम स्‍तर है।

यह महसूस किया गया है कि देश में इससे भी ज्‍यादा विदेशी निवेश को आकर्षित करने की क्षमता है, जिसे एफडीआई व्‍यवस्‍था को और ज्‍यादा उदार एवं सरल बनाकर प्राप्‍त किया जा सकता है। तदनुसार, सरकार ने एफडीआई नीति में अनेक संशोधन करने का निर्णय लिया है।

विवरण :

एकल ब्रांड खुदरा कारोबार (एसबीआरटी) में एफडीआई के लिए सरकारी मंजूरी की अब कोई आवश्‍यकता नहीं है

I. एसबीआरटी से संबंधित वर्तमान एफडीआई नीति के तहत स्‍वत: रूट के जरिए 49 प्रतिशत एफडीआई और सरकारी मंजूरी रूट के जरिए 49 प्रतिशत से ज्‍यादा और 100 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति दी गई है।

II. एकल ब्रांड खुदरा कारोबार करने वाले निकाय को आरंभिक 5 वर्षों के दौरान वैश्विक परिचालनों के लिए भारत से वस्‍तुओं की अपनी वृद्धिपरक प्राप्ति का समायोजन करने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है। इस अवधि की शुरुआत भारत से 30 प्रतिशत की खरीद की अनिवार्य प्राप्ति आवश्‍यकता के सापेक्ष प्रथम स्‍टोर खोलने के वर्ष की पहली अप्रैल से होगी। इस उद्देश्‍य के लिए वृद्धिपरक प्राप्ति से आशय एकल ब्रांड खुदरा कारोबार करने वाले अनिवासी निकायों द्वारा पिछले वित्त वर्ष की तुलना में किसी विशेष वित्त वर्ष में संब‍ंधित एकल ब्रांड (भारतीय रुपये में) के लिए भारत से की गई इस तरह की वैश्विक प्राप्ति के मूल्‍य में हुई वृद्धि से है। इस तरह की प्राप्ति (सोर्सिंग) या तो प्रत्‍यक्ष रूप से अथवा उनके समूह की कंपनियों के जरिए की जा सकेगी। पांच वर्षों की यह अवधि पूरी होने के बाद एसबीआरटी निकाय के लिए हर साल सीधे अपने भारतीय परिचालन हेतु 30 प्रतिशत की प्राप्ति से जुड़े मानकों को पूरा करना अनिवार्य होगा।

III. अनिवासी निकाय अथवा निकायों, चाहे वे ब्रांड के मालिक हों अथवा कुछ अन्‍य हैसियत रखते हों, को विशिष्‍ट ब्रांड के लिए देश में ‘एकल ब्रांड’ वाले उत्‍पाद का खुदरा कारोबार करने की अनुमति दी गई है। यह खुदरा कारोबार या तो सीधे ब्रांड के मालिक अथवा एकल ब्रांड का खुदरा कारोबार करने वाले भारतीय निकाय और ब्रांड के मालिक के बीच हुए कानूनी तर्कसंगत समझौते के जरिए किया जा सकता है।

नागरिक उड्डयन

वर्तमान नीति के अनुसार, विदेशी एयरलाइनों को अनुसूचित और गैर-अनुसूचित हवाई परिवहन सेवाओं का संचालन करने वाली भारतीय कंपनियों की पूंजी में सरकारी मंजूरी रूट के तहत निवेश करने की अनुमति दी गई है। यह निवेश इन कंपनियों की चूकता पूंजी के 49 प्रतिशत की सीमा तक की जा सकती है। हालांकि, यह प्रावधान वर्तमान में एयर इंडिया के लिए मान्‍य नहीं था,इसलिए इसका अर्थ यही था कि विदेशी एयरलाइंस इस स्थिति‍ में एयर इंडिया में निवेश नहीं कर सकती थीं। अब इस पाबंदी को समाप्‍त करने और विदेशी एयरलाइनों को एयर इंडिया में मंजूरी रूट के तहत 49 प्रतिशत तक निवेश करने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है। इस संदर्भ में निम्‍नलिखित शर्तें होंगी:

I. विदेशी एयरलाइन या एयरलाइंस के विदेशी निवेश सहित एयर इंडिया में विदेशी निवेश न तो प्रत्‍यक्ष अथवा अप्रत्‍यक्ष रूप से 49 प्रतिशत से अधिक होगी।

II. एयर इंडि‍या का व्‍यापक स्‍वामित्‍व एवं प्रभावकारी नियंत्रण आगे भी भारतीय हाथों में ही निहित होगी।

निर्माण क्षेत्र का विकास : टाउनशिप, आवास, निर्मित बुनियादी ढांचा और रियल एस्‍टेट ब्रोकिंग सेवाएं

