मेवात के लोगों के लिये मिसाल है मुस्लिम गोशाला !

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 इंजिनियर और डीयू के छात्र चला रहे हैँ गोशाला

 मेवात में गोहत्या के कलंक को मिटाने की नीयत से दो साल पहले शुरू की गई थी गोशाला

यूनुस अलवी

मेवात के लोगों के लिये मिसाल है मुस्लिम गोशाला ! 2मेवात:   गोहत्या के लिऐ बदनाम मेवात इलाके से इसका कलंक हटाने के मकसद से करीब दो साल पहले मेवात के शिक्षित युवओं द्वारा गांव मोहम्मद नगर में शुरू कि गई मुस्लिम गोशाला लोगो के लिये एक मिसाल बन रही है। वहीं यह गौशाला को सरकार और प्रशासन कि तरफ से कोई सहयोग नहीं मिलने से यह अपनी उपेक्षा का दंश भी झेल रही है। करीब 6 गायों के साथ शुरू हुई इस गौशाला में फिलहाल करीब 40 गाय हैं। दो साल पहले इस गोशाला का उदघाटन आरएसएस के नेता इंद्रेश कुमार ने पुन्हाना से विधायक रहीश खान और ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाईजेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष उमेर इलायासी कि मौजूदगी में किया था। मेवात जिला कि अन्य गोशालाओं को जहां हर साल लाखों रूपये सरकार, प्रशासन कि ओर से मिल चुके हैं वहीं मोहम्मद नगर कि जीव रक्षा गोशाला को पिछले दो साल के अंदर तीन किस्तों में केवल 18 हजार रूपये ही मिल सके हैं। गोशाला संचालक का एक संचालक आबिद हुसैन इलेक्ट्रोनिक्स में इंजिनियर है जबकी  अमान खां दिल्ली यूनिवर्सिटी से एमए कर रहा है।
 
   इंजिरियर आबिद हुसैन ने बताया कि जब वह झज्जर से डिपलोमा कर रहा था तो वहां के लोग मेवात में गोहत्या के बारे में उनसे काफी कुछ कहते थे और उनको सुनना पडता था। ऐसा ही अमान खां का कहना है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढाई के दौरान मेवात में गोहत्या को लेकर उनके ऊपर छात्र काफी तंग कसते हैं। मेवात पर गोहत्या के लग रहे धब्बे का मिटाने के मकसद से आबिद और उसने मेवात में एक मुस्लिम गोशाला बनाने की ठान ली, जिससे इस कलंक को मिटाया जा सके। उनका कहना है कि उन्होने सात सदस्य जीव रक्षा मानव विकास समिति का गठन किया।
 
 
उसके बाद उन्होने अपने ही एक एकड जमीन को संस्था के नाम 30 साल के लिये पटटा कराया और अपनी जैब से 6 गाय खरीद कर जीव रक्षा गोशाला नाम से 8 अप्रैल 2015 को स्थापना की। इसका उदघाटन आरएसएस के नेता इंद्रेश कुमार और ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाईजेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोलाना उमेर इलयासी के हाथों कराया। उनका कहना है कि मुस्लिम गोशाला खोले जाने से पहले उनको उम्मीद थी कि यहां का हिंदु और मुस्लिम समाज उनका होंसला अफजाई करेगा लेकिन एक समाज उलटा उनके खिलाफ हो गया। जिसकी वजह से सरकार की ओर से मिलने वाली राहत राशी उनको नहीं दी जाती है। उनका कहना है कि मेवात में ओर भी गोशाला चल रही है उनको तो सरकार और प्रशासन काफी मदद करता है लेकिन एक मुस्लिम होने के नाते उनको उपेक्षित रखा जाता है।
 

 

हर सप्ताह होगी है जांच

 
  जीव रक्षा गोशाला के  अध्यक्ष आबिद हुसैन ने बताया कि उनकी गोशाला कि पशुपालन विभाग कि ओर से हर सप्ताह जांच कि जाती है। उनकी सभी गायों के कानों पर टेग लगा रखे हैं। जांच के लिये पशुपालन विभाग के डाक्टर और डिप्टी डारेक्टर अक्सर गोशाला का दौरा करते रहते हैं।

 

दो साल में कितनी मिली इमदाद

 
  जीव रक्षा गोशाला के उपाध्यक्ष आमान खान ने बताया कि पशुपालन विभाग कि ओर से उनकी गोशाला का पिछले दो साल में तीन किस्तों में केवल 18 हजार रूपये मिले हैं। उन्होने बताया कि एक गाय के खाने और रखरखाव पर प्रतिदिन करीब 70 रूपये का खर्चा आ जाता है। फिलहाल गोशाला में कुल 39 गाय हैं। यानि हर माह करीब 80-90 हजार रूपये खर्च हो जाता है।

 

गोशाला का कैसे चलता है खर्च  ?

 
  आबिद और आमन ने बताया कि कुल तो भूसा घर के खेतों से हो जाता है और खल, दाना आदि के लिये अपने दोस्तों से मिलकर ही गोशाला का खर्चा चला रहे हैं। यहां का एक समाज के लोग आज भी उनको गलत नजर से देखते हैं। उनका यही नजरिया है कि हम गोशला कि आड में गो हत्या कि करते हैं। कुछ लोग नहीं चहाते कि मुस्लिम लोग कोई गोशाला चलायें। उनका कहना है कि उनकी गोशाला का दौरा गो रक्षा समिति के प्रदेश अध्यक्ष स्वामी स्वारूपानंद भी दौर कर चुके हैं और वह भी उनकी गोशाला कि प्रसंशा कर चुके हैं।

 

115 ऊटों के नहीं मिले पैसे 

 
  गोशाला संचालकों का कहना है कि करीब 6 माह पहले पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर उनके यहां 115 ऊंट अलग-अलग दिनों में भेजे थे। सरकार कि ओर से ऊटों के खाने का खर्चा दिये जाने कि बात कही गई थी। आबिद ने बताया कि उसने 16 जुलाई 2016 को मेवात के डीसी को ऊटों का खर्चा दिये जाने के बारे में एक लेटर लिखा था लेकिन आज तक नहीं दिया गया। उनका कहना है कि ऊटों के रखने पर उसका करीब 99600 रूपये खर्चा हो गया था।

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