बैठक की अध्यक्षता गुरु ग्राम इकाई की संयोजिका अंजू मिश्रा ने की
सेक्टर 56 स्थित सनातन धर्म मंदिर में आयोजित हुई बैठक का संचालन भारती झा ने किया
गुरुग्राम वह दिल्ली एनसीआर की दर्जनों मैथिलानी महिलाएं शामिल हुई
दिल्ली से छाया सखी ने मैथिली भाषा में संवाद पर दिया बल
गुरुग्राम । मिथिला संस्कृति और मैथिली भाषा के संरक्षण एवं मिथिला समाज के उत्थान के प्रति समर्पित महिलाओं की अंतरराष्ट्रीय संस्था ” सखी बहिनपा” की गुरुग्राम इकाई की बैठक रविवार 26 जून को आयोजित की गई । सेक्टर 56 गुरुग्राम स्थित सनातन धर्म मंदिर में आयोजित इस बैठक में गुरुग्राम इकाई की संयोजिका अंजू मिश्रा ने सभी सदस्यों से मिथिला संस्कृति और मैथिली भाषा के प्रचार प्रसार को लेकर विचार विमर्श किया। दिल्ली से बैठक में शामिल होने आई छाया सखी ने संस्था की ओर से चलाई जा रही विभिन्न रचनात्मक गतिविधियों की जानकारी साझा की और मैथिली भाषा और संस्कृति के बीच अन्योन्याश्रय संबंध का उललेख किया। इस बैठक का संचालन केमिस्ट्री की शिक्षिका भारती झा ने किया। बैठक में संस्था की दो सदस्यों अनुपम सखी और मिक्की सखी को विदाई दी गई जबकि वरिष्ठ सखी प्रेम देवी को सम्मानित किया।
उल्लेखनीय है कि “सखी बहिनपा” नामक मिथिला क्षेत्र से संबंध रखने वाली महिलाओं की संस्था में भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों की 35 हजार से अधिक महिलाएं सक्रिय रुप से जुड़ी हुई हैं।यह संस्था प्राचीनतम मिथिला संस्कृति की पौराणिक परंपराओं, मिथिला भाषा व खानपान के संरक्षण के लिए काम करती है । इस संस्था से जुड़ी महिलाएं मिथिला भाषा भासी होती हैं। यहां तक कि बैठकों में भी मिथिला भाषा में ही बातचीत करने को प्राथमिकता दी जाती है। संस्था की ओर से समय-समय पर संस्कृति को बढ़ावा देने वाली विभिन्न रचनात्मक गतिविधियों का भी ऑफलाइन और ऑनलाइन आयोजन किया जाता है। संगठन से जुड़े विशेषज्ञों द्वारा रोजगार मूलक प्रशिक्षण भी आयोजित किए जाते हैं जबकि समाज सेवा व शिक्षा पर अधिकतम बल दिया जाता है।
सखी बहिनपा की गुरुग्राम इकाई की रविवार को हुई बैठक में गुरुग्राम सहित दिल्ली एनसीआर के शहरों से दर्जनों महिला सदस्यों ने भाग लिया। इस बैठक की अध्यक्षता गुरुग्राम इकाई की संयोजिका अंजू मिश्रा ने की।
उन्होंने सभी सखियों को संबोधित करते हुए मिथिला संस्कृति एवं मैथिली भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला । उन्होंने कहा कि वर्तमान युग में हम सभी रोजगार की दृष्टि से मिथिला क्षेत्र से बाहर अलग-अलग शहरों और दूसरे देशों में भी प्रवास कर रहे हैं लेकिन हमें अपनी संस्कृति को बचाए रखने की चिंता रहती है। उन्होंने कहा कि संस्कृति के संरक्षण में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की भूमिका अहम है। उनका कहना था कि वर्तमान परिस्थिति में पुरुषों के पास प्रोफेशनल व्यस्तता के कारण ऐसी गतिविधियों के लिए समय निकालना मुश्किल होता है। जबकि महिलाएं कामकाजी होते हुए भी परिवार और समाज दोनों के बीच सामंजस्य स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती हैं।
