मेरे प्यारे बच्चों कुछ करना सीख लो……………. अर्चना तिवारी 

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मेरे प्यारे बच्चों कुछ करना सीख लो................ अर्चना तिवारी  2                                                                                                                                        – संस्कार –              अर्चना तिवारी 

                                                          अध्यापिका  

श्री एस एन सिधेश्वर सीनियर सेकेंडरी पब्लिक स्कूल

                                                                                              सेक्टर 9 A , गुरुग्राम 

 

मेरे प्यारे बच्चों कुछ करना सीख लो , जीवन को बनाना है तो सुनना सीख लो।

पहली पाठशाला तो माता पिता की होती है, बाल्यकाल में हंसी खेल में संस्कार दे जाती है। 

भगवत रूप में आये हैं वो, संस्कार सीख लो, माता पिता की सेवा और सम्मान सीख लो ।।

मेरे प्यारे बच्चों कुछ करना सीख लो , जीवन में कुछ बनना है तो सुनना सीख लो …..

 

पांच साल की उम्र में हम पाठशाला आते हैं , छोटे संगी साथियों से जुड़ना सीख जाते हैं।

भाई बहन की भावना, मित्रवत रहना सीख लो, रिश्तों और बंधन को अपनाना सीख लो ।।

 

हंसी मस्ती की पाठशाला हमने सीख ली, बचपन बिताया मौज में जवानी आ गई।

बचपन की अठखेलियों से परिपक्व हो गए, सीख मिली नादानी से किशोर हो गए ।।

किशोरावस्था की जिम्मेदारियां अब लेना सीख लो ….

 

किशोरावस्था आते ही मन चंचल हो जाता है , बाहरी दुनिया का प्रभाव तब सबसे ज्यादा आता है।

संस्कारों के कवच को ओढ़ना सीख लो , गंदी दुनिया के प्रभाव से बचना सीख लो ।।

मेरे प्यारे बच्चों कुछ करना सीख लो, जीवन को बनाना है तो सुनना सीख लो……

 

माता पिता ही सच्चे साथी ऐसा जान लो, शिक्षक ही है सच्चा प्रदर्शक ऐसा मान लो।

हृदय से सीख लगा कर चिंतन करना है तुमको , स्वाध्याय और ध्यान लगाकर रहना है तुमको ।।

मेरे प्यारे बच्चों कुछ करना सीख लो , जीवन को कुछ बनाना है तो सुनना सीख लो….

 

 

जीवन के दो रास्ते एक सच्चा ,एक झूठा , जूठे रास्तों पर है आकर्षण का पहरा ।

आकर्षण को छोड़ना तो मुश्किल है लगता , पर सच्चा मानव, माता पिता की बात को रखता । 

 

 

पढ़ाई की ताकत से जग जीत सकते हो ,मेहनत की ताकत से तुम भाग्य बदल सकते हो ।

सुविचार संस्कारों को अपनाए तुम रखना ,सभी मानवों से प्रेम का भाव है रखना ।।

 

 

ऐसा आशीर्वाद शिक्षक तुमको है देते , असली कमाई शिक्षक की  तुम मूल्यवान बनाना।

पैसा कमाना सच्चाई से देश सेवा है करना, कभी किसी की आंखों में आंसू मत भरना ।।

 

 

आज बनोगे अच्छे तो कल भी संवरेगा , घर, परिवार, समाज , देश का मान भी बढ़ेगा ।

भावी पीढ़ी की बागडोर तुमको पकड़नी है , कल के माता पिता बन समाज को सुदृढ़ बनाना है।।

 

नियम सामाजिक यही है आगे सौंपते रहना , कर्तव्य हमारे खत्म हुए अब शुरू तूमको है करना।

आशीष हमारा, काम तुम्हारे हरदम आएगा, विश्व के नभमण्डल पर तुमको चमका जाएगा।

सिद्धेश्वर के फूलों, सारे जग को महकाओ ,यही कामना बाल दिवस की भेंट ले जाओ……

 

: धन्यवाद  : 

 

 

 

 

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