लोकसभा में पीएम ने कहा कि देश में सामूहिक विश्वास को जगाना होगा
दुनिया भारत की ओर देख रही है
नई दिल्ली : भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा आयोजित विशेष चर्चा के दौरान अपने संबोधन में कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन के बारे में नई पीढ़ियों को बताना जरूरी है. युवाओं को इस आंदोलन के बारे में विस्तार से जानना चाहिए. प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में आगे कहा कि इतिहास की घटनाएं हमें प्रेरणा देती हैं. यह हमारा सौभाग्य है कि हमें इस आंदोलन को दोबारा याद करने का मौका मिला और हमें इस प्रकार की चर्चा बारम्बार करते रहनी चाहिए. उन्होंने कहा कि देश को भ्रष्टाचार दीमक की तरह खा रहा है. हमें इसका संकल्प करना चाहिए की इसे जड़ से समाप्त करे और दुनिया के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करें. हम इसे समाप्त करके रहेंगे .
उन्होंने चिंता व्यक्त की कि हमारे जीवन में ऐसी चीजें घुस गई हैं जिनसे लगता ही नहीं कि हम कानून तोड़ रहे हैं. कानून सिर्फ मदद कर सकता है, हमें समाज में कर्तव्यभाव जगाने की जरूरत है. उन्होंने लोगों से अपील की कि हमें देश में एक बार फिर से 1942 जैसा माहौल जगाना होगा. हमें संकल्प लेना होगा कि भ्रष्टाचार दूर करना होगा. उन्होंने कहा कि 1942 से 1947 तक के आंदोलन ने भारत माता को आजाद कराया.
‘भारत छोड़ो’ आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ पर पीएम ने लोगों का आह्वान किया कि वह देश को सांप्रदायिकता, जातिवाद और भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं से मुक्त बनाने के लिए कदम उठाएं और 2022 तक ‘नये भारत’ का निर्माण करें. महात्मा गांधी के नेतृत्व में वर्ष 1942 में हुए ऐतिहासिक आंदोलन में भाग लेने वाले सभी स्वतंत्रता सेनानियों को श्रधांजलि देते हुए मोदी ने उनसे प्रेरणा लेने की बात की.
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद धीरे धीरे हममें आधिकार भाव आने लगा और कर्तव्य भाव समाप्त होता गया.
मोदी ने कहा कि भारत को गरीबी, गंदगी, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, जातिवाद, साम्प्रदायिकता से मुक्त कराने और 2022 तक ‘नये भारत’ का निर्माण करने की शपथ लें.
उन्होंने कहा कि भारत को आजादी मिलने के साथ ही ओप्निवेशिक साम्राज्य का दुनिया से खात्मा हो गया. हमें अब देश को उस स्थिति में पहुँचाना चाहिए जिससे दुनिया को भी एक रास्ता दिखा सकें.
सबसे कम बोझ अगर देश धो रहा है तो वह है महिलायें. हमें उनके सामर्थ्य का देश के विकास में उपयोग करना चाहिए.
१९४२ में भी देश में अलग अलग विचारधारा के लोग थे और महात्मा गाँधी के नेतृत्व में सबने काम किया. सुभाष चन्द्र बोस ने भी महात्मा गाँधी का नेतृत्व स्वीकार किया और आजादों की लड़ाई लड़ी. हमें भी उसी तरह देश के विकास के लिया एकजुट होकर काम करना चाहिए.