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चण्डीगढ़, 15 मई : हरियाणा सरकार ने प्रदेश में सभी निजी विश्वविद्यालयों को हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2006 के तहत विभिन्न वैधानिक प्रावधानों को लागू करने के निर्देश दिए हैं।
प्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों के सभी कुलपतियों को लिखे एक पत्र में उच्चतर शिक्षा विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि इस अधिनियम के तहत स्थापित प्रत्येक विश्वविद्यालय को एक विवरणिका प्रकाशित करनी होगी जिसमें किसी भी पाठ्यक्रम या कार्यक्रम के लिए विद्यार्थियों द्वारा भुगतान योग्य शुल्क के प्रत्येक घटक, जमा की जाने वाली राशि या अन्य शुल्कों तथा इस प्रकार के भुगतान के लिए अन्य नियम एवं शर्तों का ब्यौरा होगा। इसमें टयूशन फीस की प्रतिशतता तथा किसी विद्यार्थी को प्रतिपूर्ति किए जाने वाले अन्य शुल्कों, उस शैक्षणिक वर्ष के लिए प्रत्येक पाठ्यक्रम या कार्यक्रम के संबंध में वैधानिक प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित सीटों की संख्या और किसी विशिष्टï पाठ्यक्रम या कार्यक्रम में प्रवेश हेतु पात्रता की शर्ते भी निहित होंगी।
उन्होंने बताया कि इस विवरणिका में परिसर के अंदर या बाहर विद्यार्थियों द्वारा अनुशासन कायम करने, रैगिंग के प्रतिबंध से संबंधित सभी प्रासंगिक निर्देश तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम, 1956 (1956 का केन्द्रीय अधिनियम 3) या उस समय के लिए लागू किसी अन्य कानून के तहत इस संबंध में बनाए गए किसी भी नियम के प्रावधानों के उल्लंघन पर होने वाले उनके परिणाम भी निहित होने चाहिए।
विश्वविद्यालय अपनी वैबसाइट पर भी सूचना प्रकाशित करेगा तथा विभिन्न समाचार पत्रों और अन्य संचार माध्यमों में प्रमुखता से प्रकाशित विज्ञापनों के द्वारा वैबसाइट पर प्रकाशित ऐसी सूचना की तरफ संभावित विद्यार्थियों तथा जनसाधारण का ध्यान आकर्षित करेगा। प्रत्येक विश्वविद्यालय विवरणिका की प्रत्येक मुद्रित प्रति का मूल्य निर्धारित करेगा जो कि इसके प्रकाशन, वितरण और बिक्री की तर्कसंगत लागत से अधिक नहीं होगा और इसकी प्रति सूचना के लिए सरकार को भेजी जाएगी।
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में प्रवेश पूर्ण रूप से मैरिट के आधार पर दिया जाएगा। विश्वविद्यालय में प्रवेश हेतू मैरिट अर्हता परीक्षा में प्राप्त अंकों या ग्रेड तथा सह-पाठ्यक्रम और पाठ्येत्तर गतिविधियों में हासिल उपलब्धियों या राज्य स्तर पर संचालित प्रवेश परीक्षा में प्राप्त अंकों या ग्रेड के आधार पर निर्धारित की जाएगी। व्यावसायिक तथा तकनीकी पाठ्यक्रमोंं में प्रवेश केवल प्रवेश परीक्षा के माध्यम से दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए कम से कम 25 प्रतिशत सीटें हरियाणा के विद्यार्थियों के लिए आरक्षित होंगी, जिनमें से 10 प्रतिशत सीटें प्रदेश की अनुसूचित जातियों से संबंधित विद्यार्थियों के लिए आरक्षित होंगी।
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालयों द्वारा समय-समय पर शुल्कों का पुनर्निधारण किया जाएगा और इसे शैक्षणिक सत्र शुरू होने से कम से कम 30 दिन पहले सरकार को सूचनार्थ भेजा जाएगा। हरियाणा के मूल निवासी 25 प्रतिशत विद्यार्थियों के शुल्क का पुनर्निधारण योग्यता के आधार पर किया जाएगा। इस 25 प्रतिशत में से पांच प्रतिशत विद्यार्थियों को फीस में पूरी छूट दी जाएगी; जबकि 10 प्रतिशत को फीस में 50 प्रतिशत तथा शेष 10 प्रतिशत विद्यार्थियों को 25 प्रतिशत की छूट दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि व्यावसायिक तथा तकनीकी पाठ्यक्रमोंं में प्रवेश केवल राज्य की किसी एजेंसी या विश्वविद्यालयों के संघ द्वारा संचालित प्रवेश परीक्षा के माध्यम से दिया जाएगा जो पाठ्यक्रम व्यावसायिक तथा तकनीकी प्रकृति के नहीं हैं, उनके लिए प्रवेश परीक्षा निजी विश्वविद्यालय द्वारा अपने स्तर पर संचालित नहीं की जा सकती। हालांकि, यदि इन गैर-तकनीकी और गैर-व्यावसायिक पाठ्यक्रमोंं के लिए प्रवेश परीक्षा के संचालन हेतु राज्य स्तर पर विश्वविद्यालयों का कोई संघ बनाया जाता है तो इसकी अनुमति होगी। इतनी ही नहीं, यदि निजी विश्वविद्यालय गैर-तकनीकी और गैर-व्यावसायिक पाठ्यक्रमोंं में अर्हता परीक्षाओं में प्राप्त अंकों या ग्रेड तथा सह-पाठ्यक्रम और पाठ्येत्तर गतिविधियों में हासिल की गई उपलब्धियों के आधार पर प्रवेश देते हैं तो उन्हें अपने स्तर पर प्रवेश देने की अनुमति होगी।