यह स्‍पष्‍ट करने का निर्णय लिया गया है कि रियल एस्‍टेट ब्रोकिंग सेवा का वास्‍ता अचल परिसंपत्ति (रियल एस्‍टेट) व्‍यवसाय से नहीं है, इसलिए इसमें स्‍वत: रूट के तहत 100 प्रतिशत एफडीआई संभव है।

पावर एक्‍सचेंज

विस्‍तृत नीति में केन्‍द्रीय विद्युत नियामक आयोग (विद्युत बाजार) नियमन, 2010 के तहत पंजीकृत पावर एक्‍सचेंजों में स्‍वत: रूट के जरिए 49 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गई है। हालांकि, एफआईआई/एफपीआई के निवेश को केवल द्वितीयक बाजार तक सीमित रखा गया था। अब इस प्रावधान को समाप्‍त करने और इस तरह एफआईआई/एफपीआई को अब प्राथमिक बाजार के जरिए भी पावर एक्‍सचेंजों में निवेश करने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है।

एफडीआई नीति के तहत मंजूरी के लिए अन्‍य आवश्‍यकताएं:

I. वर्तमान एफडीआई नीति के तहत सरकारी मंजूरी रूट के जरिए गैर-नकद कार्यों जैसे गठन पूर्व खर्चों, मशीनरी के आयात इत्‍यादि के सापेक्ष इक्विटी शेयरों को जारी करने की अनुमति दी गई है। अब यह निर्णय लिया गया है कि स्‍वत: रूट वाले क्षेत्रों के मामले में गैर-नकद कार्यों जैसे गठन पूर्व खर्चों, मशीनरी के आयात इत्‍यादि के सापेक्ष स्‍वत: रूट के जरिए शेयरों को जारी करने की अनुमति दी जाएगी।

II. केवल किसी अन्‍य भारतीय कंपनी/कंपनियों/एलएलपी और कोर निवेशकर्ता कंपनियों की पूंजी में निवेश करने के कार्य में संलग्‍न भारतीय कंपनी में फिलहाल पूर्व सरकारी मंजूरी के साथ 100 प्रतिशत तक विदेशी निवेश करने की अनुमति दी गई है। अब इन क्षेत्रों से संबंधित एफडीआई नीति को अन्‍य वित्तीय सेवाओं से जुड़े एफडीआई नीतिगत प्रावधानों के अनुरूप करने का निर्णय लिया गया है। अत: किसी वित्तीय क्षेत्र नियामक द्वारा उपर्युक्‍त गतिविधि‍यों का नियमन होने की स्थिति में स्‍वत: रूट के तहत 100 प्रतिशत तक विदेशी निवेश करने की अनुमति दी जाएगी। उधर, किसी वित्तीय क्षेत्र नियामक द्वारा उपर्युक्‍त गतिवि‍धियों का नियमन न होने अथवा केवल एक हिस्‍से का नियमन होने या नियामक की निगरानी के संबंध में कोई संशय होने की स्थिति में सरकारी मंजूरी रूट के जरिए 100 प्रतिशत तक विदेशी निवेश की अनुमति दी जाएगी। हालांकि, इसके लिए न्‍यूनतम पूंजीकरण आवश्‍यकता सहित कुछ शर्तें होंगी, जिनके बारे में सरकार द्वारा निर्णय लिया जाएगा।

संवेदनशील देशों से प्राप्‍त एफडीआई प्रस्‍तावों पर गौर करने के लिए सक्षम प्राधिकरण

मौजूदा प्रक्रियाओं के मुताबिक ऐसे संवेदनशील देशों, जिनके लिए विस्‍तृत फेमा 20, एफडीआई नीति और समय-समय पर संशोधित किए जाने वाले सुरक्षा दिशा-निर्देशों के अनुरूप सुरक्षा मंजूरी की आवश्‍यकता होती है, से प्राप्‍त निवेश संबंधी एफडीआई आवेदनों पर ऐसे निवेश के लिए गृह मंत्रालय गौर करेगा जो स्‍वत: मंजूरी क्षेत्रों/गतिविधियों के अंतर्गत आते हैं। उधर, सरकारी मंजूरी वाले क्षेत्रों/गतिविधियों, जिनके लिए सुरक्षा मंजूरी की आवश्‍यकता होती है, से जुड़े मामलों पर संबंधित प्रशासकीय मंत्रालय/विभाग गौर करेंगे, जैसा भी मामला होगा। अब यह निर्णय लिया गया है कि स्‍वत: मंजूरी वाले क्षेत्रों, जिनके लिए स्‍वीकृति केवल संवेदनशील देश से होने वाले निवेश के मसले पर जरूरी होती है, में निवेश हेतु एफडीआई आवेदनों पर सरकारी मंजूरी के लिए औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) गौर करेगा। सरकारी मंजूरी रूट के तहत आने वाले ऐसे मामलों पर आगे भी संबंधित प्रशासकीय विभाग/मंत्रालय ही गौर करेगा जिनके लिए संवेदनशील देश से जुड़ी सुरक्षा मंजूरी आवश्‍यक होती है।

