नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज ‘स्वास्थ्य और चिकित्सा अनुसंधान’ पर बजट-उपरांत वेबिनार को सम्बोधित किया। केंद्रीय बजट 2023 में घोषित होने वाली पहलों के कारगर क्रियान्वयन के लिये सुझाव और विचार आमंत्रित करने के क्रम में सरकार द्वारा आयोजित 12 बजट-उपरांत वेबिनारों में से यह नौवां वेबिनार है।
उपस्थितजनों को सम्बोधित करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य सुविधा को कोविड-पूर्व और कोविड-उपरांत महामारी परिदृश्य में देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि महामारी ने समृद्ध देशों तक की परीक्षा ली है। उन्होंने कहा कि महामारी के कारण पूरी दुनिया का ध्यान स्वास्थ्य पर गया, इसी क्रम में भारत ने एक कदम आगे बढ़ाते हुये आरोग्य पर अपना ध्यान लगाया। प्रधानमंत्री ने कहा, “इसीलिये हमने दुनिया के सामने – एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य की परिकल्पना रखी है। इसमें सभी प्राणियों – मानव, पशु या पौधे सबके लिये समग्र स्वास्थ्य सम्मिलित है।”
प्रधानमंत्री ने महामारी के दौरान आपूर्ति श्रृंखला के बारे में मिले सबक को दोहराया और कहा कि यह चिंता का बड़ा कारण बन गया है। उन्होंने इस सच्चाई पर अफसोस प्रकट किया कि दवा, टीके और मेडिकल उपकरणों जैसे प्राणरक्षक उपाय उसी समय मोर्चे पर लगाये गये, जब महामारी अपने चरम पर थी। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि पिछले बजट में सरकार ने लगातार कोशिश की कि दूसरे देशों पर भारत की निर्भरता कम हो। उन्होंने इस मामले में सभी हितधारकों की भूमिका पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता के बाद अनेक दशकों तक स्वास्थ्य के लिये एकीकृत दीर्घकालिक परिकल्पना के अभाव का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य का मुद्दा स्वास्थ्य मंत्रालय तक सीमित न करके अब हम सम्पूर्ण-सरकार की सोच को आगे बढ़ा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि आयुष्मान भारत के जरिये मुफ्त इलाज उपलब्ध कराके गरीब मरीजों की लगभग 80 हजार करोड़ रुपये की बचत हुई है। इस क्रम में उन्होंने कहा, “चिकित्सा उपचार को सस्ता बनाना हमारी सरकार की उच्च प्राथमिकता रही है।” सात मार्च को जन औषधि दिवस के रूप में मनाये जाने का उल्लेख करते हुये प्रधानमंत्री ने इंगित किया कि 9000 जन औषधि केंद्रों के जरिये उपलब्ध कराई जाने वाली सस्ती दवाओं ने देश के निर्धन और मध्य वर्गों के लगभग 20 हजार करोड़ रुपये बचाये हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि केवल इन दो योजनाओं से ही नागरिकों का एक लाख करोड़ रुपया बचा है।
प्रधानमंत्री ने गंभीर रोगों के इलाज के लिये मजबूत स्वास्थ्य अवसंरचना के महत्त्व को रेखांकित किया। सरकार की प्रमुख प्राथमिकता को रेखांकित करते हुये प्रधानमंत्री ने बताया कि देशभर में घरों के निकट 1.5 लाख से अधिक स्वास्थ्य केंद्रों को विकसित किया जा रहा है, ताकि जांच केंद्र और प्राथमिक उपचार उपलब्ध हो सके। उन्होंने यह भी बताया कि मधुमेह, कैंसर और हृदय सम्बंधी रोगों जैसे गंभीर मामलों की स्क्रीनिंग की सुविधायें भी इन केंद्रों में उपलब्ध होगी। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि पीएम-आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन के तहत गंभीर स्वास्थ्य अवसंरचना छोटे शहरों और गांवों तक पहुंचाई जा रही है, जिससे न केवल नये अस्पतालों की वृद्धि हो रही है, बल्कि एक नई और सम्पूर्ण स्वास्थ्य इको-प्रणाली भी तैयार हो रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य उद्यमियों, निवेशकों और कार्य-व्यावसायिकों के लिये अनेक अवसर बनाये जा रहे हैं।
इस सेक्टर में मानव संसाधनों के बारे में प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में 260 से अधिक नये मेडिकल कॉलेज खोले गये हैं। इसकी बदौलत 2014 की तुलना में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में सीटें दोगुनी हो गई हैं। प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि इस वर्ष के बजट में नर्सिंग सेवा के क्षेत्र पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा, “मेडिकल कॉलेजों के पड़ोस में 157 नर्सिंग कॉलेजों का खोला जाना चिकित्सा मानव संसाधनों के दिशा में बड़ा कदम है। इस तरह यह न केवल घरेलू मांग, बल्कि दूसरे देशों की मांग को भी पूरा करने में भी उपयोगी होगी।”
