कैसे एक घरेलु ग्रामीण महिला सरोज बन गईं बिजनेस वुमन?

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  • सरोज की सफलता की पीछे स्वंय सहायता समूह
  • गांव में छुपी प्रतिभा को मिला बड़ा प्लेटफॉर्म

गुरुग्राम 15 अक्टूबर। हरियाणा के गुरुग्राम बहोड़ा कला के सरोज का अपने गांव शंकर की ढाणी से निकलकर अपने ही शहर जाना और वहां अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने का सफर जैसे एक देश से किसी दूसरे देश में जाने के समान रहा। 2014 में में एक भैंस के साथ अपने डेयरी प्रोडोक्ट्स की शुरुआत करने वाली सरोज का व्यवसाय केवल गांव तक सीमित था और उन्हे अपना डेयरी प्रोड्कट्स और शुद्ध दूध ख़राब सड़क और जानकारी के अभाव के चलते कौड़ियों के भाव बेचना पड़ता था लेकिन सरोज 2017 में हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के स्वंय सहायता समूह के साथ जुड़ी और उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

सरोज ने 2019 में स्वंय सहायता समूह की मदद से रुडसेट संस्थान से ट्रेनिंग लेकर हरियाणा डेयरी डेवलपमेंट कॉपरेटिव फेडरेशन के तहत आने वाले वीटा डेयरी के साथ दूध की सप्लाई करना शुरु किया। सरोज को आज वीटा डेयरी में सौ प्रतिशत फैट वाले दूध की कीमत 82 रूपये प्रति लीटर मिल रही है। 2019 से अपने गांव में एक मिठाई की दुकान से शुरुआत करने वाली सरोज ने पिछली दिवाली में 50 हजार की मिठाईयां बेची और 8 कारीगरों को आजीविका प्रदान कर रही सरोज की आशा है कि इस दिवाली में वह एक लाख से अधिक की मिठाईयां बेचने में कामयाब होंगी।

सरोज गुरुग्राम की खंड पटौदी में 13 स्वंय सहायता समूह की 150 महिलाओं की लीडर है। सरोज ने अपने समूह की कई महिलाओं को स्टार्ट-अप से छोटे-छोटे व्यवसाय की शुरुआत कर आजीविका भी प्रदान किया। इसी के साथ सरोज एमजी-नरेगा में समय समय पर सोशल ऑडिटि भी करती हैं।

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सरोज के पति किसान है और उनके दोनों बेटे बीटेक हैं। एक लड़का भारतीय रेलवे में लोको पायलट है जबकि दूसरा प्राइवेट कम्पनी में इंजीनियर है। सरोज का लक्ष्य आने वाले समय में अपनी डेयरी प्रोडक्ट का ब्रांड स्थापित कर अपने व्यवसाय को नईं ऊचाईयों तक पहुंचाना है और अपने ब्रांड की चेन का विस्तार कर बड़े-बडे शहरों तक करना है। अपने व्यवसाय के माध्यम से सरोज ने सैकड़ों महिलाओं को रोज़गार और ट्रेनिंग देने के लिए अभी से तत्पर हैं।


सरोज की सफलता के पीछे सबसे बड़ा हाथ ज़िला प्रबंधक ग्रामीण आजीविका मिशन की दीप्ति ढींढसा का रहा जिन्होंने उनकी छुपी प्रतिभा की पहचान कर आत्मसम्मान और आत्मविश्वास के साथ गांव से शहर की राह दिखाई और उन्हें एक ग्रामीण घरेलू महिला से एक सफल उद्दमी बनाने में सहायता की। दीप्ति ने ही सरोज को सरकारी योजनाओं की जानकारी दी और उन्हें रुडसेट से डेयरी ट्रेनिंग, पुशपालन विभाग से पुश लोन और वीटा डेयरी की फ्रेंचाईज़ी दिलवाने में अहम भूमिका अदा की।

 


सरोज अपने गांव की चार दिवारी निकल कर बड़े-बड़े सरस आजीविका मेले के बदौलत शुद्ध पनीर, खोया, क्रीम सहित विभिन्न प्रकार की मिठाईयां बेच रही है। गुरुग्रामवासी दीवाली के इस शुभ देशअवसर पर सरोज जैसे तमाम दूसरे ग्रामीण महिलाओं के हाथों के बने शुद्ध डेयरी प्रोडकट्स और मिठाईयां ख़रीद सकते हैं। सेक्टर 29 के लेज़र वैली ग्राउंड में आय़ोजित ये मेला 23 अक्टूबर तक है।

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