किसानों के ट्रेक्टर पर टैक्स लगाने वाली पहली सरकार इनेलो की थी
बाद में कांग्रेस सरकार ने भी जारी रखा।
चंडीगढ़ : श्री ओम् प्रकाश चौटाला है ट्रेक्टर पर टैक्स के जनक, अगर INLD है किसान हितैषी, तो अभय चौटाला जी और दुष्यंत चौटाला जी करें चौटाला साहब की निंदा ।
पिछले कुछ हफ्तों से ट्रेक्टर पर राजनीति कर रहे इनेलो के मित्रों को अपने इतिहास का ज्ञान नहीं है। वे झूठे आरोप तो हमारी सरकार पर लगा रहे हैं लेकिन इस बात को छिपा रहे हैं कि किसानों के ट्रेक्टर पर टैक्स लगाने वाली पहली सरकार इनेलो की थी। ट्रेक्टर पर प्रस्तावित टेक्स को लेकर इनेलो के सफेद झूठ और 14 साल पहले उनकी सरकार के किए कारनामे का सच प्रदेश के लोगों के लिए जानना ज़रूरी है।
पहली बात तो यह है कि ट्रेक्टर को टैक्स के दायरे में लाने का काम सबसे पहले 20 मई 2003 को इनेलो की सरकार के दौरान किया गया। इनेलो राज में राज्य परिवहन नियंत्रक के हस्ताक्षर वाला स्पष्ट आदेश जारी हुआ जिसमें लिखा गया कि ट्रेक्टर पर मोटर व्हिकल टेक्सेसन रूल्स के तहत रोड टैक्स लगेगा। इसके साथ ही ट्रेक्टर-ट्रॉली से ढोए जाने वाले सामान पर आबकारी एवं कराधान विभाग गुड्स टैक्स भी वसूलेगा। इसके अलावा भी कई अन्य शर्तें लगाते हुए आदेश जारी किया गया कि ट्रॉली में सामान ड्राइवर के कंधे तक की ऊंचाई तक ही भरा जा सकेगा, उससे ऊपर नहीं। अगर इनेलो सरकार के जारी आदेश की बात करें तो आज लगभग हर ट्रेक्टर चालक दोषी घोषित हो सकता है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यही है कि 20 मई 2003 को इनेलो राज में ही ट्रेक्टर पर टैक्स की रवायत पहली बार डाली गई जिसे बाद में कांग्रेस सरकार ने भी जारी रखा।
दूसरी बात यह कि ट्रेक्टर पर प्रस्तावित टैक्स के बारे में इनेलो के वरिष्ठ नेता सफेद झूठ परोस रहे हैं। डेढ़ लाख से लेकर 15 लाख टेक्स तक की मनघड़ंत बातें करते वक्त इन नेताओं को जरा भी शर्म नहीं आई। यह रिकॉर्ड की बात है कि हरियाणा में गुड्स कैरियर ट्रांसपोर्ट वाहनों पर 300 रूपये से लेकर 22500 रूपये तक का सालाना टैक्स है। ना किसी भी जगह 1.50 लाख का जिक्र है, ना ही 15 लाख का। सिर्फ हव्वा बनाने के लिए सफेद झूठ बोलकर भोले किसानों को बरगलाना इनेलो के लोग ही कर सकते हैं। 1.5 लाख सालाना और 15 लाख एकमुश्त की बात विधानसभा में पारित कानून के अंदर है जिसमें विभिन्न वाहनों पर अधिकतम टैक्स की दर तय की गई है। ये कानून भविष्य में किसी भी सरकार को अधिकतम टैक्स तय रखने के लिए बाधित करता है। इसका मौजूदा टैक्स दरों से कोई लेना देना नहीं है। हरियाणा में अब भी कृषि में इस्तेमाल होने वाले ट्रेक्टर पर कोई टैक्स नहीं है, और माल ढुलाई जैसे व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए ट्रेक्टर पर 300 से 22500 तक का सालाना टैक्स है। यह टैक्स भी पहले से चला आ रहा है जिसमें वक्त वक्त पर मामूली बढ़ोतरी होती रही है।
एक विशेष बात यह भी है कि जिस कानून को लहराकर इनेलो नेता राजनीति कर रहे हैं, उसे विधानसभा में उनकी मौजूदगी में पास किया गया और ना इनेलो, ना कांग्रेस के किसी नेता ने उसका विरोध किया। वहां विरोध ना सही, सवाल ही कर लेते तो सारी स्थिति स्पष्ट कर दी जाती। लेकिन हां, तब बाहर आकर किसानों को बहकाने और राजनीति करने का मौका ना मिलता।
इनेलो के लोग सितंबर 2016 से नया टैक्स लगाने की बात कह रहे हैं। उनके लिए चुनौती है कि अगर वे एक भी किसान ऐसा सामने ले आएं जिसने इनेलो द्वारा बताई गई दरों के हिसाब से ट्रेक्टर पर टैक्स भरा हो या उससे मांगा गया हो। इनेलो के सांसद जिस ट्रेक्टर को लेकर संसद गए थे, उसे खुद का ट्रेक्टर बता रहे थे। उन्हें दिखाना चाहिए कि उस ट्रेक्टर पर उन्होंने कितना टैक्स जमा करवाया है। अगर उन्होंने 1.5 लाख टैक्स नही जमा कराया तो इसका मतलब एक सांसद ने टैक्स चोरी की । दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
ट्रेक्टर को लेकर किसानों की असली गुनेहगार इनेलो है और संभव है कि उनके ऐसे ही फैसलों की वजह से 2005 में उनकी पार्टी 9 सीटों पर सिमट कर सत्ता से बाहर हो गई थी और आज तक उसी स्थिति में है। जब तक कोई दल हवाहवाई बातों पर राजनीति चमकाने की कोशिश करता रहेगा, तब तक लोग उस पर भरोसा नहीं करेंगे और उसकी परिणिती यही रहेगी। दुर्भाग्य तो देश के किसानों का है जिनके नाम पर ऐसे दल सिर्फ राजनीति करते हैं जबकि सत्ता मिलने पर यही लोग किसान विरोधी फैसलों की नींव डालते हैं।