प्रधानमंत्री ने चिकित्सा सेवाओं को लगातार सुगम बनाने में प्रौद्योगिकी की भूमिका को रेखांकित किया और बताया कि इस सेक्टर में प्रौद्योगिकी के कार्यान्वयन पर सरकार पूरा ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा, “डिजिटल स्वास्थ्य पहचान-पत्र की सुविधा के जरिये हम नागरिकों को समय पर स्वास्थ्य सुविधा देना चाहते हैं। ई-संजीवनी जैसी योजनाओं के जरिये 10 करोड़ लोगों को टेली-परामर्श से लाभ पहुंच चुका है।” उन्होंने कहा कि 5-जी, स्टार्ट-अप के लिये इस क्षेत्र में नये अवसर पैदा कर रहा है। दवा आपूर्ति और जांच सेवाओं में ड्रोन क्रांतिकारी बदलाव ला रहे हैं। उन्होंने कहा, “उद्यमियों के लिये यह बहुत बड़ा अवसर है और इससे सार्वभौमिक स्वास्थ्य-सुविधा के लिये हमारे प्रयासों को भी बल मिलेगा।” इस क्रम में उन्होंने किसी भी प्रौद्योगिकी का आयात न करने पर उद्यमियों की सराहना की। इस सम्बंध में प्रधानमंत्री ने आवश्यक संस्थागत प्रतिक्रिया की जरूरत गिनाई। उन्होंने चिकित्सा उपकरण सेक्टर में नई योजनाओं के बारे में बताया। उन्होंने बल्क ड्रग पार्कों, चिकित्सा उपकरण पार्कों और पीएलआई योजनाओं पर 30 हजार करोड़ रुपये की धनराशि का उल्लेख किया और कहा कि पिछले कुछ वर्षों में चिकित्सा उपकरणों में 12-14 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। उन्होंने बताया कि यह आने वाले वर्षों में यह बाजार चार लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जायेगा। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत ने भावी चिकित्सा प्रौद्योगिकी तथा उच्चकोटि के निर्माण व अनुसंधान के लिये कुशल श्रमशक्ति पर काम करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि आईआईटी जैसे संस्थानों में बायोमेडिकल इंजीनियरिंग जैसे पाठ्यक्रम चलाये जायेंगे। उन्होंने प्रतिभागियों से कहा कि उद्योग-अकादमिक जगत और सरकारी सहयोग का रास्ता तलाश करें।
भारत के फार्मा सेक्टर पर दुनिया के बढ़ते भरोसे को रेखांकित करते हुये प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि हमें इस अवसर का फायदा उठाना चाहिये और भारत की इस छवि को कायम रखने के लिये काम करना चाहिये। उन्होंने बताया कि एक नया कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है, ताकि उत्कृष्टता केंद्रों के जरिये फार्मा सेक्टर में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा दिया जाये। इससे अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी और रोजगार के नये अवसर भी पैदा होंगे। प्रधानमंत्री ने कहा, “आज फार्मा सेक्टर का बाजार आकार चार लाख करोड़ रुपये का है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि निजी सेक्टर और अकादमिक जगत के बीच उचित तालमेल की जरूरत है, क्योंकि उसके पास इस बाजार को 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक तक बढ़ाने की क्षमता है। प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि फार्मा सेक्टर को निवेस के अहम क्षेत्रों की पहचान करें। इस सेक्टर में अनुसंधान को बढ़ाने के लिये सरकार द्वारा उठाये जाने वाले अनेक कदमों को रेखांकित करते हुये प्रधानमंत्री ने बताया कि आईसीएमआर द्वारा अनेक प्रयोगशालाओं को अनुसंधान उद्योग के लिये खोल दिया गया है।
श्री मोदी ने निवारक स्वास्थ्य-सुविधा पर सरकारी प्रयासों के प्रभाव की चर्चा की। उन्होंने स्वच्छता के लिये स्वच्छ भारत अभियान, धुएं से होने वाले रोगों की रोकथाम के लिये उज्ज्वला योजना, पानी से पैदा होने वाले रोगों की रोकथाम के लिये जल जीवन मिशन तथा खून की कमी और कुपोषण से निपटने के लिये राष्ट्रीय पोषण मिशन का हवाला दिया। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष में मोटे अनाजों – श्री अन्न की भूमिका का उल्लेख भी किया। उन्होंने कहा कि इसी तरह पीएम मातृ वंदना योजना, मिशन इंद्रधनुष, योग, फिट इंडिया मूवमेन्ट और आयुर्वेद लोगों को इन रोगों से बचा रहे हैं। भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन के तत्त्वावधान में पारंपरिक औषधि के लिये वैश्विक केंद्र स्थापित करने के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने आयुर्वेद में प्रमाणाधारित अनुसंधान के लिये अपने आग्रह को दोहराया।
श्री मोदी ने आधुनिक चिकित्सा अवसंरचना से चिकित्सा मानव संसाधनों के विषय में सरकार द्वारा किये जाने वाले प्रयासों को रेखांकित किया और कहा कि अपने नागरिकों के लिये नई क्षमताएं केवल स्वास्थ्य सुविधाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उनका लक्ष्य भारत को दुनिया का सबसे आकर्षक चिकित्सा पर्यटक गंतव्य भी बनाना है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा पर्यटन भारत का विशाल सेक्टर है और वह देश में रोजगार सृजन के लिये एक विशाल माध्यम बनता जा रहा है।
अपने वक्तव्य का समापन करते हुये प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि विकसित स्वास्थ्य और आरोग्य इको-प्रणाली केवल भारत में सबके प्रयास से ही तैयार हो सकती है। उन्होंने सभी हितधारकों से अनुरोध किया कि वे इसके लिये अपने अमूल्य सुझाव दें। उन्होंने प्रतिभागियों से कहा, “हमें ठोस रोड-मैप के साथ तयशुदा लक्ष्यों के लिये समय के भीतर बजट प्रावधानों को क्रियान्वित करने में सक्षम होना होगा। अगले बजट के पहले सभी सपनों को साकार करते हुये सभी हितधारकों को साथ लेकर चलने के लिये आपके अनुभवों की जरूरत होगी।”