बैठक में उन्होंने बताया कि सखी बहिनपा की गुरुग्राम इकाई का कार्यालय भी शीघ्र ही स्थापित किया जाएगा । इससे सभी सखियों को सांस्कृतिक एवं सामाजिक गतिविधियों में शामिल होने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में मिथिला संस्कृति के प्रचार प्रसार और संवर्धन को लेकर संस्था की ओर से कुछ विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किए जाने की योजना है। मैंने कहा कि कार्यालय स्थापित होने के बाद विभिन्न प्रकार की कार्यशाला का भी आयोजन किया जाएगा इसमें इच्छुक सखी अपना योगदान दे सकती हैं।
बैठक का संचालन करने वाली भारती झा सखी ने सभी सखियों का स्वागत किया और संस्था की गतिविधियों की विस्तार से जानकारी दी ।
परिवर्तन के बिना न होता बिगड़ा कोई काम
नारी अहाँ शक्ति छी शत शत आहाँ के प्रणाम ।।
इस प्रेरणादायक उक्ति पर चरितार्थ करने को प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने बताया कि दिल्ली में छाया सखी इस संस्था को विस्तार देने के लिए सक्रिय भूमिका अदा कर रही है। दिल्ली के छोटे-छोटे मोहल्ले में भी मिथिला क्षेत्र से संबंध रखने वाले परिवारों एवं मिथिला भाषा भाषी महिलाओं को सखी बहिनपा संस्था से जुड़ने के लिए प्रेरित कर रही है। उनके प्रयास से मैथिली भाषा का भी प्रचार प्रसार हो रहा है । जबकि वर्तमान पीढ़ी और आने वाली पीढ़ियों में भी इस पौराणिक संस्कृति के प्रति जागरूकता फैलाने का अभियान चलाया जा रहा है। भारती झा का कहना था कि पिछले 2 वर्षों के दौरान कोरोना महामारी की भीषण स्थिति में भी सखी बहिनपा संस्था से जुड़ी महिला सदस्यों ने लोगों की भरपूर मदद की ।
बैठक में दिल्ली से आई छाया सखी ने सभी मैथिलानी महिलाओं को मिथिला संस्कृति की ऐतिहासिकता और सांस्कृतिक महत्व के बारे में विस्तार से समझाया।
उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि रोजगार के लिए अपने क्षेत्र से बाहर जाने के बाद हम सभी अपनी संस्कृति और भाषा से दूर होने लगे हैं। उन्होंने कहा कि हम दूसरों की संस्कृति के प्रति आकर्षित होने लगे हैं। इससे मिथिला और मैथिली का अस्तित्व खतरे में है । इसलिए हमें जागरूक होना होगा क्योंकि हमें पुरुषों की अपेक्षा अधिक सांस्कृतिक भूमिका अदा करनी होगी जो हम मिथिलानी महिलाएं सदियों से निभाती आई है । उन्होंने कहा कि यहां तक कि हमारी वेशभूषा भी बदलने लगी है।
उनका कहना था कि अलग-अलग प्रोफेशन और माहौल के कारण कुछ मजबूरियां होती हैं। बावजूद इसके अपने परिवार और समाज के बच्चों को इसके महत्व को बताने की जिम्मेदारी निभाए और अधिक से अधिक मैथिलानी महिलाओं को जोड़ने की मुहिम चलाएं।
छाया सखी ने जोर देते हुए कहा कि अगर हम अपनी भाषा और संस्कृति को छोड़ते जाएंगे तो हमारी पहचान समाप्त हो जाएगी। इसलिए हम सब ने इस संगठन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गठित किया और हम लोग दिल्ली एनसीआर में इसके लिए सक्रिय संचालन कर रहे हैं।
उन्होंने मैथिली भाषा के संरक्षण पर अधिकतम जोर दिया । उनका कहना था कि अगर हम अपनी भाषा अपने बच्चों को सिखाएंगे और उन्हें इस मैथिली भाषा में ही संवाद करने को प्रेरित करेंगे तो ही हमारी संस्कृति बची रहेगी।
बैठक में बहादुरगढ़ से आई अर्चना मिश्रा सखी ने भी मैथिली संस्कृति को आगे बढ़ाने को लेकर अपना विचार प्रस्तुत किया। इस अवसर पर गुरुग्राम इकाई की संयोजिका अंजू मिश्रा ने वरिष्ठ सखी प्रेम देवी को संस्था में सक्रिय भूमिका अदा करने के लिए सम्मानित किया।