गुरुग्राम , 30 जून : हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। शनिवार को प्रदोषकाल में त्रयोदशी तिथि हो तो उसे शनि प्रदोष कहते है। यह व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस बार आज यानि कि शनिवार को प्रदोष व्रत रखकर श्रद्धालु भगवान शिव की पूरे विधि-विधान के अनुसार पूजा-अर्चना कर सृख-समृद्धि की कामना करेगे।
ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि प्रदोष पर व्रत रखकर भगवान शिव व माता पार्वती की पूरे विधि-विधान के अनुसार पूजा की जाए तो श्रद्धालुओं का भाग्योदय हो सकता है। उनका कहना है कि भगवान शिव को घी-शक्कर मिले जो के सत्तू का भोग लगाना चाहिए और 8 दीपक 8 दिशाओं में जलाने चाहिए।
प्रात: नित्य कार्यों से निवृत होकर तांबे के लोटे से सूर्यदेव को अध्र्य देना चाहिए। यदि पानी में आकड़े के फूल जरूर मिला दिए जाएं तो यह शुभ होते हैं, क्योंकि भगवान शिव को आंकड़े के फूल विशेष प्रिय हैं। उनका कहना है कि व्रत रखकर भगवान
सूर्य देव व शिव जी की आराधना से श्रद्धालुओं का भला होगा।