फार्मास्‍यूटिकल्‍स:

फार्मास्‍यूटिकल्‍स क्षेत्र से जुड़ी एफडीआई नीति में अन्‍य बातों के अलावा इस बात का उल्‍लेख किया गया है कि एफडीआई नीति में चिकित्‍सा उपकरणों की जो परिभाषा दी गई है वह दवा एवं कॉस्‍मेटिक्‍स अधिनियम में किए जाने वाले संशोधन के अनुरूप होगी। चूंकि नीति में दी गई परिभाषा अपने आप में पूर्ण है, इसलिए एफडीआई नीति से दवा एवं कॉस्‍मेटिक्‍स अधिनियम का संदर्भ समाप्‍त करने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा, एफडीआई नीति में दी गई ‘चिकित्‍सा उपकरणों’ की परिभाषा में संशोधन करने का भी निर्णय लिया गया है।

ऑडिट कंपनियों के संबंध में प्रतिबंधात्‍मक शर्तों का निषेध:

वर्तमान एफडीआई नीति में उन ऑडिटरों के विनिर्देश के संबंध में कोई भी प्रावधान नहीं है जिनकी नियुक्ति विदेशी निवेश प्राप्‍त करने वाली भारतीय निवेश प्राप्‍तकर्ता कंपनियों द्वारा की जा सकती है। अब एफडीआई नीति में इस बात का उल्‍लेख करने का निर्णय लिया गया है कि कोई विदेशी निवेशक यदि भारतीय निवेश प्राप्‍तकर्ता कंपनी के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय नेटवर्क वाले किसी विशेष ऑडिटर/ऑडिट फर्म को निर्दिष्‍ट करना चाहता है तो वैसी स्थिति में इस तरह की निवेश प्राप्‍तकर्ता कंपनियों का ऑडिट दरअसल ऐसे संयुक्‍त ऑडिट के तहत किया जाना चाहिए जिसमें कोई एक ऑडिटर समान नेटवर्क का हिस्‍सा कतई नहीं होगा।

 

4.  मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय न्यास के अध्यक्ष और सदस्यों के लिए निश्चित कार्यकाल को स्वीकृति दी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय न्यास के अध्यक्ष तथा बोर्ड के सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष के लिए निर्धारित करने के लिए राष्ट्रीय न्यास अधिनियम 1999 की धारा (4 (1) तथा धारा 5 (1) में संशोधन करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है।

राष्ट्रीय न्यास अधिनियम 1999 की धारा 4 (1) में प्रावधान है कि राष्ट्रीय न्यास के अध्यक्ष या बोर्ड का कोई एक सदस्य जब तक उनके उत्तराधिकारी विधिवत रूप से नियुक्त किए जाते हैं। तीन वर्ष की निर्धारित अवधि के बाद भी कार्यालय में बने रहेंगे। अध्यक्ष के त्याग पत्र के मामले में अधिनियम की धारा 5(1) में प्रावधान है कि सरकार द्वारा उनके उत्तराधिकारी विधिवत रूप से नियुक्त किए जाने तक कार्यालय में बने रहेंगे। वर्तमान स्वरूप में अधिनियम के उपरोक्त प्रावधानों की शब्दावली के कारण अध्यक्ष अनिश्चित अवधि के लिए रहे, क्योंकि नियुक्ति के लिए उपयुक्त उत्तराधिकारी पात्र नहीं पाया जा सका। अधिनियम के इन प्रावधानों में प्रस्तावित संशोधन ऐसी स्थिति को टालेगा और किसी पदस्थ द्वारा उसी पद पर लगातार बने रहने के किसी भी अवसर को समाप्त करेगा।

 

5. मंत्रिमंडल ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के ग्रुप-ए कार्यपालक संवर्ग की संवर्ग समीक्षा को स्वीकृति दी

प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के ग्रुप-ए कार्यपालक संवर्ग की संवर्ग समीक्षा को मंजूरी दे दी है। सीआईएसएफ के वरिष्ठ ड्यूटी पदों में सुपरवाइजरी स्टाफ बढ़ाने के लिए सहायक कमांडेंट से अपर महानिदेशक के रैंकों तक विभिन्न रैंकों में 25 पदों के सृजन का प्रावधान है।

सीआईएसएफ संवर्ग को नया ढांचा देने से ग्रुप ए के 1252 से बढ़कर 1277 हो जाएंगे। अपर महानिदेश के दो पद बढेंगे महानिरीक्षक के 7 पद बढेंगे और उप महानिरीक्षक के 8 पद तथा कमांडेंट के 8 पद बढेंगे।

प्रभाव:

सीआईएसएफ में ग्रुप के इन पदों के सृजन के बाद बल की सुपरवाइजरी दक्षता तथा क्षमता सृजन में वृद्धि होगी। ग्रुप ए पदों की संवर्ग समीक्षा में प्रस्तावित पदों के समय पर सृजन से बल की सुपराइजरी और प्रशासनिक क्षमताएं बढेंगी।

पृष्ठभूमि:

सीआईएसएफ अधिनियम 1968 के माध्यम से केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल अस्तित्व में आया। इस अघिनियम में 1983 में संशोधन करते हुए बल को संघ का सशस्त्र बल घोषित किया गया। सीआईएसएफ का मूल चार्टर तथा सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों की संपत्ति को संरक्षा तथा सुरक्षा मुहैया कराना था। अधिनियम में आगे 1989, 1999 तथा 2009 में संशोधन किए गए ताकि ड्यूटी चार्टर को व्यापक बनाया जा सके। निजी क्षेत्र की ईकाइयों को सुरक्षा कवर प्रदान किया जा सके और केंद्र सरकार द्वारा सौंपे जाने वाली अन्य ड्यूटियों को पूरा किया जा सके।

सीआईएसएफ केवल तीन बटालियनों की स्वीकृत शक्ति के साथ 1969 में अस्तित्व में आया। 12 रिजर्व बटालियनों तथा मुख्यालयों को छोड़कर सीआईएसएफ का अन्य केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की तरह अपना बटालियन स्वरूप नहीं होता। वर्तमान में यह बल 336 औद्योगिक प्रतिष्ठानों (59 हवाई अड्डों सहित) को सुरक्षा प्रदान कर रहा है। 1969 में 3192 की स्वीकृत संख्या बल के साथ प्रारंभ इस बल की शक्ति 30.6.2016 को बढ़कर 1,49,088 हो गई है। सीआईएसएफ का मुख्यालय नई दिल्ली में है। संगठन का नेतृत्व महानिदेशक करते हैं। महानिदेशक का पद संवर्ग बाह्य पद है।

 

6.मंत्रिमंडल ने संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना को 12वीं योजना से आगे जारी रखने की स्वीकृति दी

प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने संसद सदस्य क्षेत्रीय विकास योजना (एमपीलैड्स) को 14वें वित्त आयोग की कार्य अवधि यानी 31.03.2020 तक जारी रखने को अपनी स्वीकृति दे दी है।

विवरण:

योजना को 3950 करोड़ रूपये के वार्षिक आवंटन तथा 11850 करोड़ रूपये के कुल परिव्यय के साथ अगले 3 वर्षों तक जारी रखने तथा स्वतंत्र एजेंसी (एजेंसियेां) के माध्यम से निगरानी तथा मंत्रालय द्वारा राज्य/जिला स्तर पर अधिकारियों की क्षमता में वृद्धि करने/ उन्हें दिए जाने वाले प्रशिक्षण के प्रयोजनार्थ योजना में 5 करोड़ रूपये का अतिरिक्त आवंटन किया गया है।

एमपीलैड्स की निधियां नोडल जिला प्राधिकारियों को आवश्यक दस्तावेजों के प्राप्त होने तथा एमपीलैड्स संबंधी दिशा-निर्देशों के प्रावधानों के अनुसार जारी की जाती हैं।

प्रभाव:

एमपीलैड्स योजना के अंतर्गत पेयजल, शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वच्छता तथा सड़कों जैसे राष्ट्रीय प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में स्थानीय रूप से महसूस की गई आवश्यकताओं के आधार पर टिकाऊ परिसंपत्तियों के सृजन से देश की संपूर्ण आबादी को लाभ मिलेगा।

एमपीलैड्स योजना के फलस्वरूप ऐसी विभिन्न टिकाऊ सामुदायिक परिसंपत्तियों का सृजन किया गया है, जिन्होंने स्थानीय समुदाय के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन को किसी ने किसी रूप में प्रभावित किया है।

पृष्ठभूमि:

1993-94 में लांच की गई एमपीलैड्स योजना केंद्र की जारी योजना है। योजना प्रारंभ होने के बाद से अगस्त 2017 तक एमपीलैड्स निधियों से 44,929.17 करोड़ रूपये के कुल 18,82,180 कार्य स्वीकृत किए गए हैं।

यह योजना संसद सदस्यों को उनके निर्वाचन क्षेत्रों में पेयजल, शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वच्छता, सड़कों जैसे राष्ट्रीय प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में स्थानीय रूप से महसूस की गई आवश्यकताओं के आधार पर टिकाऊ समुदाय परिसंपत्तियों के सृजन के लिए सिफारिश करने में समर्थ बनाती है। यह योजना कुछ दिशा-निर्देशों द्वारा संचालित की जाती है, जिसे अंतिम बार जून, 2016 में संशोधित किया गया।

 

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