स्वाधीनता संग्राम के महानायक सुखदेव थापर का नाम मातृभूमि पर सर्वस्व कुर्बान करने के लिए जाना जाता है : रीतिक वधवा

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स्वाधीनता संग्राम के महानायक सुखदेव थापर की जयंती पर भाजपाइयों ने किए श्रद्धा सुमन अर्पित

भिवानी : आपने बहुत से क्रन्तिकारी और देशभक्त का नाम सुना होगा और आपने ऐसे स्वतंत्रता सेनानी का नाम सुना होगा जिसने अपना जीवन देश की सेवा में लगाया !  भारत को आजाद कराने के लिये अनेकों भारतीय देशभक्तों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी ! उन अमर बलिदानियों में से एक है क्रांतिवीर सुखदेव जी जिनका आज अर्थात 15 मई को जन्मदिवस है !  जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भारत को अंग्रेजों की बेंड़ियों से मुक्त कराने के लिये समर्पित कर दिया !क्रांतिवीर सुखदेव जी की जयंती पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की .

श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए भाजपा नेता  रीतिक वधवाएवं रमेश चौधरी ने कहा कि सुखदेव थापर का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब के लुधियाना शहर में हुआ था। अपने बचपन से ही उन्होंने भारत में ब्रितानिया हुकूमत के जुल्मों को देखा और इसी के चलते वह गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए क्रांतिकारी बन गए। बचपन से ही सुखदेव के मन में देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी थी। वह लाहौर के नेशनल कॉलेज में युवाओं में देशभक्ति की भावना भरते और उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़ने के लिए प्रेरित करते थे।  एक कुशल नेता के रूप में वह कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों को भारत के गौरवशाली अतीत के बारे में भी बताया करते थे।

सुखदेव ने अन्य क्रांतिकारी साथियों के साथ मिलकर लाहौर में नौजवान भारत सभा शुरू की। यह एक ऐसा संगठन था जो युवकों को स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित करता था। सुखदेव ने युवाओं में न सिर्फ देशभक्ति का जज्बा भरने का काम किया, बल्कि खुद भी क्रांतिकारी गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लिया।उन्होंने कहा कि 1928 की उस घटना के लिए सुखदेव का नाम प्रमुखता से जाना जाता है, जब क्रांतिकारियों ने लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए गोरी हुकूमत के कारिंदे पुलिस उपाधीक्षक जेपी सांडर्स को मौत के घाट उतार दिया था। इस घटना ने ब्रिटिश साम्राज्य को हिलाकर रख दिया था और पूरे देश में क्रांतिकारियों की जय-जय कार हुई थी।

सांडर्स की हत्या के मामले को ‘लाहौर षड्यंत्र’ के रूप में जाना गया। ब्रितानिया हुकूमत को अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों से दहला देने वाले राजगुरु, सुखदेव और भगत सिंह को मौत की सजा सुनाई गई। 23 मार्च 1931 को तीनों क्रांतिकारी हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए और देश के युवाओं के मन में आजादी पाने की नई ललक पैदा कर गए।  भारतीय स्वाधीनता संग्राम में सुखदेव थापर एक ऐसा नाम है जो न सिर्फ अपनी देशभक्ति, साहस और मातृभूमि पर कुर्बान होने के लिए जाना जाता है . मां भारती के वीर सपूत भारतीय स्वाधीनता संग्राम के महानायक सुखदेव थापर  को यह धरा कभी भी विस्मृत नहीं कर सकेगी .

इस अवसर पर  नरेश सचदेवा , रमेश चौधरी  , इमरान बापोड़ा , श्याम पाल , पंकज शर्मा , डॉ योगेश , संदीप कुमार, विनोद कुमार,  अमित कुमार, अनिल कुमार, नवीन शर्मा, गुलशन, जोगेन्द्र, ने भी भारतीय स्वाधीनता संग्राम के महानायक सुखदेव थापर जी की जयंती पर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की   !

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