नई दिल्ली : प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने आज महाराष्ट्र के पंढरपुर में श्रीसंत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी मार्ग और संत तुकाराम महाराज पालखी मार्ग का शिलान्यास डिजिटल माध्यम से किया. कार्यक्रम में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी , मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे एवं केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी सहित कई प्रमुख लोग मौजूद थे.
इस अवसर पर प्रधान मंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि श्रीसंत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी मार्ग का निर्माण पांच चरणों में होगा और संत तुकाराम महाराज पालखी मार्ग का निर्माण तीन चरणों में पूरा किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि पंढरपुर को जोड़ने वाले करीब 225 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग का भी आज शिलान्यास हुआ है। जिससे श्रद्धालुओं के लिए सुगम और सुरक्षित मार्ग उपलब्ध होगा साथ ही इससे दक्षिण भारत में भी कनेक्टिविटी बढ़ेगी.
पीएम ने कहा कि अतीत में हमारे भारत पर कितने ही हमले हुये! सैकड़ों साल की गुलामी में ये देश जकड़ा गया। प्राकृतिक आपदाएँ आईं, चुनौतियाँ आईं, कठिनाइयाँ आईं, लेकिन भगवान विट्ठल देव में हमारी आस्था, हमारी दिंडी वैसे ही अनवरत चलती रही.
उनका कहना था कि भारत की संस्कृति को, भारत के आदर्शों को सदियों से यहाँ का धरती पुत्र ही जीवित बनाए हुये है। एक सच्चा अन्नदाता समाज को जोड़ता है, समाज को जीता है, समाज के लिए जीता है। आपसे ही समाज की प्रगति है, और आपकी ही प्रगति में समाज की प्रगति है.
प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज यहां श्रीसंत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी मार्ग और संत तुकाराम महाराज पालखी मार्ग का शिलान्यास हुआ है।
श्रीसंत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी मार्ग का निर्माण पांच चरणों में होगा और संत तुकाराम महाराज पालखी मार्ग का निर्माण तीन चरणों में पूरा किया जाएगा. आज भी ये यात्रा दुनिया की सबसे प्राचीन और सबसे बड़ी जन-यात्राओं के रूप में, people मूवमेंट के रूप में देखी जाती है।
उनका कहना था कि ‘आषाढ एकादशी’ पर पंढरपुर यात्रा का विहंगम दृश्य कौन भूल सकता है। हजारों-लाखों श्रद्धालु, बस खिंचे चले आते हैं. उन्होंने कहा कि अतीत में हमारे भारत पर कितने ही हमले हुये! सैकड़ों साल की गुलामी में ये देश जकड़ा गया।
पीएम ने कहा कि प्राकृतिक आपदाएँ आईं, चुनौतियाँ आईं, कठिनाइयाँ आईं, लेकिन भगवान विट्ठल देव में हमारी आस्था, हमारी दिंडी वैसे ही अनवरत चलती रही. यह हमें सिखाती है कि मार्ग अलग अलग हो सकते हैं, पद्धतियाँ और विचार अलग अलग हो सकते हैं, लेकिन हमारा लक्ष्य एक होता है।अंत में सभी पंथ ‘भागवत पंथ’ ही हैं. ये यात्राएं अलग अलग पालखी मार्गों से चलती हैं, लेकिन सबका गंतव्य एक ही होता है। ये भारत की उस शाश्वत शिक्षा का प्रतीक है जो हमारी आस्था को बांधती नहीं, बल्कि मुक्त करती है .
पीएम ने कहा कि भगवान विट्ठल का दरबार हर किसी के लिए समान रूप से खुला है। और जब मैं सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास कहता हूं, तो उसके पीछे भी तो यही भावना है।
यही भावना हमें देश के विकास के लिए प्रेरित करती है, सबको साथ लेकर, सबके विकास के लिए प्रेरित करती है. पीएम ने कहा कि आज जब मैं अपने वारकरी भाई-बहनों से बात कर रहा हूं, तो आपसे आशीर्वाद स्वरूप तीन चीजें मांगना चाहता हूं। आपका हमेशा मुझ पर इतना स्नेह रहा है, कि मैं खुद को रोक नहीं पा रहा.
दूसरा आशीर्वाद मुझे ये चाहिए कि इस पैदल मार्ग पर हर कुछ दूरी पर पीने के पानी की व्यवस्था भी की जाए, इन मार्गों पर अनेकों प्याऊ बनाए जाएं. तीसरा आशीर्वाद जो मुझे चाहिए, वो पंढरपुर के लिए है।
उन्होंने कहा कि मैं भविष्य में पंढरपुर को भारत के सबसे स्वच्छ तीर्थ स्थलों में देखना चाहता हूं। ये काम भी जनभागीदारी से ही होगा, जब स्थानीय लोग स्वच्छता के आंदोलन का नेतृत्व अपनी कमान में लेंगे, तभी हम इस सपने को साकार कर पाएंगे.
उन्होंने बताया कि वारकरी आंदोलन की और एक विशेषता रही और वह है पुरुषों के कदम से कदम मिलाकर वारी में चलने वाली हमारी बहनें, देश की स्त्री शक्ति! पंढरी की वारी, अवसरों की समानता का प्रतीक हैं। वारकरी आंदोलन का ध्येय वाक्य हैं, ‘भेदाभेद अमंगळ’.