सुभाष चौधरी/संपादक
गुरुग्राम : नगर निगम गुरुग्राम मुख्यालय में शहरी निकाय मंत्री अनिल विज की ओर से मारे गए छापे की खबर ने जिला के पुलिस महकमे के अधिकारियों में भी हड़कम्प मचा दिया. इस सूचना के सोशल मिडिया में आते ही सभी एसएचओ और अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अपने अपने कार्यालय की ओर दौड़ पड़े. पुलिस अधिकारियों के माथे पर इस भय से पसीने आ रहे थे कि कहीं निगम से निकल कर मंत्री का अगला पड़ाव कोई पुलिस थाना या ए सी पी कार्यालय न बन जाए क्योंकि प्रदेश के गृह विभाग की जिम्मेदारी भी अनिल विज के पास ही है.
वैसे तो पुलिस अधिकारियों को गृह मंत्री श्री विज के तीखे तेवर का भय हर क्षण सताता रहता है लेकिन गुरुवार सुबह गुरुग्राम के पुलिस अधिकारी कुछ ज्यादा ही चिंतित नजर आये. कारण था गृह मंत्री अनिल विज का एमसीजी कार्यालय में औचक निरिक्षण करना. पुलिस महकमा में कार्यरत अधिकारी इस बात से बेहद परेशान थे कि मंत्री जी अचानक कहीं भी मुड़ जाते हैं और कोई भी उनकी कार्रवाई की चपेट में आ सकते हैं.
उल्लेखनीय है कि भाजपा व जजपा सरकार के गठन के तुरंत बाद ही काबिना मंत्री अनिल विज ने
रोहतक के सिविल लाइन थाने में औचक निरीक्षण किया था। उन्होंने थाने के अंदर करीब 2 घंटे जांच की थी। इस दौरान थाने की अलमारियों से बिना दर्ज की गई शिकायतें, 2 लोडेड कार्बाइन और 1 पिस्टल भी मिली थी। इसके बाद विज ने कार्रवाई करते हुए थाने के एसएचओ समेत 6 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड करने के निर्देश दिए थे.
तब गृह मंत्री कष्ट निवारण समिति की बैठक में शामिल होने रोहतक पहुंचे थे। बैठक से निकलने के बाद अचानक वह थाने पहुंच गए थे। बकौल मंत्री छापेमारी के दौरान थाना सिविल लाइन में कई अनियमितताएं मिली थी. मंत्री ने स्वयं ही मिडिया को यह जानकारी दी थी कि सरकार के थाने के समानांतर उक्त थाने का एसएचओ अपना थाना चला रहे थे। जब थाने में जांच की गई तो यहां की अलमारियों में लोगों की शिकायतों के पुराने ढेर मिले हैं, जिनकी न तो एफआईआर रजिस्टर की गई थी और न ही उन्हें किसी रजिस्टर में दर्ज किया गया था.
जाहिर है रोहतक के पुलिस थाने की स्थिति और गुरुग्राम के पुलिस थाने की स्थिति में कोई बड़ा फर्क न तो पहले था और न ही आज है. शिकायतें दर्ज नहीं होना या शिकायतों पर कार्रवाई नहीं होना यहाँ भी आम बात है. यहाँ के थानेदारों की भी यही चिंता थी. थानेदारों की मनमानी और पुलिस थाने से इतर अपने मतलब का थाना चलाना बदस्तूर जारी है. यह लग बात है कुछ नए और युवा एसएचओ की कार्यशैली अपेक्षाकृत प्रोफेशनल मानकों के अनुरूप है.
इसलिए कई थानेदार गृह मंत्री के गुरुग्राम आगमन की खबर से घबराए हुए थे और आनन फानन में साढ़े दस बजे के बाद थाने पहुंचे और लंबित शिकायतों को निपटाने में लग गए. उनके माथे पर पसीने छूट रहे थे कि जांच के दौरान उनकी आलमारी से भी कहीं लंबित शिकायतों के ढेर न निकलने लगे और कार्रवाई का सामना करनी पड़े.
हालांकि गुरुग्राम पुलिस आयुक्त के के राव, जिला की क्राइम समीक्षा मीटिंग में हर बार सभी ए सी पी और थानाधिकारियों को शिकायतें लंबित नहीं रखने की हिदायत देते हैं लेकिन पुलिस महकमें की वर्षों की घिसीपिटी कार्यशैली में ऑनलाइन व्यवस्था के बावजूद अपेक्षाकृत कम सुधार देखने को मिलते हैं.
गुरुग्राम के भी पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई या जांच में ढिलाई बरतने के आरोप लगते रहे हैं. कई ऐसे बड़ी घटनाएं इस बात को पुष्ट करती हैं जिनमें पुलिस अधिकारियों पर सवाल खड़े हुए हैं.
गृह मंत्री विज के कोप का भाजन बनने से बचने के लिए थानेदारों को भी सभी लंबित शिकायतों को तत्काल निपटाने का निर्देश दिया गया. थाने के सभी मुलाजिमों को भी सतर्क कर दिया गया. सभी अपनी अलमारियों को खंगाल कर यह सुनिश्चित कर रहे थे कि उनके पास कोई ऐसा पत्र तो नहीं जिससे उनके गैरजिम्मेदाराना व्यवहार का पता चल जाय और उनके खिलाफ कार्रवाई के आदेश जारी हो जाए. लम्बे समय तक आशंका के बादल मंडराते रहे.
चर्चा जोरों पर है कि जब तक मंत्री गुरुग्राम में जमे रहे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी उनके प्रोग्राम और आने जाने के रास्ते की जानकारी जुटाते रहे और थाने के एसएचओ भी एक दूसरे से संपर्क में रहे.
हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि मंत्री के स्टाफ की ओर से उनके गुरुग्राम आगमन की जानकारी गुरुग्राम पुलिस आयुक्तालय को दी गई थी या नहीं. क्योंकि प्रोटोकाल के अनुसार किसी भी मंत्री के आगमन व उनके प्रोग्राम की पूरी जानकारी पुलिस मुख्यालय को दी जाती है. अनिल विज तो गृह मंत्री हैं फिर उनके प्रोग्राम की जानकारी तो सुरक्षा कारणों से पुलिस के साथ अवश्य साझा की जाती है. समझा जाता है कि आज उनका गुरुग्राम दौरा संभवतः गुप्त रखा गया था जिससे मिडिया को भी इसकी खबर उनके निगम दफ्तर पहुँचने के बाद ही लगी.
बहरहाल पुलिस अधिकारियों के लिए यह संतोष की बात रही कि निगम की फ़ाइलों को खंगालने के बाद गृह मंत्री अनिल विज ने सीधे अम्बाला का रुख कर लिया. पुलिस महकमें पर मंत्री का खौफ इस कदर छाया रहा कि गुरुग्राम की सीमा से उनके काफिले के बाहर निकलने की सूचना के काफी देर बाद ही राहत की साँस ली.