Font Size
– आने वाले चुनावों में सबक सिखाने की हरियाणा शिक्षण संस्थान संगठन ने दी चेतावनी
-, सरकार से वायदा निभाने की मांग , रोहतक से जल्द ही आर पार की लड़ाई शुरू करने का ऐलान
गुरुग्राम , 10 अक्टूबर। हरियाणा शिक्षण संस्थान संगठन ने भाजपा सरकार द्वारा अपने चुनावी घोषणा पत्र में प्राइवेट स्कूलों के लिए किए गए वादों को पूरा न करते हुए स्कूलों पर तरह तरह के दिन प्रतिदिन हथकंडे अपनाने व सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष यशपाल यादव व जिला अध्यक्ष डेपीं यादव सचिव ओमप्रकाश अरोड़ा व कानूनी सलाहकार यश कुमार राधव ने संयुक्त बयान में कहा कि गुरुग्राम के एक निजी स्कूल की घटना की आड़ में सभी निजी स्कूलों को प्रदेश सरकार द्वारा तंग करने का रवैया सही नहीं है। निजी स्कूलों के प्रति ऐसे रवैये अपनाए जाने से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मानो प्रदेश के सभी निजी स्कूलों में प्रबंधन ही ऐसी घटनाओं में शामिल हों। यह सरकार की निजी स्कूलों के प्रति गलत सोच है। सरकार सच्ची व्यवहारिकता का उदाहरण बनें और अपने स्कूलो पर लीभी वही नियम लागू करे जो प्राइवेट स्कूलो पर कर रही है।
उन्होंने कहा कि दोषी को सजा जरूर मिलनी चाहिए, लेकिन उनके साथ निर्दोष को भी लपेटने की नीति बिलकुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी। गुरुग्राम के निजी स्कूल की घटना होते ही सरकार ने रातों रात निजी स्कूलों पर इतने सारे कठोर नियम बना दिए कि जैसे प्रदेश के सभी निजी स्कूल संचालक ही अपराध की दुनिया के माफिया हो। सरकार ने निजी स्कूलों की समस्याओं के निवारण के लिए अपने चुनावी घोषणा पत्र में जो वादे किए थे, उसे पूरा करने के लिए हरियाणा शिक्षण संस्थान संगठन की ओर से कई बार शिक्षा मंत्री व मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंप चुके हैं, लेकिन कुछ मांगों पर सहमति होने के बाद भी आज तक उनका नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया। इससे साफ जाहिर है कि सरकार प्राइवेट स्कूलों के प्रति किए गए वादों को पूरा ही नहीं करना चाहती।
संगठन के अध्यक्ष यशपाल यादव ने कहा कि संगठन अब बिलकुल भी चुप नहीं बैठेगा। प्रदेश सरकार यह भूलने की कोशिश कर रही है कि निजी स्कूलों के सहयोग से ही भाजपा सत्ता मेें आई थी। उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्कूल संचालक बच्चे की सुरक्षा को शत प्रतिशत ध्यान में रखता है, फिर भी किसी कर्मचारी द्वारा कोई गलती की जाती है तो प्राचार्य या स्कूल प्रशासन पर कार्रवाई बिलकुल सहन नहीं की जाएगी। संगठन ने सवाल उठाते हुए कहा कि रोहतक पीजीआई में बच्चे को गुम हुए महीना हो चुका है, लेकिन क्या सरकार ने किसी आला अधिकारी पर जिम्मेदारी तय करके उस पर कार्यवाही की। क्योंकि पीजीआई सरकार का संस्थान है, इसलिए यहां कोई कायदा कानून लागू नहीं होताहै। पीजीआई रोहतक से गुम हुए बच्चे की घटना किसी भी सूरत में गुडग़ांव के निजी स्कूल की घटना से कमतर गंभीर नहीं है। वहां भी एक मां की गोद सुनी हुई है और प्रद्युमन हत्याकांड से भी मां की गोद सूनी हुई है।
संगठन के अध्यक्ष यशपाल यादव ने कहा कि निजी स्कूल की एक घटना में प्रदेश के निजी स्कूलों के प्राचार्य या डायरेक्टर को बिना कसूर के फंसाने का नियम बनाकर उन्हें जेल में डालने तक के कानून बनाना सरकार का पक्षपात पूर्ण रवैया स्पष्ट झलक रहा है। संगठन इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि सरकार उनकी भावनाओं से खिलवाड़ कर रही है। वे अपना काम ईमानदारी से कर रहे हैं, लेकिन सरकार उन्हें हल्के में ले रही है। यह सरकार की भूल है कि आने वाले चुनाव में यह सब कुछ दिखा देंगे।
सरकार उन्हें आर पार की लड़ाई के लिए मजबूर ना करे, अन्यथा उनके आंदोलन की शुरूआत अन्य संगठनो के साथ मिलकार रोहतक से करेंगे और क्रांति की यह चिंगारी के रूप में प्रदेश के सभी जिलों में आग के रूप में फैलते देर नहीं लगाएगी। जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार की होगी। उन्होंने सरकार से मांग की कि सरकार अपने चुनावी घोषणा पत्र में निजी स्कूलों से किए गए वादों के अनुसार शिक्षा नियमावली का सरलीकरण करके स्कूलों को भवन एवं भूमि की शर्त को कम करके मान्यता देने, पेंडिंग एग्जिस्टिंग स्कूलों की सूची जारी करने, नियम 134 ए के तहत निजी स्कूलों द्वारा बच्चों को फ्री पढ़ाने का शुल्क अदा करने की मांग को प्रमुखता के साथ पूरा करे, क्योंकि सरकार इस नियम के तहत बच्चों को निशुल्क पढ़वाने की झूठी वाहवाही लूटकर ढिंढोरा पीट रही है, लेकिन किसी स्कूल को बदले में फीस अदायगी नहीं कर रही है।
इसके साथ साथ निजी स्कूल संचालक या प्रबंधन को गैर कानूनी ढंग से जिम्मेदारी तय करके अपराध की श्रेणी में लाने के नियम को तुरंत वापस लिया जाए। वहीं अध्यापकों के लिए डीएलएड प्रशिक्षण का हजारों रुपए का भुगतान करके प्रशिक्षण कोर्स करने का काला कानून वापस लिया जाए, क्योंकि इन अध्यापकों का पढ़ाने का अनुभव इतना हो चुका है कि उन्हें अब प्रशिक्षण की जरूरत ही नहीं है। इसके अलावा शिक्षा बोर्ड द्वारा लगाई गई निरंतरता फीस को वापस लिया जाए। उन्होंने कहा कि अगर उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो दीपावली के बाद संघ की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर सरकार के खिलाफ आर पार की लड़ाई का ऐलान किया जाएगा और इस बार स्कूल संचालक बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने में देर नहीं लगाएंगे।