: महाशिरात्री के पर्व को लेकर दिल्ली-अलवर रोड पर करीब 60 किलोमीटर तक नहीं बिक रही है बिरयानी
: गांव रेवासन से लेकर गांव दौहा तक करीब 200 बिरयानी की दुकानें लगती हैं
: बिरयानी विक्रेता बोले किसी का धर्म भ्रष्ट ना हो इसी वजह से बंद रखी हैं दुकानें
यूनुस अलवी
मेवात: मेवात इलाका हिंदु-मुस्लिम आपसी भाईचारा के लिऐ जाना जाता है। यहां पर जहां हिंदु समाज के लोग ईद मिलकर करते हैं वहीं मुस्लिम होली मिलन और राम बारात का स्वागत कर एक दूसरे के धर्म में आस्था जताते हैं। यही कारण रहा है कि देश बटवारा का समय हो या फिर बाबरी मस्जिद गिराने के समय देश में संप्रदायिक आग लगी पर मेवात में इसकी हवा तक नहीं आई।
महाशिरात्री के पर्व को लेकर हरिद्वार से शिव भक्त दिल्ली-अलवर रोड से कावड लेकर मेवात और राजस्थान तक आते हैं। मेवात जिला के पहला गांव बाई का डंडा-रेवासन से लेकर आखरी गांव दौहा तक करीब दो दर्जन गांव पडते हैं। मुख्य सडक होने की वजह से यहां पर डंफर आदि वाहनों का सबसे ज्यादा आवागम होता है। रोजी रोटी कमाने की वजह से करीब दो सौ लोग बिरयानी बैचकर अपना गुजारा करते हैं। जैसे ही कावडयिों का मेवात आगमन शुरू होता है उससे दस दिन पहले मेवात के बिरयानी विक्रेता अपनी ब्रियानी की दुकानें बंद कर देते हैं।
बिरयानी विक्रेता असलम, सत्तार और याकूब कुरैशी का कहना है कि वे अपनी रोजी रोटी कमाने की वजह से दिल्ली-अलवर रोड पर पिछले 15 साल से बिरयानी बैचने का धंधा करते आ रहे हैं। शिव रात्री के त्योंहार से पहले हरिद्वार से बहुत से शिव भक्त कावड लेकर इस रोड से गुजरते हैं। जो राजस्थान तक कावड लेकर जाते हैं। उनका कहना है कि उनकी वजह से किसी का धर्म भ्रष्ट ना हो इसी वजह से वे कावड लाने के दौरान अपनी दुकानें बंद कर देतें हैं।
उनका कहना है कि वे अपने खोखा, तखत और दुकानों के पास मांस की हड्डियों के डालने के लिये डेस्टबिन रखते हैं लेकिन कई शरारती तत्व उन हड्डियों को सडक पर भी फैंक देते हैं। इसी डर की वजह से वे अपनी दुकानें पूर्ण रूप से बंद रखते हैं।
मेवात विकास सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उमर मोहम्मद और जमियत उलमा हिंद की नोर्थ जोन के सदर मोलाना याहया करीमी का कहना है कि मेवात के लोग एक दूसरे के धर्म की इज्जत करते हैं। किसी की छोटी सी गलती से किसी के धर्म की आस्था को कोई ठेस ना पहुंचे इसी वजह से बिरयानी विक्रेताओं द्वारा लिया गया फैंसला सराहनीय हैं। उनका कहना है कि मेवात के इसी भाईचारा की वजह से यहां कभी संप्रदायिक झगडे नहीं होती हैं।