– पिछले 18 वर्षों में सूचना नहीं देने वाले 3737 अधिकारियों पर कुल 5.15 करोड़ रुपए जुर्माना लगा
– इस वर्ष सूचना नहीं देने वाले अधिकारियों के प्रति सूचना आयोग का रुख नरम रहा : अजय बहल
-रसूखदार कुर्सियों पर बैठे लोगों की मानसिकता नहीं बदली : रविंदर चावला
फरीदाबाद : प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी 12 अकटूबर सूचना का अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इस आर टी आई दिवस से पूर्व आर टी आई एसोसिएशन ने राज्य में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 एवं हरियाणा राज्य में इसे लागू करने तथा इसकी अनुपालन करवाने के लिए स्थापित किए गए राज्य सूचना आयोग की कार्यप्रणाली से संबंधित अगस्त 2022 मास तक के कुछ आँकड़े प्रस्तुत किए ।
इस रिपोर्ट का संकलन आर टी आई एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय बहल ने राज्य सूचना आयोग, हरियाणा से सूचना का अधिकार अधिनियम द्वारा मांगी गई जानकारी तथा आयोग की वेबसाईट पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर किया है । इन आंकड़ों के अनुसार हरियाणा राज्य में प्रत्येक वर्ष विभिन्न विभागों में उनके द्वारा नियुक्त किए गए राज्य सूचना अधिकारियों के माध्यम से लगभग 75,000 आवेदन, सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत प्राप्त होते हैं ।
वर्ष 2005 में एक्ट के लागू होने के बाद से अब तक हरियाणा राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील एवं शिकायत के कुल 99 हजार आवेदन प्राप्त हुए जिसमें समय से सूचना न देने वाले 3737 अधिकारियों पर कुल 5.15 करोड़ रुपए जुर्माना (Penalty) लगाने की कार्रवाई हुई तथा 1889 अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय अनुशासनात्मक कार्यवाही सिफारिश की गई । इस अवधि में राज्य सूचना आयोग के द्वारा 3425 आवेदकों को क्षतिपूर्ति के रूप में 88 लाख रुपये का भुगतान विभिन्न विभागों द्वारा करवाया गया।
अजय बहल ने बताया, हालांकि द्वितीय अपील तथा शिकायत मामलों की सुनवाई तथा निपटारे को लेकर देश के अन्य राज्यों तथा केन्द्रीय सूचना आयोग की तुलना में हरियाणा राज्य सूचना आयोग का रिकार्ड कहीं बेहतर है परंतु पिछले पाँच वर्षों के अनुपात में वर्ष 2022 में हरियाणा राज्य सूचना आयोग द्वारा निपटान किए गए अपील एवं शिकायत मामलों की संख्या में भारी गिरावट आई है । पिछले पाँच वर्ष के औसतन 76 प्रतिशत के निपटान मामलों की संख्या वर्ष 2022 में कम होकर केवल 50 प्रतिशत ही रह गई है।
राज्य सूचना आयोग द्वारा विभिन्न विभागों के जन सूचना अधिकारियों के प्रति इस वर्ष बहुत ही नरमी का रुख अपनाया गया और इस कारण आरटीआई आवेदनों पर 30 दिन के भीतर सूचना न मिलने पर, पिछले पाँच वर्षों में औसतन लगाए गए जुर्माने की संख्या एवं राशि में भी बहुत कमी आई है। पिछले पाँच वर्षों में औसतन प्रत्येक वर्ष 339 अधिकारियों पर 60 लाख रुपये जुर्माने की कार्यवाही हुई जो संख्या वर्ष 2022 में 89 अधिकारियों पर 20 लाख रुपये आ गई है । इस अवधि में 220 अधिकारियों के विरुद्ध की गई विभागीय कार्यवाही की अनुशंसा घट कर वर्ष 2022 में 57 पर आ गई है तथा सूचना आवेदकों को दिए जाने वाली क्षतिपूर्ति की राशि में भी 83 प्रतिशत की गिरावट आ गई है जो की 61 लाख रुपये घटकर 10 लाख रुपये मात्र रह गई है ।
अगस्त 2022 के अंत तक राज्य सूचना आयोग हरियाणा में कुल 3801 शिकायत एवं द्वितीय अपील मामले लंबित पड़े थे। आर टी आई एसोसिएशन के अनुसार अधिक संख्या में लंबित मामलों का कारण राज्य में नियुक्त सूचना आयुक्तों की कमी होना है। हरियाणा में अभी एक मुख्य सूचना आयुक्त एवं दस सूचना आयुक्तों के स्थान पर केवल एक मुख्य सूचना आयुक्त तथा सात अन्य सूचना आयुक्त हैं जिनमें से दो आयुक्तों के इस साल सेवनिवृत होने पर यह संख्या केवल मात्र पाँच रह जाएगी।
आर टी आई एक्टिविस्ट एसोसिएशन के महासचिव रविंदर चावला ने बताया कि सूचना का अधिकार अधिनियम बनाने के पीछे भले ही सरकारी काम में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार उन्मूलन की सोच रही, मगर रसूखदार कुर्सियों पर बैठे लोगों की मानसिकता नहीं बदली है। पिछले कुछ समय में राज्य सूचना आयोग की कार्यप्रणाली भी काफी हद तक कमजोर पड़ गई है तथा अपील की संख्या को देखने से पता चलता है कि अफसर सूचना देने में टालमटोल करते हैं तथा आम नागरिक का विश्वास सूचना का अधिकार अधिनियम से उठ सा गया है।
आर टी आई एक्टिविस्ट एसोसिएशन के प्रधान अजय बहल ने कहा की एसोसिएशन द्वारा आने वाले समय में भी सरकारी कामकाज में जवाबदारी एवं पारदर्शिता लाने के लिए हरसंभव काम किया जायेगा. अजय बहल ने इसके लिए अपने सभी साथी सहयोगियों, विशेषकर पत्रकार बंधुओं एवं विभिन्न मीडिया हाउस का भी आभार व्यक्त किया जिन्होंने इस प्रयास को सफल बनाने में एसोसिएशन का सहयोग एवं मार्गदर्शन किया।