नई दिल्ली : भारतीय कृषि को वैश्विक मानदंडों के अनुरूप बनाने के साथ ही किसानों के लिए लाभकारी बनाने के उद्देश्य से भारत सरकार इस क्षेत्र को आधुनिक बना रही है। आत्मनिर्भर भारत के लिए कृषि को आत्मनिर्भर बनाना जरूरी है। डिजीटल एग्रीकल्चर की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संकल्पना साकार करते हुए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 5.5 करोड़ किसानों से संबंधित डाटा तैयार कर लिया है. राज्यों के सहयोग से दिसंबर-2021 तक आठ करोड़ से अधिक किसानों का डाटा बेस बन जाएगा जो कृषि व किसानों की प्रगति के लिए राज्यों, केंद्रीय विभागों व विभिन्न संस्थाओं को उपलब्ध कराया जाएगा। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यह बात पांच अहम विषयों पर आयोजित मुख्यमंत्रियों व कृषि मंत्रियों की बैठक में कही। बैठक में वाणिज्य एवं उद्योग, खाद्य व उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल भी थे।
केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र सबके लिए महत्व का है व सरकार की शीर्षतम प्राथमिकताओं में रहा है, जिसके लिए सरकार पूरी प्रतिबद्धता और शिद्दत के साथ काम कर रही है। कृषि क्षेत्र मजबूत होगा तो देश मजबूत होगा, रोजगार के साधन बढ़ेंगे, रोजगार में वृद्धि होगी और अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी आज कृषि को अधिकाधिक ज्ञान-विज्ञान व तकनीक से जोड़ने की आवश्यकता है और इस दिशा में सरकार डिजीटल एग्रीकल्चर का कन्सेप्ट लाई है।
इसके माध्यम से पारदर्शिता आ रही है, जिसका उदाहरण प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम- किसान) स्कीम है, जिसके अंतर्गत अभी तक 11.37 करोड़ किसानों को 1.58 लाख करोड़ रूपए सीधे उनके बैंक खातों में (DBT) जमा कराए गए हैं। इसमें अमानत में खयानत नहीं होती, इसीलिए सरकार ने इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाना निश्चय किया है। राज्यों के सहयोग से अन्यान्य योजनाएं भी इसमें शामिल की जाएगी, इस डाटा बेस से सरकार को मूल्यांकन व आंकलन में सुविधा होगी, जिसका देश को बहुत लाभ मिलेगा। पीएम-किसान का डाटा किसान क्रेडिट कार्ड के डाटा से समेकित करने के फलस्वरूप कोविड-काल में 2.37 करोड़ से अधिक किसानों के बीच बैंकों द्वारा केसीसी के माध्यम से दो लाख 44 हजार करोड़ रू. का ऋण प्रवाह किया गया है। श्री तोमर ने कर्नाटक के क्राप सर्वे प्रोजेक्ट का उदाहरण देकर अन्य राज्यों से इसे अपनाने का आग्रह भी किया।
श्री तोमर ने, कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाकर किसानों के लिए गांव-गांव, खेतों तक इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए गत वर्ष अगस्त में प्रधानमंत्री जी द्वारा प्रारंभ एक लाख करोड़ रु. के कृषि अवसंरचना कोष (AIF) के संबंध में बताया कि अभी तक 10 हजार से अधिक परियोजनाओं के आवेदन मिले हैं व करीब पांच हजार करोड़ रु. की राशि की स्वीकृति भी हो गई है। उन्होंने इस योजना की पूर्ण सफलता के लिए मुख्यमंत्रियों से राज्यों में परियोजना प्रबंधन इकाई बनाने का अनुरोध किया, जो विभिन्न क्षेत्रों में आवश्यकता का आकलन कर, संबंधित क्षेत्रों में विभिन्न संस्थाओं के सेमिनार कर शीघ्र परियोजना स्थापना के लिए निवेशक चिन्हित करने की कार्यवाही करेगी।
उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए कृषि को आत्मनिर्भर बनाना जरूरी है और इसके लिए दलहन व तिलहन का रकबा व उत्पादन बढ़ाने पर सरकार का पूरा ध्यान है। प्रधानमंत्री जी की अध्यक्षता में आयल पाम के लिए 11 हजार करोड़ रु. के राष्ट्रीय मिशन की घोषणा इसी उद्देश्य से की गई है। पाम आयल से प्रति हेक्टेयर अन्य तेलों की तुलना में चार गुना से अधिक उत्पादन होता है। देश में 29 लाख हेक्टेयर आयल पाम क्षेत्र में आयल पाम की संभावना है। यह प्रयास न सिर्फ खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता बढ़ाएगा, बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि करेगा। दलहन-तिलहन में नए क्षेत्रों के कवरेज व उत्पादकता बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं।
कृषि उपज का निर्यात बढ़ाने पर बल देते हुए श्री तोमर ने कहा कि एफपीओ बनाकर व कृषि अवसंरचना कोष के माध्यम से इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करके, राज्यों के कृषि उत्पाद का ब्रांड प्रमोशन करके, एक राज्य-एक कृषि उत्पाद पर ध्यान केंद्रित करके, राज्य सरकार के क्लस्टरों में समन्वित प्रयास से कृषि निर्यात में और अधिक वृद्धि की काफी संभावनाएं हैं। अभी हमारा देश वैश्विक कृषि निर्यात में टाप टेन में आ चुका है। ये पांचों विषय किसानों की प्रगति से सीधे जुड़े हुए हैं, जिनके लिए राज्यों से जरूरी सहयोग का आग्रह श्री तोमर ने किया और कहा कि यह क्रांति देश के किसानों तथा कृषि क्षेत्र को बहुत आगे बढ़ाएगी।
बैठक में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि आज हमारे देश में बेहतर माहौल है। केंद्र व राज्यों के संयुक्त प्रयासों से प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में किसानों का जीवन स्तर ऊंचा उठाने के लिए बहुत काम हो रहा है। श्री मोदी जी ने सबका साथ- सबका विकास- सबका विश्वास के साथ अब सबका प्रयास का मंत्र दिया है और यह कांफ्रेंस इसी की प्रतीक है। खाद्यान्न के मामले में भारत आज न केवल आत्मनिर्भर है बल्कि अन्य देशों को भी आपूर्ति कर रहा है, भारत के प्रति दूसरे देशों का विश्वास काफी बढ़ा है। श्री गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री जी द्वारा हाल ही में घोषित गति शक्ति योजना देश में सकारात्मक बदलाव लाएगी, वहीं इस कांफ्रेंस के पांचों विषय आत्मनिर्भर किसान व आत्मनिर्भर कृषि की नींव को और मजबूत करेंगे। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था सुधऱ रही है, जिससे विश्व में भारत की स्थिति मजबूत हो रही है, वहीं कोरोना से बचाव के लिए भारत में वैक्सिन के अभी तक 68 करोड़ डोज लगे है, जिसने दुनिया को चौंकाया है।
करीब एक दर्जन राज्यों के मुख्यमंत्री, कृषि मंत्री, मुख्य सचिव तथा कृषि विभागों के वरिष्ठ अधिकारी इस बैठक शामिल हुए, जिन्होंने भारत सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों में सहयोग की बात कही और अपने विभिन्न सुझाव दिए, वहीं राज्यों में पेश आ रही कठिनाइयों से अवगत कराया। उन्होंने कृषि क्षेत्र की प्रगति के लिए चर्चा हेतु रखे गए पांच विषयों को महत्वपूर्ण बताते हुए इन पर अमल करने का भरोसा दिया। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री सुश्री शोभा करंदलाजे व श्री कैलाश चौधरी, खाद्य सचिव श्री सुधांशु पांडे भी उपस्थित थे। संचालन केंद्रीय कृषि सचिव श्री संजय अग्रवाल ने किया। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव श्री विवेक अग्रवाल व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने विविध प्रेजेन्टेशन दिए।